बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, निकिता जैकब की गिरफ़्तारी पर 3 हफ्ते की रोक

पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर किए गए डॉक्युमेंट के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने निकिता जैकब के नाम गैर जमानती वारंट जारी कराया था, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें 3 हफ़्ते के लिए ट्रांजिट बेल दे दी है

Updated: Feb 17, 2021, 10:32 AM IST

Photo Courtesy : NDTV
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मुंबई। ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए गूगल डॉक्युमेंट्स मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा आरोपी बनाई गई एक्टिविस्ट निकिता जैकब को तीन हफ्ते के लिए अग्रिम ट्रांजिट जमानत दे दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज मामले की सुनवाई के दौरान उन्हें यह राहत दी है। कोर्ट ने उन्हें 25 हजार रुपए बॉन्ड भरने का भी आदेश दिया है। 

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि निकिता का कोई राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक एजेंडा नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि निकिता का घर 11 फरवरी को सर्च किया गया और सामान जब्त कर लिया गया। साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि कथित अपराध दूसरे राज्य में हुआ है, इसलिए ये मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। 

दिल्ली पुलिस की ओर से निकिता जैकब के खिलाफ गैर-जमावती वारंट जारी कर दिया गया था। जिसके बाद पेशे से वकील निकिता ने अदालत का रुख किया और इस मामले में राहत की अपील की। जैकब ने चार सप्ताह के लिए अग्रिम ट्रांजिट जमानत की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने जैकब को तीन सप्ताह के लिए अग्रिम जमानत दी है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर निकिता जैकब की गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें 25 हजार के बॉन्ड पर राहत मिल सकती है।

जमानत मिलने के बाद निकिता के वकील ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि टूलकिट को अकेले निकिता ने नहीं बनाया है। टूलकिट के साथ निकिता जुड़ी है, उसने रिसर्च की है लेकिन ये सिर्फ कृषि कानूनों को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए किया गया। इसके अलावा कुछ नहीं। हिंसा फैलाने का निकिता का कोई उद्देश्य नहीं था।' निकिता कहां हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि निकिता कहीं गायब नहीं हुई हैं, बल्कि वह मुंबई में ही है। 12 फरवरी को जज के सामने पेश भी हो चुकी हैं। दिल्ली पुलिस ने भी निकिता से 13 घंटे की पूछताछ की जिसमें निकिता ने पूरा सहयोग किया। आगे भी पुलिस पूछताछ कर सकती है।

पिछले हफ्ते शनिवार को 22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। इसके बाद सोमवार को दिल्ली पुलिस ने टूलकिट केस में वकील और एक्टिविस्ट निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के नाम गैर-जमानती वारंट जारी कराया था। इस मामले में शांतनु को हाईकोर्ट ने कल ही दस दिन की अग्रिम ट्रांजिट जमानत दे दी थी। इसी मामले में पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि पुलिस की कस्टडी में हैं।

दिल्ली पुलिस का दावा है कि निकिता और शांतनु भी कथित खालिस्तानी समर्थकों के संपर्क में थे, जिन्होंने गूगल डॉक्युमेंट को बनाने में सहायता की। ये वही डाक्युमेंट है, जिसे टूलकिट कहा जा रहा है। पुलिस के मुताबिक दिशा रवि ने यह डॉक्युमेंट ग्रेटा थनबर्ग को भेजा था। दिल्ली पुलिस ने दिशा, निकिता और शांतनु पर इस डॉक्युमेंट को तैयार करने, उसे शेयर करने और एक ज़ूम मीटिंग में हिस्सा लेने के आधार पर कई संगीन आरोप लगाए हैं, जिनमें देशद्रोह का आरोप भी शामिल है।