दफ्तर दरबारी: आईएएस सुलेमान को चुन कर फिर चौंकाएंगे मुख्‍यमंत्री शिवराज 

प्रदेश के नए मुख्‍य सचिव के नाम का खुलासा होने में कुछ दिन ही शेष है। कयास है कि अगले मुख्य सचिव का चयन करते वक्‍त मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एकबार फिर चौंकाएंगे। दूसरी तरफ, इन्‍वेस्‍टर्स समिट के पहले अचानक हटाए गए आईएएस संजय शुक्‍ला को सरकार ने एक संकेत दिया है। जानिए क्‍या है यह संकेत और मिशन 2023।

Updated: Nov 20, 2022, 10:38 AM IST

आईएएस मोहम्‍मद सुलेमान और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
आईएएस मोहम्‍मद सुलेमान और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

प्रदेश के नए मुख्‍य सचिव को चुनने का समय करीब आ गया है। वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल 30 नवंबर 2022 को समाप्त हो रहा है। उनका स्थान लेने वाले अधिकारी के नाम का खुलासा होने में कुछ दिन ही शेष है। अगले मुख्य सचिव के लिए 1988 बैच के संजय बंदोपाध्याय, वीरा राणा, 1989 बैच के अनुराग जैन, आशीष कुमार उपाध्याय, मोहम्मद सुलेमान, विनोद कुमार तथा जेएन कंसोटिया के नाम चर्चा में हैं।

प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि 1989 बैच के आईएएस अनुराग जैन मुख्य सचिव पद के प्रबल दावेदार हैं। जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली विकास प्राधिकरण में पदस्थ हैं। दिवाली पर भोपाल यात्रा के दौरान उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस से भी मुलाकात की थी। उनकी पत्‍नीक भोपाल यात्रा ने इस कयास को बल दिया कि वे ही अगले मुख्‍य सचिव हैं। 

दूसरी तरफ, मध्‍य प्रदेश आईएएस एसोसिएएशन के अध्‍यक्ष तथा 1989 बैच के ही आईएएस स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को भी बराबर का दावेदार माना जा रहा हैं। अनुराग जैन ने यदि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की टीम में सफलतापूर्वक कार्य किया है तो सुलेमान स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का प्रमुख रहते हुए कोविड के दौरान मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपेक्षाओं पर खरा उतरे हैं। वे लंबे समय से मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दी गई जिम्‍मेदारियों को सफलता से निभा कर अव्‍वल बने हुए हैं। अनुराग जैन का नाम विभिन्‍न स्‍तरों पर चलाया जा रहा है जबकि सुलेमान के दावे को कमजोर करने के लिए उनके विभाग में आयुष्‍मान योजना में हुए घोटाले को उछाला गया है। 

अब तक मुख्‍य सचिव चुनने के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंदाज को देखें तो पाते हैं कि हर बार मुख्‍यमंत्री चौहान ने सभी को चौंकाया ही है। शिवराज सिंह चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 को मुख्‍यमंत्री बने तब पूर्ववर्ती मुख्‍यमंत्री बाबूलाल गौर द्वारा नियुक्‍त आईएएस विजय सिंह मुख्‍य सचिव थे। विजय सिंह ने अपने रिटायरमेंट 27 जनवरी 2006 तक बतौर मुख्‍य सचिव कार्य किया। उनके बाद शिवराज ने आरसी साहनी को मुख्‍य सचिव नियुक्‍त किया। साहनी ने 28 जनवरी 2006 से 31 जनवरी 2010 तक कार्य किया। इस दौरान मध्‍य प्रदेश के प्रशासनिक जगत में पंजाब लॉबी का वर्चस्‍व था। रिटायरमेंट के बाद साहनी विद्युत नियामक आयोग में अध्‍यक्ष बनाए गए जबकि मुख्‍य सचिव के रूप में 1 फरवरी 2010 को अवनि वैश्य ने कार्यभार संभाला। वे 30 अप्रैल 2012 तक मुख्‍य सचिव रहे। 

आईएएस आर. परशुराम को 1 मई 2012 को मुख्‍य सचिव बनाया गया। वे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिह चौहान के सबसे पसंदीदा अफसरों में शुमार होते हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की योजनाओं का क्रियान्‍वयन करने में जुटे सीएस परशुराम 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले रिटायर होने वाले थे। चुनावी साल में अपना पसंददीदा अफसर बनाए रखने के लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार से आग्रह कर 1978 बैच आईएएस परशुराम की सेवा में छह माह की वृद्धि करवाई थी। इसके लिए शिवराज ने न केवल केन्‍द्र को पत्र लिखा था बल्कि तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से बात भी की थी। परशुराम 30 सितंबर 2013 को रिटायर हुए। तब भी चुनाव के ठीक पहले शिवराज ने आईएएस अंटोनी जे.सी. डिसा को मुख्‍य सचिव चुना था। उस समय विमल जुल्‍का और पीके दास जैसे आईएएस के बदले डिसा को चुना जबकि जातिगत समीकरणों के कारण डिसा के प्रति नकारात्‍मक माहौल बनाने की कोशिश हुई थी। 

