आंतरिक मतभेद फ्लोर टेस्ट बुलाने का आधार नहीं हो सकता, शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को कैसे पता चला कि शिवसेना ने विश्वास मत खो दिया है?

Publish: Mar 15, 2023, 04:51 PM IST

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में पिछले वर्ष पनपे सियासी संकट के समय राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट कराए जाने के मामले में तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि आखिर राज्यपाल को कैसे पता चला कि महाराष्ट्र की महाविकस अघाड़ी गठबंधन सरकार ने विश्वास मत खो दिया है? 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पार्टी के भीतर आंतरिक मरभेद फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आधार नहीं हो सकता। आंतरिक मतभेद और सदन में विश्वास मत कमी दो अलग अलग चीज़ें हैं। आंतरिक मतभेद के आधार पर फ्लोर टेस्ट बुलाए जाने का कोई तुक नहीं बनता है। 

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान पूछा कि राज्यपाल सिर्फ पार्टी के भीतर मतभेद के आधार पर सबूत नहीं मान सकते। यह किसी राजनीतिक दल के आंतरिक मामलों में दखल देने जैसा ही हुआ। सीजेआई ने कहा कि राज्यपाल को खुद से यह सवाल नहीं करना चाहिए था कि आखिर तीन वर्ष की शादी में अचानक एक रात में ऐसा क्या हो गया? राज्यपाल ने कैसे अंदाजा लगा लिया कि आगे क्या होने वाला है? 

सीजेआई के यह कहने पर तुषार मेहता ने जवाब देने से इनकार कर दिया। तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि यह एक राजनीतिक सवाल है, ऐसे में वह इस पर जवाब नहीं दे सकते। 

सीजेआई ने कहा कि क्या विश्वास मत बुलाने का कोई संवैधानिक संकट था? एक निर्वाचित सरकार को गिराने में राज्यपाल सहयोगी की भूमिका नहीं निभा सकते। यह लोकतंत्र के लिए बेहद ही दुखद तस्वीर है।