डेढ़ सदी में हिंदू समाज आपसी लड़ाई में समाप्त हो जाएगा, दमोह पैर धुलाई कांड पर टिप्पणी करने वाले जज का ट्रांसफर

जस्टिस अतुल श्रीधरन ने मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान और दमोह में कुशवाहा समाज के युवक से ब्राह्मण वर्ग के युवक के पैर धुलवाने के मामलों में स्वत: संज्ञान लिया था।

Updated: Oct 16, 2025, 06:27 PM IST

नई दिल्ली/भोपाल। देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों को लेकर एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक असामान्य बयान जारी करते हुए स्वीकार किया है कि उसने केंद्र सरकार के आग्रह पर अपने पहले के फैसले को पलटा है। यह फैसला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अतुल श्रीधरन के ट्रांसफर से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि 25 अगस्त 2025 को जस्टिस श्रीधरन को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार की आपत्ति और पुनर्विचार के आग्रह के बाद अब उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है।

जस्टिस श्रीधरन ने मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान और दमोह में कुशवाहा समाज के युवक से ब्राह्मण वर्ग के युवक के पैर धुलवाने के मामलों में स्वत: संज्ञान लिया था। बीते 14 अक्टूबर को जस्टिस अतुल श्रीधरन ने दमोह के पैर धुलाई कांड पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कई तल्ख टिप्पणियां की थीं।

जस्टिस श्रीधरन ने दमोह में ओबीसी युवक से एक व्यक्ति के पैर धुलवाने और गंदा पानी पिलाने की घटना में टिप्पणी करते हुए दोषियों पर एनएसए के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सुनवाई के दौरान जस्टिस कहा था कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र सभी अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा कर रहे हैं। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो डेढ़ सदी के भीतर खुद को हिंदू कहने वाले लोग आपस में लड़कर अस्तित्वहीन हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 27 अगस्त 2025 को 14 जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी, जिनमें जस्टिस अतुल श्रीधरन का नाम भी शामिल था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर उन्हें छत्तीसगढ़ भेजा जाता तो वे वहां दूसरे सबसे सीनियर जज होते, जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी सीनियॉरिटी सातवें नंबर पर रहेगी। अब उनके ट्रांसफर के बाद अब न्यायिक फैसलों में सरकार के हस्तक्षेप को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।