स्मृति शेष: सरलता, सज्जनता और नैतिकता के प्रतिबिंब थे विधायक गोवर्धन दांगी
Goverdhan Dangi: रात्रिकालीन विशेष कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा की अलख जगाई, वृक्षों का जन्मदिन मनाने की परंपरा शुरू की, जनता के दुःख में सदैव रहे साथ
 
                                    राजगढ़ जिले के ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक गोवर्धन दांगी कोरोना से जंग हार गए। गुरुग्राम के मेंदांता अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। एमएलए दांगी राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी की नर्मदा परिक्रमा के दौरान 2017 में मेरे संपर्क में आये थे। राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील के मोर्चाखेड़ी गांव में 3 अप्रेल 1958 को उनका जन्म हुआ। उनकी बाल्यकाल से ही सामाजिक कार्य,अध्यात्म और धर्म में रुचि थी। उन्होंने ब्यावरा में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष, जनपद पंचायत के सदस्य और कृषि उपज मंडी समिति के उपाध्यक्ष रहते हुए अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। सरलता, सज्जनता और नैतिकता उनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा थी।
उन्होंने वर्ष 1996-97 से राजगढ़ जिले मे सर्वशिक्षा अभियान के लिए काम करने की शुरुआत की। बांईहेड़ा गांव में सर्व शिक्षा अभियान के एक शिविर में जब वे जनपद पंचायत के सदस्य की हैसियत से शामिल हुए तो उन्होंने देखा कि सरकार द्वारा शिक्षा के प्रसार में काम करने वाले लोगों को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। वहाँ उनके मन पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि इन्होंने सर्व शिक्षा अभियान को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। अपने गांव मोर्चाखेड़ी और निकटवर्ती गांव खजुरिया से इन्होंने काम की शुरुआत की, जहाँ स्थानीय मिडिल स्कूल के तत्कालीन प्रधानाध्यापक राधेश्याम शर्मा का उन्हें साथ मिल गया। जब दो समान ध्रुव आपस मे मिलते है तो परस्पर आकर्षित होकर एकरूप हो जाते है और उनकी ताकत बहुगुणित हो जाती है। ऐसे ही दांगी और राधेश्याम शर्मा एक दूसरे के करीब आये तथा एक और एक ग्यारह हो गए।
उन्होंने दोनों गांवों के अशिक्षित युवाओं, महिलाओं को एकत्रित किया और उन्हें रात में पढ़ाने के लिए पढ़े-लिखे स्थानीय युवाओं को तैयार किया। इत्र की खुशबू को भला कौन रोक सकता है? उनके काम की चर्चा धीरे-धीरे फैलने लगी। जब सरकार को इसकी खबर लगी तो वह भी इनके साथ हो गई तथा कारवाँ बढ़ता गया।
जय अक्षर न्याय यात्रा
दांगी को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिक्षा और जलग्रहण के काम को देखने रालेगण सिद्धि भेजा जहां वे समाजसेवी अन्ना हजारे से मिले। उनके काम का दायरा शिक्षा के साथ-साथ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जलग्रहण मिशन तक बढ़ गया था। इन्होंने जिले के अनेक गांवों में सरस्वती पूजन का कार्यक्रम शुरू किया और इसके माध्यम से लोगों को जोड़कर उन्हें शिक्षा का महत्व बताया। उन्होंने "जय अक्षर न्याय यात्रा" निकालकर ब्यावरा तहसील में आपसी झगड़ों को पारस्परिक सहमति से निपटाया और कोर्ट से अनेक प्रकरणों में राजीनामे करवाये गए। राजगढ़ जिले के तत्कालीन कलेक्टर बी.आर.नायडू के सहयोग से स्कूली बच्चों की कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करने के लिए रात्रिकालीन विशेष कक्षायें प्रारम्भ की। परिणामस्वरूप जिले के शिक्षा स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
सुखमो हायर सेकंडरी स्कूल
उनके गांव के आसपास कोई हायर सेकंडरी स्कूल नहीं था तथा तीन गांवों, सुन्दरहेड़ा, खजूरिया और मोर्चाखेड़ी के अधिकांश बच्चों की शिक्षा दसवीं कक्षा के बाद बंद हो जाती थी। इन्होंने सरकार से एक भी रुपये का सहयोग लिए बिना सुन्दरहेड़ा, खजुरिया और मोर्चाखेड़ी गांव के बीच श्रमदान से हायर सेकंडरी स्कूल की इमारत बना दी और इन गांवों के नाम के प्रथम अक्षरों को जोड़कर इसे "सुखमो" हायर सेकंडरी स्कूल नाम दे दिया। सरकार ने इमारत देखकर इसे हाई स्कूल से हायर सेकंडरी में प्रोन्नत कर दिया और तीन गाँवो के बच्चों की आगे की पढ़ाई का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
वृक्षों का जन्मदिन मनाने की परंपरा
उन्होंने अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि से प्रेरणा लेकर 2015 में अपने गांव में वेदमंत्रों के साथ वृक्षारोपण करवाया और 2400 वृक्ष लगाए। इनमें से एक भी पौधा नहीं सूखा। उन्होंने यहां वृक्षों का जन्मदिन मनाने की शुरुआत की। वे वृक्ष जन्मोत्सव के लिए बकायदा आमंत्रण पत्र छपवाते थे और लोगों को आमंत्रित करते थे, तरूसिंचन कार्यक्रम आयोजित करते थे ताकि लोगों में वृक्ष और पर्यावरण की रक्षा का भाव आए। अपनी सरलता, सज्जनता और जनसेवा के प्रति समर्पण के कारण वे 2018 में ब्यावरा से पहली बार विधायक चुने गए।
लॉक डाउन में बने सहारा
जब मार्च 2020 में एकाएक मात्र चार घंटे की सूचना पर पूरे देश को बंद कर दिया गया तो बिलखती, चीखती और भूख से मरती मानवता को विधायक दांगी ने सहारा दिया। उन्होंने ब्यावरा में राष्ट्रीय राजमार्ग से पैदल गुजरने वाले हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की। उनके विश्राम के लिए हाइवे के पास टेंट लगवाए। तपती सड़क पर नंगे पैर चल रहे मजदूरों के पैरों में जूते और चप्पल पहनाये और इस क्रूर प्रकृति ने उस देवतुल्य इंसान को भी नही बख्शा! उनका निधन न सिर्फ उनके परिवार की, बल्कि राजगढ़ जिले की जनता की तथा मेरी स्वयं की एक बड़ी क्षति है, जिसकी कभी भरपाई नही हो सकती।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे एवं उनके परिजनों और हजारों मित्रों को इस असमय आघात को सहने की शक्ति प्रदान करें।
(लेखक राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के निज सचिव हैं।)




 
                             
                                   
                                 
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
                                    
                                 
                                     
                                     
                                     
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								