जारी रहेगा किसान आंदोलन, किसान मोर्चा ने संघर्ष में जान गंवाने वाले 700 किसानों को किया याद

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक कृषि कानूनों को संसद में रद्द नहीं किया जाता हमारा आंदोलन जारी रहेगा, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि हमारी अन्य मांगें अभी भी बाकी है

Updated: Nov 19, 2021, 07:40 AM IST

नई दिल्ली। किसानों के संघर्ष के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। ये वही कानून हैं, जिनके खिलाफ देश के अन्नदाता बीते करीब एक साल से सड़कों पर बैठे हैं। हालांकि, पीएम के ऐलान के बावजूद भी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

किसान आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक राकेश टिकैत ने इस बात का ऐलान किया है। बीकेयू नेता ने कहा है कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।' ऐसे में साफ है कि जब देश की संसद में केंद्र की मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस लेगी तभी किसान अपने मोर्चे से हटेंगे। 

700 मौतें टाली जा सकती थीं: किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे किसानों की ऐतिहासिक जीत बताया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है।'

संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि, 'हम प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहते हैं कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकी है।'

बारूद के ढेर पर बैठे हैं किसान: नरेश टिकैत                                                                                                                          उधर बीकेयू चीफ नरेश टिकैत ने कहा है कि आज किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। नरेश टिकैत ने कहा है कि देश के किसान आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे और सबको यह जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने कहा है कि, 'जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे। जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा।'