BJP नेता किरीट सोमैया के खिलाफ FIR, INS विक्रांत के नाम पर 57 करोड़ के घोटाले का आरोप

शिवसेना नेता संजय राउत ने खुलासा किया था कि किरीट सोमैया ने आईएनएस विक्रांत को मरम्मत कराने के नाम पर 57 करोड़ रुपये चंदा जुटाया और इसका इस्तेमाल अपने बिजनेस में किया था

Updated: Apr 07, 2022, 12:03 PM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
Photo Courtesy: The Indian Express

मुंबई। बीजेपी और शिवसेना के बीच तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाला खेल जारी है। शिवसेना नेता संजय राउत के करीबियों पर ताबड़तोड़ ईडी के छापों के बीच ताज़ा खबर ये है कि बीजेपी नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील पर मुंबई में एफआईआर दर्ज हो गयी है। मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में भाजपा नेता और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। पुलिस के मुताबिक, उनके खिलाफ भारतीय नौसेना के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को बचाने के नामपर जुटाए गए 57 करोड़ रुपये के चंदे के दुरूपयोग का आरोप है।

FIR के बारे में जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि भाजपा नेता और उनके बेटे के खिलाफ गुरुवार को ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन में एक पूर्व भारतीय सेना के जवान ने शिकायत दी थी। शिकायत के मुताबिक, साल 2013 से 2014 के बीच तत्कालीन सांसद किरीट सोमैया और उनके बेटे नील ने INS विक्रांत की मरम्मत के लिए आम लोगों से पैसे लिए थे। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उन्होंने इन पैसों को सरकारी खाते में जमा नहीं कराए।

यह भी पढ़ें: नेहरू की जिस विदेश नीति का जनसंघ ने किया था विरोध, उसे ही मोदी ने अपनाया: दिग्विजय सिंह

बता दें कि, शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को आरोप लगाया था कि कि सोमैया ने आईएनएस विक्रांत की बहाली के लिए एकत्र किए गए 57 करोड़ रुपये का गबन किया है। राउत ने आरोप लगाया कि सोमैया को यह पैसा महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास जमा करना था, लेकिन जब राजभवन से जानकारी मांगी गयी तो ऐसे किसी पैसे की जानकारी नहीं मिली। राउत ने आरोप लगाया कि किरीट सोमैया ने इन पैसों का इस्तेमाल अपने बिजनेस को बढ़ाने और बेटे की निर्माण कंपनी में निवेश करने में लगा दिया है।

उन्होंने सोमैया को देशद्रोही करार देते हुए कहा कि लोगों को अब चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि राष्ट्रीय भावना की कालाबाजारी करने वाली BJP से जवाब मांगना चाहिए। बता दें कि 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किए गए विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान की नौसैनिक नाकेबंदी को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सन 1997 में इसे नैसेना बेड़े से हटा दिया गया था। जनवरी 2014 में इस जहाज को एक ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से बेचा गया था और उसी वर्ष नवंबर में समाप्त कर दिया गया था।