42 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की हालत नाजुक, शरीर पर नहीं बचा मांस, सेहत की रिकवरी मुश्किल

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत काफी खराब हो चुकी। मगर सरकार की ओर से उनके अनशन को खत्म कराने की कोई पहल नहीं हुई।

Updated: Jan 06, 2025, 06:26 PM IST

नई दिल्ली। खनौरी बॉर्डर पर पिछले 42 दिनों से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत बेहद नाजुक है। किसान नेता डल्लेवाल शनिवार से लगातार उल्टियां कर रहे हैं। डॉक्टरों की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, उनके शरीर पर अब मांस नहीं बचा है। लीवर, किडनी और फेफड़ों में खराबी आ गई है। अब हालत यह है कि डल्लेवाल अगर अनशन खत्म भी कर देते हैं तो भी रिकवरी बेहद मुश्किल है।

हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक अनशन खत्म कराने की कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार डल्लेवाल को यूं ही मरने देगी? कोर्ट द्वारा उनके स्वास्थ्य को लेकर जरूर चिंता व्यक्त की गई है। लेकिन इसका असर भी सरकार पर नहीं हो रहा है।

लोकतंत्र में आमरण अनशन विरोध का सबसे अहिंसक तरीका है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल भी एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं। वह पिछले 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं। डल्लेवाल का स्वास्थ्य हर दिन खराब हो रहा है। 70 साल के किसान नेता कैंसर के मरीज हैं और दवाइयां भी नहीं ले रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पंजाब सरकार ने धरनास्थल पर मेडिकल टीम, एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट सिस्टम और एंबुलेंस को तैनात किया, मगर डल्लेवाल ने मेडिकल सपोर्ट लेने से इनकार कर दिया था। अब तो डॉक्टरों ने भी साफ कह दिया है कि अगर किसान नेता भूख हड़ताल तोड़ देते हैं तो भी कई दिनों तक खड़ा नहीं हो पाएंगे।

अनशन के शुरुआत में ही डल्लेवाल ने कहा था कि केंद्र सरकार जबतक बातचीत के लिए तैयार नहीं होगी वह भूख हड़ताल नहीं तोड़ेंगे। पंजाब सरकार में कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से हस्तक्षेप करने की मांग की थी और उन पर प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने का दबाव बनाया था। बावजूद कृषि मंत्री शिवराज द्वारा कोई पहल नहीं की गई।

खनौरी बॉर्डर पर आंदोलनकारियों की भीड़ बढ़ती जा रही है, मगर केंद्र सरकार इस हालात को नजरअंदाज कर रही है। किसान संगठनों का कहना है कि 2020 के किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी, लोन माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने जैसी मांगों पर विचार करने का लिखित आश्वासन दिया था। डल्लेवाल भी इसी वादे को लागू करने की मांग कर रहे हैं, मगर कोई केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बातचीत नहीं करना चाहती है।

डल्लेवाल का आमरण अनशन विख्यात पर्यावरणविद स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की याद दिला रहा है। जीडी अग्रवाल ने भी गंगा की सफाई को लेकर 112 दिनों तक आमरण अनशन करते हुए प्राण त्यागे थे। उन्होंने गंगा में गिरते प्रदूषित नालों और पवित्र नदी की सफाई के नाम पर खर्च हुए अरबों रुपये पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने भी अनशन से पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, मगर जवाब नहीं मिला। 2018 में जी डी अग्रवाल ने एम्स ऋषिकेश में अंतिम सांस ली और उनके साथ ही एक बड़ा आंदोलन खत्म हो गया था।