राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर लटकी तलवार, फैसले पर स्टे नहीं लगा तो 6 साल नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दो साल या इससे अधिक अवधि की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है

Updated: Mar 24, 2023, 10:37 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को मानहानि का दोषी करार देते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय के इस फैसले के बाद अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर भी संकट है। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार यदि सांसद या विधायक को किसी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। साथ ही वो सजा पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं।

अदालत के आदेश के बाद उन्हें कानून के तहत संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने का जोखिम बन गया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) कहती है कि जैसे ही किसी संसद सदस्य को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, तो वह तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है।

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी के ख़िलाफ़ मानहानि का मुकदमा करेंगी रेणुका चौधरी, पीएम पर लगाया सूर्पनखा बोलने का आरोप

सिब्बल ने सूरत कोर्ट के फैसले को "बेतुका" करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी संसद के सदस्य के रूप में तभी रह सकते हैं, जब दोषसिद्धि पर रोक हो। हालांकि, कोर्ट ने 30 दिनों के लिए सिर्फ सजा को निलंबित किया है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से लोकसभा अध्यक्ष कानून के अनुसार आगे बढ़ेंगे और राहुल गांधी को संसद के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा। बता दें कि भारतीय संसद के इतिहास में कई सांसदों को अलग-अलग कारणों से संसद सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को लिली थामस वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में कहा था कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को कम से कम दो साल की सजा होती है तो वह तुरंत ही संसद, विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएगा। यानी उसका चुनाव रद्द हो जाएगा और वह जनप्रतिनिधि नहीं रहेगा। सबसे पहले लालू यादव पर इसकी गाज गिरी थी। साल 2013 में लालू यादव को चारा घोटाला केस में कोर्ट ने सजा सुनाई। इसके बाद उनकी संसद सदस्यता खत्म गई थी। इसके साथ ही उनके चुनाव लड़ने पर रोक भी लग गई। तब से अब तक लालू यादव चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं।

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी के मुद्दे पर कांग्रेस ने बुलाई विपक्षी दलों की बैठक, राष्ट्रपति से भी मिलने का मांगा समय

इसी तरह बिहार के जहानाबाद से जेडीयू के सांसद जगदीश शर्मा को गोड्डा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल की सजा सुनाई थी। इससे उनकी संसद सदस्यता चली गई थी। लक्षद्वीप के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है। इसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी। चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप लोकसभा सीट के उपचुनाव की घोषणा भी कर दी थी। लेकिन इसी बीच केरल हाईकोर्ट ने पीपी मोहम्मद फैजल की सजा पर रोक लगा दी। फिलहाल यह केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।

मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के एमबीबीएस सीट घोटाला केस में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद काजी रशीद को सजा होने पर उनकी सदस्यता चली गई थी। हाल ही में सपा नेता आजम खान का बहुचर्चित मामला सामने आया था। उत्तर प्रदेश के रामपुर से विधायक रहे आजम खान की सदस्यता चली गई है। आजम खान को पीएम नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है। इस पर उनसे उनकी विधानसभा सदस्यता छीन ली गई। इस तरह सजा होने की स्थिति में कई अन्य नेताओं की भी सदस्यता चली गई है।

बहरहाल, कांग्रेस इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना बना रही है। अगर सजा के निलंबन और आदेश पर रोक की अपील वहां स्वीकार नहीं की जाती है, तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाएगी। कांग्रेस नेता व  सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'कानूनी प्रावधान यह है कि शिकायत वही कर सकता है, जिसकी मानहानि हुई हो। उसे यह भी बताना होता है कि आरोपी व्यक्ति की टिप्पणी से उनकी मानहानि किस तरह से हुई है। लेकिन सूरत में जिस व्यक्ति की शिकायत पर मुकदमा चला, उनके बारे में राहुल गांधी ने कोई टिप्पणी नहीं की थी। जबकि जिन व्यक्तियों (नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी, ललित मोदी) के नाम राहुल गांधी ने लिये थे, उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई।'

यह भी पढ़ें: मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे, सूरत कोर्ट के फैसले पर प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया

सिंघवी ने आगे कहा कि, 'यह फैसला ज्युडिशियल सिस्टम में सबसे निचले स्तर की अदालत में लिया गया है। हम इसे सेशन्स कोर्ट ले जाएंगे। उसके ऊपर भी कई अदालतें हैं। यह एक गलत निर्णय है। कानून में इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। हमें भरोसा है कि ऊपरी अदालत में इस पर रोक लगाई जाएगी और जल्द से जल्द हमें सकारात्मक आदेश मिलेगा।'