दफ्तर दरबारी: सीएम डॉ. मोहन यादव ने क्यों हटाए दो यादव आईएएस
MP IAS Transfer: बीते दिनों मध्य प्रदेश में 45 आईएएस को नई पदस्थापना दी गई। इन तबादलों में विवादों से घिरी युवा आईएएस नेहा मारव्या को कलेक्टर बना कर उनकी शिकायत दूर कर दी गई लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा दो आईएएस की विदाई पर हुई।

ताजा प्रशासनिक फेरबदल में 62 आईएएस को नई पदस्थापना दी गई। 12 जिलों के कलेक्टर बदल दिए गए। मुख्यमंत्री सचिवालय से दो अफसरों की रवानीगी हो गई। विवादों से घिरी युवा आईएएस नेहा मारव्या की शिकायत दूर करते हुए उन्हें डिंडोरी का कलेक्टर बना दिया गया। लेकिन इन सब बदलावों से ज्यादा अचरज और चर्चा इस बात पर हुआ कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दो यादव आईएएस को हटा दिया। ये दो आईएएस हैं, मुख्यमंत्री सचिवालय में सचिव 2008 बैच के आईएएस भरत यादव और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक 2016 बैच के आईएएस प्रताप नारायण यादव।
आईएएस भरत यादव से सारे प्रभार लेकर जो मप्र सड़क विकास निगम में प्रबंध संचालक बनाया गया है। वहीं, प्रताप नारायण यादव को मछुआ कल्याण विभाग में उप सचिव बनाया गया है। ज्यों ही सूची आई प्रशासनिक जगत में यह उत्सुकता जाग गई कि मुख्यमंत्री सचिवालय में सबसे पावरफुल अफसरों में शामिल आईएएस भरत यादव को क्यों हटाया गया। भरत यादव की नियुक्ति फरवरी 2024 में हुई थी और वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सबसे चहेते अफसर हैं। कहने को इसे सामान्य प्रक्रिया बताया गया लेकिन पड़ताल करने वाले इन तबादलों की वजह की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुटे रहे। इन कयासों को बल मिला है कि आचरण की शिकायतों के बाद दोनों यादव आईएएस हटाए गए।
इस आकलन को सच माना जाए तो यादव सरनेम होने का लाभ उठाने के आरोप में प्रदेश में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इसके पहले आपराधिक कृत्य के बाद इंदौर में बीजेपी पार्षद को यादव सरनेम रखने पर यादव समाज का आक्रोश झेलना पड़ा था। इस एक प्रशासनिक सर्जरी में दो यादव आईएएस को हटा कर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि यादव होने के कारण अतिरिक्त सर्तकता बरतनी होगी। यदि कोई मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समाज का होने के कारण कुछ अतिरिक्त लाभ उठा रहा है तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। यह संदेश कहां तक पहुंचेगा और कितने समय तक टिका रहेगा यह अवश्य दिलचस्प होगा।
एसीएस होम के रूप में आईएएस जेएन कंसोटिया का मंत्रालय आना
42 आईएएस अफसरों के तबादले के अगले ही दिन एक छोटी सूची और आई। इसमें तीन आईएएस अफसरों को नई जिम्मेदारी दी गई। इस फेरबदल में करीब आधा साल मंत्रालय से बाहर रहे सीनियर आईएएस जेएन कंसोटिया की एसीएस होम के रूप में मंत्रालय वापसी हो गई है।
1989 बैच के आईएएस जेएन कंसोटिया को जनू 2024 में अतिरक्ति मुख्य सचिव वन विभाग से हटा कर प्रशासन अकादमी में महानिदेशक बनाया गया था। उस वक्त जेएन कंसोटिया को मंत्रालय से बाहर भेजने का अर्थ था कि सरकार उन्हें मुख्य सचिव के रूप में नहीं देखना चाहती है। आखिरकार, तत्कालीन मुख्य सचिव वीरा राणा के रिटायर होने के बाद 1989 के बैच के ही आईएएस अनुराग जैन को मुख्य सचिव (सीएस) बनाया गया। अनुराग जैन के सीएस बनने के चार माह बाद अब इस पद के लिए उनके प्रतिस्पर्धी रहे आईएएस जेएन कंसोटिया को मंत्रालय बुला लिया गया है।
आईएएस जेएन कंसोटिया 31 जनवरी को रिटायर हुए आईएएस एसएन मिश्रा की जगह गृह विभाग की कमान संभालेंगे। गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास है। इस पदस्थापना का अर्थ हुआ हाशिए पर भेजे गए आईएएस जेएन कंसोटिया की मुख्य धारा में वापसी। आईएएस जेएन कंसोटिया अपने विचार तथा पक्षधरता को लेकर विवादों में रहे हैं। खासकर, आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के संगठन अजाक्स में उनकी सक्रियता तथा अजाक्स के होर्डिंग्स में आईएएस अफसर जेएन कंसोटिया के फोटो को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। उनके प्रशासन अकादमी से गृह विभाग में आने से मंत्रालय के समीकरण बदलना तय है।
जनता तंग, माफिया बुलंद, कलेक्टर साहब ये हो क्या रहा है?
