महाराष्ट्र के नंदुरबार में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली उजागर, तीन महीने में सिविल अस्पताल में 179 बच्चों की मौत
नंदुरबार जिले में जुलाई महिने में 75, अगस्त में 86 और सितंबर में 18 बच्चों ने दम तोड़ा है। बच्चों की मौत ठीक समय पर इलाज नहीं मिलने और खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हुई है।
नंदुरबार। महाराष्ट्र भले ही भारत के विकसित प्रदेशों में शामिल हो लेकिन यहां बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थित बेहद खराब है। महाराष्ट्र के आदिवासी बाहुल्य जिले नंदुरबार में पिछले तीन महीने में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लगभग 179 बच्चों की मौतें हो गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 179 मौतों कि पुष्टि की है।
नंदुरबार के सिविल अस्पताल में मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी एम सावन कुमार ने कहा कि बच्चों की मौतों के प्रमुख कारण जन्म के समय औसत वजन कम होना, जन्म के समय दम घुटना, सेप्सिस और श्वसन संबंधी बीमारियां आदि हैं। 70 फीसदी मामलों में मौतें 0-28 दिन के शिशुओं की हुई हैं। वहीं कई महिलाओं में सिकल सेल की समस्या देखी गई है। जिसके कारण प्रसव के दौरान समस्या होती है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए हमने मिशन 'लक्ष्य 84 दिन' शुरू किया है।
इस मिशन का उद्देश्य बाल मृत्यु दर के मूल कारणों से निपटना, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना और समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है। ताकि यह बाल मृत्यु के आंकडों में सुधार हो सके और बच्चों को जीवित रहने का बेहतर मौका मिल सके।
बाल विकास सेवा योजना के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पूरे महाराष्ट्र में पिछले तीन महीने में 2403 बच्चों की मौत हुई है। यह सभी बच्चे शून्य से पांच साल के थे। इनकी मौत कुपोषण और उचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से हुई है। इनमें से 730 बच्चों की मौत आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हुई है।