ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर झुकी मोदी सरकार, UPSC को भर्ती रोकने के दिए आदेश
नौकरशाही में लेटरल एंट्री का पूरा विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा था। यहां तक कि आंदोलन की चेतावनी तक दे दी गई थी। ऐसे में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है।
नई दिल्ली। विपक्ष के तीखे विरोध के बाद नौकरशाही में 'लेटरल एंट्री' के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को झुकना पड़ा है। चौतरफा विरोध के बीच केंद्र सरकार ने UPSC को सीधी भर्ती रोकने के आदेश दिए हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए UPSC के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
नौकरशाही में 'लेटरल एंट्री' का पूरा विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा था। यहां तक कि आंदोलन की चेतावनी तक दे दी गई थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है। ऐसे में केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है।
बता दें कि UPSC ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली थी जिसे अब रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC चेयरमैन को नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा। उन्होंने बताया कि PM मोदी के कहने पर यह फैसला बदला गया है।
केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया X पर लिखा, 'हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा है। लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताक़त ही हरा सकती है।'