कृषि मंत्री तोमर के इलाक़े से पदयात्रा निकालेंगे गांधीवादी संगठन, किसानों के समर्थन का एलान

एकता परिषद के प्रमुख पी वी राजगोपाल का एलान, 17 दिसंबर को शुरू करेंगे मुरैना से दिल्ली की पदयात्रा

Updated: Dec 12, 2020, 07:39 PM IST

भोपाल/नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के अपने चुनाव क्षेत्र में भी समर्थन मिल रहा है। कई गांधीवादी और किसानों के बीच काम करने वाले सामाजिक संगठनों ने किसान आंदोलन के समर्थन में पदयात्रा निकालने का एलान किया है। एकता परिषद के प्रमुख और वरिष्ठ गांधीवादी पी वी राजगोपाल ने किसानों के समर्थन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से दिल्ली तक पदयात्रा का एलान किया है। इस पदयात्रा में  सर्व सेवा संघ, सर्वोदय समाज, भारत पुनर्निर्माण, जल बिरादरी और एकता परिषद जैसे प्रमुख गांधीवादी और समाजसेवी संगठनों के लोग शामिल होंगे।

पीवी राजगोपाल ने कहा है कि इन सभी संगठनों ने मिलकर तय किया है कि किसानों के समर्थन में पदयात्रा 17 दिसंबर से शुरू की जाएगी, जो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से शुरू होकर दिल्ली तक जाएगी। पी वी राजगोपाल का कहना है कि गांधीवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ ही साथ मुरैना के किसान भी इस पदयात्रा में बड़े पैमाने पर शामिल होंगे।

राजगोपाल ने बताया कि किसान आन्दोलन के समर्थन में एक दिन का उपवास भी किया जाएगा, जिसे 'अन्नदाता के लिए अन्नत्याग' का नाम दिया गया है। एक दिन के इस उपवास के बाद विभिन्न संगठन मिलकर 14 दिसम्बर से एक नया आंदोलन शुरू करेंगे। पीवी राजगोपाल खुद 13 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के तिल्दा से यात्रा शुरू करेंगे। उनकी यह यात्रा कवर्धा, मंडला, डिंडोरी, उमरिया, कटनी, दमोह, सागर, ललितपुर, झाँसी, दतिया और ग्वालियर होते हुए मुरैना पहुँचेगी। 

राजगोपाल ने लोगों से इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि जो भी लोग इसमें शामिल हो सकते हैं मुरैना पहुंत जाएं। 17 दिसंबर की सुबह मुरैना से पैदल यात्रा शुरू हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जो लोग मुरैना नहीं पहुंच सकते, वे अपने अपने स्तर पर ही उपवास करेंगे और छोटे-छोटे आंदोलन करके कलेक्टर, तहसीलदार से मिलकर उन्हें अपना ज्ञापन सौंपेंगे। इस तरह के विभिन्न कार्यक्रम 14 दिसम्बर से शुरू किए जाएंगे। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने भी 14 दिसंबर से देश भर में आंदोलन तेज़ करने की अपील की है।

बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच अब भी मतभेद बरकरार है। सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने की बात कर रही है, जबकि किसानों का कहना है कि वे तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे।