कश्मीरी पंडित कर रहे नए भूमि कानून का विरोध, कहा सरकार ने हमें आजीवन वनवास में रखने का बंदोबस्त किया

जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने की छूट देने वाले कानून का विरोध, कश्मीरी पंडितों के एक संगठन के प्रमुख ने कहा, सरकार ने हमें ठगा, हमारे साथ हो रहा है अन्याय

Updated: Oct 30, 2020, 05:27 PM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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श्रीनगर। केन्द्र द्वारा जम्मू कश्मीर में लाए गए नए भूमि कानून के खिलाफ राज्य के राजनीतिक दलों के अलावा अब कश्मीरी पंडितों ने भी अपनी आवाज़ बुलंद कर दी है। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए गठित हुए संगठन, सुलह, वापसी और पुनर्वास के अध्यक्ष सतीश महलदार ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया कानून कश्मीरी पंडितों के खिलाफ है, हमें ठगा गया है हमारे साथ अन्याय किया गया है।  सतीश महलदार ने कहा कि 'कश्मीरी पंडित पिछले 31 वर्षों से अपनी मातृभूमि में पुनर्वापसी की राह देख रहे हैं। हमें बिना बसाए, केन्द्र सरकार ने बाहरी लोगों को ज़मीन खरीदने के लिए अनुमति दे दी। क्या यह हमारे साथ अन्याय नहीं है? क्या हमें ठगा नहीं गया ? 

हमारे सदा वनवास में रहने का बंदोबस्त सरकार ने कर दिया है 

सतीश महलदार ने आगे कहा कि ' हमारे साथ ज़ुल्म हुआ, हमें अपने घरों से भगा दिया गया। किसी सरकार ने हमारी वापसी को लेकर कुछ नहीं किया। और अब केंद्र सरकार के नए कानून ने हमेशा के लिए हमें वनवास में रखने का बंदोबस्त कर दिया है। कश्मीरी पंडितों के संगठन की मांग है कि केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से अपने नए कानून को वापस ले। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास तक राज्य में ज़मीनों की किसी भी तरह की खरीद बिक्री पर रोक लगाए। संगठन की मांग है कि गृह मंत्रालय ने कश्मीरी पंडितों के जिन 419 परिवारों को राज्य में वापस बसाने का वादा किया था, उनकी पुनर्वापसी का मार्ग प्रशस्त करे। 

बता दें कि 27 अक्टूबर को केन्द्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर के लिए भूमि कानून के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। इस कानून के अनुसार जम्मू एवं कश्मीर में भारत के नागरिकों के लिए जमीन खरीद सकते हैं। इस कानून का राज्य के सभी प्रमुख दल व संगठन पुरजोर विरोध कर रहे हैं।