हमें धमकियां दी जा रही है कि संसद से सस्पेंड कर दिए जाएंगे, अडानी गेट कांड पर कांग्रेस हमलावर

बीजेपी के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो जेपीसी गठित करने से क्यों भाग रहे हैं? अडानी मुद्दे को लोकसभा और राज्यसभा में जिक्र भी नहीं करने दिया जा रहा है: जयराम रमेश

Updated: Feb 14, 2023, 08:40 AM IST

नई दिल्ली। अडानी गेट कांड पर केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। विपक्ष दल लगातार इस हाई प्रोफाइल फ्रॉड की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। इसी बीच अब केंद्र ने विपक्ष को धमकाना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख व राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने इस बात की जानकारी दी है।

जयराम रमेश ने मंगलवार को एआईसीसी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "जो सवाल हमने संसद में पूछे उसे रिकॉर्ड से हटाया गया। अडानी के नाम को भी हटाया गया। मैंने एक मांग की थी राज्यसभा में कि जो भी वो कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं उसे राज्यसभा के पटल पर रखे, उसे भी रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। हम पीछे हटेंगे नहीं। हमें धमकी दी जा रही है कि जो कुछ भी आप संसद के अंदर बोलेंगे वहां से हटा दिया जाएगा। हमें धमकियां दी जा रही है कि अगर माफी नहीं मांगी गई तो संसद से सस्पेंड कर दिए जाएंगे। ऐसी धमकी देने वाले झारखंड के एक सांसद हैं, जिनके क्षेत्र में अडानी का पॉवर प्लांट है।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 'बीजेपी को छिपाने या डरने की जरूरत नहीं' वाले बयान पर भी जयराम रमेश ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो जेपीसी गठित करने से क्यों भाग रहे हैं? अडानी मुद्दे को लोकसभा और राज्यसभा में जिक्र क्यों नहीं करने दिया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट में याचिका हिंडनबर्ग की जांच के लिए दायर किया गया है। एक गाना था कि, बदन पे सितारे लपेटे हुए, अब है तिरंगा लपेटे सब छिपा रहे हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि जांच इसकी होनी चाहिए कि अडानी और मोदी के बीच क्या रिश्ता है। इतने सालों से क्या छिपाया गया। जय राम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा निजी निवेश के पक्ष में रही है। कांग्रेस का मानना है कि हमारी आर्थिक तरक्की भारी मात्रा में निजी निवेश पर होगा। हमारा हमेशा से कहना है कि निजी निवेश ही एक मात्र इंजन है तरक्की का। इसके लिए प्रोत्साहन देना जरूरी है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, 'हम उद्यमशीलता के पक्ष में हैं। उद्यमशीलता से नए व्यापार के दरवाजे खुलेंगे। यही एक रास्ता है आर्थिक तरक्की के लिए। हम अंध निजीकरण के खिलाफ हैं। सार्वजनिक संपत्ति बेची जा रही है, उसके खिलाफ हैं हम। जो पब्लिक सेक्टर मुनाफे में है उसे भी बेचा जा रहा है। हम इसके खिलाफ हैं। हम उदारीकरण में विश्वास रखते हैं। मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान इसकी शुरूआत हुई थी। हमारी लड़ाई मित्रवादी पूंजीवाद को लेकर है। ये जो मिसाल है आज जिसकी संसद के भीतर चर्चा है बाहर चर्चा हो रही है। ये मित्रवादी-पूंजीवाद का प्रभावशाली मिसाल है।'

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जयराम रमेश ने आगे कहा, 'जिस तरीके से एक कंपनी को निजीकरण से फायदा पहुंचाया गया है खास तौर से हवाई अड्डों का निजीकरण, बंदरगाह का निजीकरण उसके खिलाफ हमारी लड़ाई है। मैने आज सुबह सेबी के अध्यक्ष और RBI के गवर्नर को खत लिखा है और मांग की है कि इस अडानी मामले पर वो निष्पक्ष जांच कराए। जो कुछ जांच कराने की जरूरत है, जा कार्रवाई उनको करना है वो बेझिझक करे, वो पीएम और मंत्रियों ने ना डरें।'