सुदर्शन न्यूज का 'यूपीएससी जेहाद' कार्यक्रम, दिल्ली HC ने रोका, SC का रोक से इनकार

Sudarshan News: सुदर्शन न्यूज के इस कार्यक्रम के प्रोमो में सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले मुस्लिम अभ्यर्थियों को बताया गया था जेहादी

Updated: Aug 30, 2020, 01:38 AM IST

नई दिल्ली। सिविल सेवा परीक्षा में मुस्लिम अभ्यर्थियों के बेहतरीन प्रदर्शन को ‘जेहादी साजिश’ बताने वाले सुदर्शन न्यूज के एक प्रोग्राम के प्रसारित होने पर जहां दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया। हालांकि, बाद में यह प्रोग्राम अपने तय समय 28 अगस्त को रात 8 बजे प्रसारित नहीं किया गया।

प्रोग्राम के प्रोमो में यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अभ्यर्थियों को जेहादी बताया गया था और कहा गया था कि सिविल सेवा परीक्षाओं में बढ़ते हुए मुस्लिम ऑफिसर एक साजिश के तहत जा रहे हैं। इस प्रोमो के आधार पर जामिलाय मिलिया के छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए प्रोग्राम को विश्विविद्यालय के छात्रों और मुस्लिम समाज को अपमानित करने और समाज को तोड़ने वाला बताया था। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई थी।

सुदर्शन न्यूज के मालिक सुरेश चह्वाणके ने एक बयान जारी कर कहा, “दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए हम आज अपने कार्यक्रम का प्रसारण नहीं कर रहे हैं। हमारे कार्यक्रम का सब्जेक्ट ब्यूरोक्रेसी जिहाद है। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी कार्यक्रम को प्रसारण से पहले ही रोक दिया गया।”

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, यूपीएससी, सुदर्शन टीवी और सुरेश चह्वाणके को नोटिस भेजा और मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को तय की। जस्टिस चावला ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक कार्यक्रम का प्रसारण नहीं होगा।

दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और कुरियन जोसेफ की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा कि केवल प्रोमो के आधार पर प्रोग्राम के प्रसारण पर रोक नहीं लगाई जा सकती। बेंच ने केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल, एनबीए और सुदर्शन न्यूज को नोटिस भेजते हुए 15 सितंबर तक जबाव मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रोग्राम पर रोक लगाते वक्त कोर्ट को बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पहले पहल देखने पर याचिका में संवैधानिक अधिकारों की रक्षा से जुड़े जरूरी मुद्दे उठाए गए हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के साथ और भी दूसरे संवैधानिक मूल्य हैं, जिनके बीच संतुलन बनाया जाना जरूरी है।