मोदी सरनेम मामले में गुजरात HC ने सुनीं राहुल गांधी की दलीलें, 2 मई को होगी अगली सुनवाई

गुजरात हाई कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकीलों को सोमवार शाम तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है

Updated: Apr 29, 2023, 04:59 PM IST

अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट में मोदी सरनेम मामले में आज की सुनवाई पूरी हो गई है। करीब दो घंटे तक कोर्ट में राहुल गांधी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अगली तारीख 2 मई मुकर्रर की है। ऐसे में संभव है कि इस मामले में कोर्ट 2 मई को अपना फैसला सुना सकता है। 

राहुल गांधी ने सूरत की स्थानीय अदालत और सेशंस कोर्ट के फैसलों को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी है। आज राहुल गांधी की याचिका पर जस्टिस हेमंत प्रच्छक की बेंच के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी की पैरवी की, जिसके बाद कोर्ट ने शिकायतकर्ता का पक्ष जानने के लिए दो मई तक के लिए सुवाई टाल दी। 

अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि हमें शिकायतकर्ता का पक्ष भी सुनना होगा। जस्टिस हेमंत की बेंच ने पूर्णेश मोदी के वकीलों को सोमवार शाम तक जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि 2 मई को लंच के बाद इस मामले की सुनवाई दोबारा शुरू होगी। 

जस्टिस हेमंत की बेंच के समक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने दोनों अदालतों के फैसलों से असहमति जताते हुए कहा कि जिस समय राहुल गांधी ने यह भाषण दिया उस समय शिकायतकर्ता उस जगह मौजूद नहीं थे। ऐसे में उनकी मानहानि का कोई सवाल खड़ा नहीं होता।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अदालत अपने फैसले के लिए व्हाट्सएप संदेश को आधार नहीं बना सकती है। यहां तक कि खुद मोदी उपनाम किसी एक जाति या समुदाय के अंतर्गत नहीं आता और न ही इस उपनाम की कोई व्याख्या है। ऐसे में यह कहना कि राहुल गांधी के बयान से पूरे समाज की मानहानि हुई है, यह सरासर गलत है। नीरव मोदी और ललित मोदी किसी जाति से नहीं आते हैं ऐसे में शिकायतकर्ता की भावनाएं आहत होने का कोई सवाल ही नहीं है। 

राहुल गांधी को सूरत की स्थानीय अदालत ने मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता तक रद्द कर दी गई। राहुल गांधी ने इस फैसले को सूरत के सेशंस कोर्ट में चुनौती दी लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली। जिसके बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया। हालांकि इस मामले की सुनवाई से पहले महिला जज गीता गोपी ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया था।