जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने ली समाधि, तीन दिन उपवास के उपरांत त्यागा शरीर
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार (17 फरवरी) देर रात 2:35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया।
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डोंगरगढ़। जैन समाज के सबसे बड़े गुरु युगदृष्टा आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोकगमन हो गया है। देर रात करीब 2.30 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर जी महाराज ब्रह्मलीन हुए। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में तीन दिन उपवास के उपरांत अपना शरीर त्यागा।
संत शिरोमणि विद्यासागर जी ने पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने देहत्याग दिए। उनके समाधि लेने की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। महाराज जी के देहत्याग की खबर मिलते ही डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ पर लोगों का जुटना शुरू हो गया है।
विद्यासागर जी का डोला श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र में 18 फरवरी दिन रविवार दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा और चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र पर ही पंच तत्व में विलीन किया जाएगा। आचार्य जी के निधन पर तमाम दिग्गजों ने शोक प्रकट किया है। देश के सभी धर्मों के लोग उनके अनुयायी थे और कई बड़े नेता उनका आशीर्वाद प्राप्त करने डोंगरगढ़ जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस नेता व राज्यसभा दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज हाल के दिनों में उनका आशीर्वाद लेने डोंगरगढ़ गए थे।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनके देवलोकगमन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि, 'संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की रात्रि 2:35 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हो गई है। वे ईश्वर रूपी संत थे। शिक्षा व हाथ करघा पर बना कपड़ा पहनने का उनका संदेश हमें महात्मा गांधी का संदेश याद दिलाता है।'
वहीं, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि, 'राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला। आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।'