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माना जा रहा है कि मोहम्‍मद सुलेमान के लिए भी ऐसा ही माहौल बनाया जा रहा है मगर शिवराज फिर सुलेमान का चयन कर चौंका सकते हैं। वैसे भी शिवराज सिंह चौहान को वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मैदानी जमावट करनी है। टीम एमपी का गुणगान करने वाले शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि प्रशासनिक सख्‍ती के लिए ऐसा अफसर चाहिए जो उनका विश्‍वस्‍त तो हो ही, इशारों को भी समझें। देखना होगा, वे जैन को चुन कर कयासों पर मुहर लगाते हैं या तमाम विरोध को दरकिनार कर आईएएस लेमान को अपने साथ रखते हैं। वैसे यह तो तब होगा जब वर्तमान सीएस इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल बढ़ता नहीं है। यदि बढ़ गया तो छह माह बाद फिर यही मशक्‍कत होगी।  

मध्‍य प्रदेश के डॉक्‍टरों को आईएएस का भय 

मध्‍य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में आईएएस आया, आईएएस आया का भय छाया हुआ है। सरकार तैयारी कर चुकी है किमेडिकल कॉलेज में बतौर प्रशासक आईएएस की नियुक्ति की जाए। इसके विरोध में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। 
सोमवार को एमपी के सभी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स काल पट्टी बांध कर विरोध जताएंगे। 

डॉक्‍टर बरसों से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में अफसरों के हस्‍तक्षेप और प्रभार का विरोध करते आ रहे हैं। वर्तमान में एसडीएम, कलेक्‍टर और संभागायुक्‍त विभिन्‍न स्‍तरों पर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की समीक्षा करते हैं। इन प्रभारी अफसरों का होना डॉक्‍टरों को सुहाता नहीं है। वे अलग हेल्‍थ कैडर की मांग कर रहे हैं मगर सरकार उनकी बात सुन नहीं रही है। अलग कैडर बनाना तो दूर अब सरकार मेडिकल कॉलेजों में बतौर प्रशासक आईएएस बैठाना चाहती है। आईएएस की संख्‍या ज्‍यादा है और प्रशासक के रूप में नियुक्‍त होने से कई आईएएस को तो काम मिल जाएगा लेकिन डॉक्‍टरों के पास से काम छिन जाएगा। वे खुद को अफसरों के अधीन किए जाने का विरोध कर रहे हैं। 

ऐसा नहीं है कि सरकार यह प्रस्‍ताव पहली बार ला रही है। करीब पांच साल पहले सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक कार्य का जिम्‍मा अफसरों को देने की कवायद की गई थी। तर्क दिया गया था कि डॉक्टर अपने मूल काम डॉक्टरी को छोड़ फाइलों से लेकर दवा-उपकरण की खरीदी और बिल्डिंग की मरम्मत में ही उलझे रहते हैं। प्रदेश में पहले ही डॉक्‍टर के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में डॉक्टरों से प्रशासन की जिम्मेदारी वापस ले ली जाए। तब भी विरोध को देखते हुए बात बनी नहीं थी।

अब भी कैबिनेट में प्रस्‍ताव आने की सूचना मिलते ही डॉक्‍टर विरोध में सक्रिय हो चुके हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस बार भी यह प्रस्‍ताव वापस ले लेगी क्‍योंकि चुनाव के पहले डॉक्‍टरों की नाराजगी लेना शायद वह मुनासिब न समझें।  


सौम्‍य छवि के आईएएस संजय शुक्‍ला को मिला संकेत 

हाल ही में राज्य सरकार ने बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की है। इन नियुक्तियों में कई तरह के एंगल हैं मगर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिष्‍ठा आयोजन इन्वेस्टर समिट से ठीक पहले औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव 1994 बैच के आईएएस संजय कुमार शुक्ला को हटाया जाना अब तक गले नहीं उतर रहा है। 

सवाल यह है कि सौम्‍य छवि के आईएएस संजय शुक्‍ला अब तक मिली जिम्‍मेदारियों को बखूबी निभा चुके हैं फिर ऐन आयोजन के पहले हटाए जाने का ‘दाग’ उनकी छवि पर क्‍यों लगा? अंदरखाने की खबर है कि आईएएस संजय शुक्‍ला अपनी कार्यप्रणाली से उद्योग विभाग में पसंद नहीं किए जा रहे थे। उन्‍होंने कुछ चैनल को तोड़ने का काम किया था जो ऊपर से नीचे तक कई लोगों को अखर गया था। यही कारण है कि आयोजन के पहले खेल हुआ और विभाग से शुक्‍ला की विदाई हुई। 

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उन्‍हें लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग का जिम्‍मा दिया गया है। 2023 के चुनाव दिसंबर के पहले होंगे। उसके पहले गर्मियों में पानी का संकट न हो और इससे जनता में सरकार को लेकर नाराजगी न हो यह जिम्‍मा अब संजय शुक्‍ला पर होगा। यानी उनकी विदाई जरूर हुई है मगर उन्‍हें लूप लाइन में न भेज कर मिशन 2023 से जुड़ी एक बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। यह पोस्टिंग संकेत भी है कि उनसे या उनकी कार्यप्रणाली से मुखिया नाराज नहीं है।