सिंगरौली में रेलवे के एक प्रोजेक्ट ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना पर भूमि अधिग्रहण घोटाले पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने सिंगरौली कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि जिन भूमिस्वामियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें ब्याज सहित भुगतान किया जाए। इस मामले पर कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि सिंगरौली में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। कानून बहुत साफ है। अगर आपके कलेक्टर को कानून की समझ नहीं है तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
कलेक्टर को फटकार का यह पहला मामला नहीं है। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। बीते सप्ताह बुरहानपुर में वनों की कटाई और अतिक्रमण का विरोध कर रहे आदिवासी कार्यकर्ता पर ही कार्रवाई कर देने पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर भव्या मित्तल पर 50 हजार का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि शासन यह सुनिश्चित करें कि कलेक्टर राजनीतिक दबाव में अधिनियमों का दुरुपयोग न करें। इसके पहले हाईकोर्ट ने किसान की जमीन के मामले में कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करने पर रीवा की कलेक्टर प्रतिभा पाल को फटकार लगाई है। कोर्ट ने उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
एक तरफ तो अफसरों की मनमानी से जनता परेशान है और दूसरी तरफ माफिया के हौसले इतने बुलंद है कि वे कलेक्टर पर हमला करने से भी डर नहीं रहे हैं। कलेक्टर पर हमले का मामला भिंड जिले का है। भिंड में खनिज का अवैध खनन और परिवहन आम बात है। ऐसे ही एक मामले में रात को ककारा रेत खदान का निरीक्षण करने गए भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पर बदमाशों ने पथराव कर दिया। कलेक्टर को बचाने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग की। बदमाशों ने कुछ देर मुकाबल किया और फिर भाग गए। कलेक्टर पर हमले ने 12 साल पहले हुई युवा एसपी की हत्या की याद दिला दी। 2012 में मुरैना में खनिज माफिया ने प्रशिक्षु आईपीएस नरेंद्र कुमार सिंह को ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर मार डाला था। इन बारह सालों में कई अफसर बदले, सरकार बदली लेकिन माफिया का आतंक कम नहीं हुआ। तब उन्होंने एसपी पर हमला कर दिया था अब कलेक्टर पर।
प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक सेहत कैसी है इसका आकलन जिलों की स्थिति और कलेक्टर-एसपी का काम देख कर किया जा सकता है। इन हालातों को देख कर तो यही धारणा बन रही है कि कलेक्टरों की मनमानी से जनता त्रस्त है और अपराधियों के इरादों के आगे प्रशासन पस्त हैं।
सीएम आएंगे आईपीएस की नई जमावट करवाएंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनवरी अंत में निवेश आमंत्रण के लिए जापान प्रवास पर थे। जाने के पहले उन्होंने 42 आईएएस के तबादलों पर सहमति जताई थी। मुख्यमंत्री जापान यात्रा के बाद स्वदेश लौट आए हैं। आईपीएस इस उम्मीद में हैं कि सीएम के आते ही लंबे समय से प्रतीक्षित तबादला सूची जारी हो जाएगी। आईपीएस की सूची की प्रतीक्षा इसलिए भी है कि डीजीपी कैलाश मकवाना के पदभार संभालने के बाद आईपीएस अफसरों की यह पहली जमावट होगी। आईएएस तबादलों में मुख्य सचिव अनुराग जैन की सोच और कार्यप्रणाली की छवि दिखाई दी है उसी तरह आईपीएस की तबादला सूची में डीजीपी कैलाश मकवाना की कार्यप्रणाली की झलक दिखाई देने की उम्मीद है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल होगा। संभावित तबादलों में एक दर्जन जिलों के एसपी के साथ सीनियर आईपीएस के नाम शामिल हैं। इन तबादलों में इंदौर-भोपाल के मैदानी अफसरों को भी बदला जा सकता है। इन तबादलों में पुलिस की सख्त और भ्रष्टाचाररोधी छवि को पुख्ता करने का जतन होगा।