देश में 40 से अधिक उम्र वालों को लगाएं तीसरा डोज, टॉप साइंटिस्ट्स पैनल की सरकार से सिफारिश
विशेषज्ञों के पैनल Insacog ने अपने साप्ताहिक बुलेटिन में सिफारिश किया है कि 40 वर्ष वालों अथवा हाई रिस्क ग्रुप के लोगों को बूस्टर डोज लगाने पर विचार किया जाए

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट Omicron के मामले समने आने के बाद से लोग दहशत में हैं। तमाम सरकारें और विशेषज्ञ भी इस वेरिएंट का तोड़ निकालने के लिए सभी विकल्पों पर मंथन कर रही हैं। इसी बीच टॉप साइंटिस्ट्स के एक पैनल ने सरकार से तीसरा डोज लगाने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक टॉप वैज्ञानिकों वाली संस्था INSACOG ने अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा है कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, उनको खतरा ज्यादा है और पहले उनका टीकाकरण किया जाए। साथ ही 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज देने पर विचार किया जाए। Insacog कोरोनावायरस में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी रखने वाले 28 लैब्स की कंसोर्टियम है।
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Insacog ने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को सक्षम करने के लिए Omicron की मौजूदगी का पता लगाने के लिए जीनोमिक निगरारी बेहद महत्वपूर्ण होगी। बता दें कि अमेरिका और ब्रिटेन पहले ही 40 से अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज की मंजूरी दे चुके हैं। अमेरिका के शीर्ष वायरल डिजीज एक्पर्ट एंथोनी फोसी ने इस बात पर जोर दिया है कि पूरी तरह से वैक्सीनेटेड व्यस्कों को सर्वश्रेष्ठ संभव संरक्षण देने के लिए बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए।
बूस्टर डोज के लिए 7 वैक्सीन सुरक्षित
मेडिकल जगत की मशहूर लैंसेट पत्रिका ने बूस्टर डोज से संबंधित एक स्टडी रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट में 7 कोरोना वैक्सीन को बूस्टर डोज के लिए सुरक्षित पाया गया है। हालांकि, भारतीयों के लिए चिंता की बात ये है कि यहां मिलने वाले Covaxin अथवा Covishield को इस स्टडी में शामिल नहीं किया गया था। ऐसे में यह कह पाना फिलहाल संभव नहीं है कि ये वैक्सीन बूस्टर डोज के लिए सुरक्षित हैं या नहीं। लैंसेट पत्रिका के मुताबिक उसने तीसरे बूस्टर डोज लगने के बाद इम्मयून प्रतिक्रिया और उसके साइड इफेक्ट्स पर स्टडी की है। इनमें एस्ट्राजेनेका, फाइजर, नोवावैक्स, जानसेन, मोडर्ना, वालनेवा और क्यूरेवा वैक्सीन शामिल हैं।
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तीसरे बूस्टर डोज के लिहाज से ये सभी वैक्सीन सुरक्षित पाए गए हैं। यह स्टडी दो डोज ले चुके 2,878 लोगों पर की गई थी। उन्हें दूसरे डोज लेने के 10 से 12 हफ्ते के बाद तीसरा डोज दिया गया था।हालांकि, इनमें से सभी लोग ऐसे थे जिन्होंने दो डोज एस्ट्राजेनेका अथवा फाइजर का लिया था। भारतीयों के लिए यह भी चिंता का विषय है कि यहां लोगों को फाइजर अथवा एस्ट्राजेनेका का डोज नहीं दिया गया।