कालजयी शायर अकबर इलाहाबादी हुए प्रयागराजी, योगी राज में शिक्षा विभाग ने बदले शायरों के नाम

शहरों के बाद अब उन शहरों के कालजयी शायरों का नाम बदलने में जुटी योगी सरकार, अकबर इलाहाबादी को बनाया प्रयागराजी, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी के भी बदले नाम

Updated: Dec 28, 2021, 12:44 PM IST

लखनऊ। दुकान, मुहल्ले, शहरों और स्टेशनों का नाम बदलने के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नया कारनामा कर दिया है। योगी राज में अब लोगों के नाम भी बदले जाने लगे हैं। इसकी शुरुआत ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांति की अलख जगाने वाले मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी के नाम को बदलकर की गई है। अकबर इलाहाबादी अब अकबर प्रयागराजी के नाम से जाने जाएंगे। योगी सरकार के इस कारनामे की साहित्य जगत में तीखी आलोचना हो रही है।

दरअसल, यह कारनामा उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा आयोग (UPHESC) ने किया है। आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट uphesc.org के अबाउट अस कॉलम के अबाउट इलाहाबाद सब कॉलम में दे रखा है। इसमें इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का इतिहास लिखा गया है। इसमें अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी के रूप में मशहूर शायर बताया गया है। साथ ही तेग इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी बताया गया है। 

मामले पर बवाल बढ़ने के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मशहूर कथाकार राजेंद्र कुमार ने उच्चतर शिक्षा आयोग के इस बदलाव को मूर्खता करार दिया है। राजेंद्र कुमार कहते हैं कि, 'नाम तो शहर का बदला गया है, लेकिन कोई कालजयी साहित्यकार अपने नाम के आगे इलाहाबादी लिखता रहा है और वही उसकी पहचान है तो उसे कैसे बदला जा सकता है? यह तो इतिहास को मिटाने जैसा काम है। आयोग को इसे तत्काल ठीक करना चाहिए।'

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सोशल मीडिया पर भी इस कारनामे की जमकर आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर अकबर इलाहाबादी द्वारा रचित एक शेर को थोड़ा बदलकर साझा किया जा रहा है। लोग लिख रहे हैं कि, "अकबर दबे नहीं किसी सुल्तां की फ़ौज से, लेकिन शहीद हो गए योगी की नौज से" असली शेर में "योगी" के जगह "बीवी" लिखा है। अकबर इलाहाबादी को शेरों-शायरी के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत की मुखलाफत करने के लिए जाना जाता है। तेग इलाहाबादी विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। इलाहाबाद में जन्मे राशिद इलाहाबादी का काव्य संग्रह 'मुट्ठी में आफताब' आज भी साहित्य जगत में काफी मशहूर है।