जी भाईसाहब जी: 20 छात्राओं को साइकिल भी नहीं दिलवा सकते एक मंत्री 

MP Politics: किसी भी सरकार में एक मंत्री की हैसियत क्‍या होती है, यह किसी से छिपा हुआ तथ्‍य नहीं है। सवाल तो यह है कि मध्‍य प्रदेश के एक मंत्री क्‍या 20 छात्राओं को सरकारी तो सरकारी अपनी निधि से भी साइकिल नहीं दिलवा सकते हैं? 

Updated: Nov 20, 2024, 03:29 PM IST

मंत्री लखन पटेल
मंत्री लखन पटेल

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो मध्‍य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लखन पटेल का एक बेहतर ब्रांडिंग वीडियो हो सकता था लेकिन अब इसी वीडियो के कारण पशुपालन मंत्री लखन पटेल की किरकिरी हो रही है। हुआ यूं कि पथरिया विधायक लखन पटेल अपने क्षेत्र से गुजर रहे थे। राह में पैदल स्कूल जा रहीं छात्राओं को देखकर उन्‍होंने गाड़ी रोककर पूछा कि पैदल क्यों जा रही हो? नौवीं की छात्रा दीपा लोधी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही साइकिल नहीं मिली है। उसने यह भी बताया कि गांव में सड़क नहीं है, खेत से होकर जाना पड़ता है। 

मंत्री लखन पटेल ने पूछा कि कितनी सहेलियों को साइकिल की जरूरत है तो दीपा ने कहा 15 से 20 छात्राओं को चाहिए। यह सुनकर मंत्री ने औचक कहा, ओरे बाप रे। 15-20! चलो ऐसा करो अपने साथ की पांच छात्राओं के नाम लिखकर दे दो। 

प्रतिक्रिया यह भी है कि एक मंत्री या कहिए विधायक के लिए अपने क्षेत्र की 20 छात्राओं के लिए साइकिल उपलब्‍ध करवाना क्‍या इतना मुश्किल है कि वे केवल 5 छात्राओं के नाम मांग रहे थे? एक साइकिल की कीमत 5 हजार हो तब भी 20 छात्राओं को साइकिल देने के लिए मंत्री जी को अपनी निधि से मात्र एक लाख रुपए ही देने होंगे। हालांकि, रिपोर्ट्स आई हैं कि मंत्री पटेल के क्षेत्र पथरिया ब्लॉक में छह माह पहले से ही 1200 से अधिक साइकिलें स्कूल परिसर में रखी हैं। मंत्री जी अपनी निधि खर्च न करे बल्कि जंग खा रही साइकिलों के वितरण में हुई देरी का कारण ही पता कर लें तो छात्राओं को पैदल स्‍कूल न जाना पड़े। 

छात्रा दीपा के जवाबों में उसका आत्‍मविश्‍वास दिखाई दे रहा है लेकिन मंत्री लखन पटेल गाड़ी में बैठे-बैठे ही बातें कर रहे हैं। उन्‍हें अपने वरिष्‍ठ नेताओं से कुछ सीखना चाहिए। ऐसे मौकों पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान होते तो गाड़ी से उतर कर छात्राओं के बीच पहुंच जाते। मंत्री लखन पटेल भी उतनी सहजता से छात्राओं से मिलते तो यह उनकी ब्रांडिंग का एक बेहतर वीडियो होता। मगर, मंत्री अपनी ब्रांडिंग से भी चूके और छात्राओं को साइकिल दिलवाने पहल से भी चूक गए। 

आधी रात में मंत्री की रेड, माजरा क्या है?

प्रदेश के मंत्रियों में आधी रात छापामारी का चलन बढ़ रहा है। बिजली मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने अस्‍पताल में आधी रात दौरा किया था तो अब प्रदेश के चिकित्सा राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल आधी रात डंपर पकड़ने के कारण चर्चा में है। विवादों में रहने वाले मंत्री नरेंद्र पटेल इसलिए भी चर्चा में हैं कि यह रेड मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अधीनस्‍थ खनिज विभाग की लापरवाही को उजागर करने जैसा है। मंत्री अपने विभाग का छोड़ कर सरकार के दूसरे विभागों की कार्यप्रणाली की पोलखोल कर सरकार को संकट में डाल रहे हैं। सवाल उठे कि क्‍या खनिज विभाग में वाकई में इतनी लापरवाही, इतना अवैध उत्‍खनन हो रहा है कि मंत्री को डंपर पकड़ने पड़े। क्‍या अवैध खनन के प्रति सब इतने लापरवाह है कि मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने पुलिस को डंपर सौंपते हुए सख्‍त कार्रवाई की हिदायत दी। 

मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई की जानकारी साझा करते हुए लिखा कि मेरी विधानसभा में सड़कों को खराब करने के लिए जिम्मेदार ओवरलोड डंपरों को पकड़कर प्रशासन के सुपुर्द किया है। मंत्री की किरकिरी इसलिए भी हुई कि सत्‍यापन के बाद खनिज निरीक्षक ने डंपरों को ओवरलोड नहीं पाया। मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने जिस उद्देश्‍य से कार्रवाई की थी वह तो पूरा हुआ नहीं। मुख्‍यमंत्री के विभाग में हस्‍तक्षेप कर और चर्चा में आ गए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तंज कसा कि मंत्री को ऐसी कार्रवाई क्यों करनी पड़ रही है? क्या ओवरलोड डंपर में मंत्री भी अपना हिस्सा तलाश रहे हैं? इसीलिए मैं कहता हूं कि ये माफियाओं की सरकार है। 

बहरहाल, इस मामले में तो डंपर संचालक पाक साफ साबित हो गए लेकिन प्रदेश में अवैध खनन की शिकायतें आम हैं। इन अवैध खनन पर कुछ लगाम लगे तो मंत्री की सक्रियता का कुछ लाभ है अन्यथा तो यह एक प्रपोगंडा भर साबित होगा।

व्हाट्स एप राजनीति बीजेपी का नवाचार 

मिस्‍ड कॉल से सदस्‍यता अभियान जैसे कार्यक्रम चलाने वाली बीजेपी राजनीतिक नवाचार के लिए भी जानी जाती है। पार्टी ने सोशल मीडिया की ताकत पहचानते हुए इस मंच का अपने हित में उपयोग करने में भी देरी नहीं की है। बूथ स्‍तर की समितियों में सोशल मीडिया प्रभारी बनाने वाली बीजेपी ने मध्‍य प्रदेश में ‘वॉट्सएप चीफ’ की नियुक्ति की है। यह नियुक्ति कोलार के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर स्थित बूथ 223 पर की गई है। रामकुमार चौरसिया को पहले व्हाट्स एप चीफ है। राजधानी के 1723 बूथ सहित प्रदेश के 65013 बूथ बनाए हैं। इन सभी बूथ पर 11 सदस्यीय टीम तैयार होगी। टीम में बूथ अध्यक्ष, पन्ना प्रमुख के साथ ही पहली बार पीएम की मन की बात कार्यक्रम के प्रमुख और योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए लाभार्थी प्रमुख जैसी नियुक्ति भी की जानी है।

मन की बात के आयोजन का जिम्‍मा, योजनाओं की जानकारी पहुंचाने का जिम्‍मा जैसे कार्यों के लिए अलग पद बना कर बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को विभिन्‍न पदों पर एडस्‍ट कर रही है। उसका यह नवाचार तकनीक से जुड़े युवा कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की दृष्टि से भी महत्‍वपूर्ण है। यदि ये नियुक्तियां मैदान में सक्रिय अन्‍य वरिष्‍ठ कार्यकर्ताओं के लिए वर्चस्‍व के संघर्ष का कारण न बने तो पार्टी कुछ लाभ हासिल हो सकता है। वरना तो बीजेपी में इन दिनों पद पाने के लिए कतार लंबी है और नियुक्तियों में देरी से नेताओं का धैर्य चूक रहा है। 

बीजेपी को क्यों चुभा जीतू पटवारी का निवेश पर सवाल 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों को आमंत्रण देने के लिए इंग्लैंड और जर्मनी जा रहे हैं। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीएम मोहन के विदेश दौरे पर सवाल उठाए थे। जीतू पटवारी ने तंज कसा है कि इन्वेस्टमेंट के नाम पर करोड़ों रुपए बहाने मुख्यमंत्री अब विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। वे लंदन में जाकर उद्योगपतियों को धार्मिक भाषण ही देंगे। वहां भी उज्जैन के प्राचीन काल, राम और लक्ष्मण की बात करेंगे। इन्वेस्टर समिट के नाम पर प्रदेश में कितना निवेश हुआ और कितने उद्योग स्थापित हुए इसकी भी जानकारी जनता को देनी चाहिए।

बीजेपी को कांग्रेस अध्‍यक्ष जीतू पटवारी का कमेंट चुभा है। बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस विकास विरोधी है और विरोध के लिए हर चीज का विरोध करती है। यह पर्यटन नहीं बल्कि राज्य की बेहतरी के लिए निवेश आकर्षित करना है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने पलटवार करते हुए कहा है विपक्ष भी अपने निवेशक को लेकर आए और मध्य प्रदेश में काम कराए। जीतू पटवारी अपने बयानों पर माफी मांगे भगवान राम और कृष्णा का विरोध करने की कोई छूट नहीं देता है।

बात राम-कृष्‍ण के विरोध पर आ कर टिक गई है लेकिन बीजेपी की पिछली सरकारों में आए निवेश प्रस्‍तावों और उनके क्रियान्‍वयन पर अधिक बात नहीं हो रही है।