Raj Kapoor : द शो इज़ स्टिल ऑन

राज कपूर आज भी एक अभिनेता के तौर पर समाज के निचले तबके के नेता हैं

Publish: Jun 03, 2020, 02:23 AM IST

बॉलीवुड फिल्मों के शो मैन कहे जाने वाले हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक राज कपूर का आज ही के दिन 2 जून 1988 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। राज कपूर ने श्री 420, आवारा, आग, अनाड़ी, चोरी चोरी, संगम, अंदाज़, बरसात जैसी दर्जनों हिट फिल्मों में काम किया। ज़्यादातर हिट फिल्मों को तो खुद राज कपूर ने ही डायरेक्ट भी किया था। इनमें से मशहूर फिल्में रहीं- आवारा, श्री 420, संगम आदि। राज कपूर की ' आवारा ' और ' श्री 420' जैसी फिल्मों ने न सिर्फ फिल्मी पर्दे पर अपनी छाप छोड़ी बल्कि इन फिल्मों ने उस वक्त के समाज को आइना दिखाने का काम किया।

सफल पिता के बेटे होने के बावजूद अपने पैरों पर खड़े हो कर किया 'राज ' 

राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर 1924 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। तीस के दशक की शुरुआत में ही राज कपूर के पिता पृथ्वी राज कपूर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मुंबई आ गए थे। राज कपूर अपने सभी भाई - बहनों में सबसे बड़े थे ऐसे में पिता के बाद घर को संभालने की ज़िम्मेदारी राज कपूर के उपर थी। लिहाज़ा मात्र 11 वर्ष की उम्र में राज कपूर ने बॉम्बे टाकीज़ में हेल्पर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। बाद में बॉम्बे टॉकीज़ में ही राज कपूर ने स्पॉट ब्वॉय की नौकरी भी की। एक तरफ राज नौकरी के लिए जूझ रहे थे तो दूसरी तरफ पिता फिल्मों में काम और थियेटर कर रहे थे।

आहिस्ता आहिस्ता पृथ्वी राज कपूर एक सफल कलाकार बनना शुरू हो चुके थे। राज कपूर के पिता फिल्मी दुनिया में अपना एक मुकाम हासिल कर चुके थे। लेकिन राज कपूर ने खुद को हिंदी सिनेमा में अकेले अपने दम पर स्थापित किया। राज कपूर ने पहली बार 1947 में रिलीज़ हुई ' नील कमल ' में काम किया। राज कपूर ने इसके बाद 1948 में आरके फिल्म्स की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने खुद ही फिल्मों का निर्देशन भी शुरू कर दिया। 1948 में ' आग ' आई । फिल्म ज़्यादा हिट नहीं हुई। लेकिन 1949 में आई फिल्म बरसात के सुपरहिट होने के बाद राज कपूर और आरके फिल्म्स दोनों की ही गाड़ी चल पड़ी।

'आवारा ' और 'श्री 420 ' ने समाज को झंकझोर दिया

1952 में प्रदर्शित हुई आवारा और 1955 में प्रदर्शित हुई ' श्री 420 ' दो ऐसी फिल्में हैं जिन्होंने उस वक्त के समाज को आइना दिखाने का काम किया। फिल्म की कहानी समाज को झंकझोर कर रख देती है। शायद यही वजह थी कि आवारा के रिलीज़ होने के बाद राज कपूर न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि सोवियत यूनियन रूस में भी लोकप्रिय हो गए। आवारा की कहानी एक गरीब लड़के की है जिसे परिस्थितियां जुर्म की दुनिया में धकेल देती हैं। कैसे देश और समाज के युवा को उसकी गरीबी और भूख जुर्म के रास्ते पर धकेल देती है , यह राज कपूर ने ' आवारा ' में दर्शाया है। ' आवारा ' के क्लाइमैक्स में राज कपूर कोर्ट में जज से देश के उस वर्ग के बारे में सोचने की अपील करते हैं जिन्हें समाज का उच्च वर्ग अपने शोषण से जुर्म का रास्ता अख्तियार करने पर मजबूर कर देता है। राज कपूर न सिर्फ हिट हुए बल्कि समाज उन्हें गरीबों की आवाज़ के तौर पर देखने लगा। रूस में भी ऐसा ही समाज फल फूल रहा था। वहां भी गरीबी और भूखमरी चरम पर थी। लिहाज़ा वहां के लोगों ने भी अपनी स्थितियों और परिस्थितियों  को ' आवारा ' से आसानी से कनेक्ट कर लिया। राज कपूर हिट हो गए।

एक तरफ ' आवारा ' में राज कपूर एक मजबूर और शोषित युवा हैं। तो वहीं ' श्री 420 ' में राज ने छोटे शहर से अपने सपनों को पंख देने के लिए बड़े शहरों का रुख करने वाले युवा की कहानी दिखाई है , कि कैसे इलाहाबाद से अपने सपनों उड़ान देने के लिए एक युवा बम्बई जैसे बड़े शहर का रुख करता है। और वहां जा कर लालच उसे जुर्म की दुनिया में फसा देती है। ' आवारा ' और श्री 420 जैसी फिल्मों ने समाज एक शोषित और वंचित वर्ग की हालत से रूबरू कराया। ' श्री 420 ' के डायलॉग में राज कपूर एक कल्पना भी करते हैं - ' एक दिन गरीब आदमी का राज आ जाएगा।'

मेरा जूता है जापानी लेकिन फिर भी दिल है हिंदुस्तानी !

राज कपूर की फिल्में आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं । राज आज भी एक अभिनेता के तौर पर समाज के निचले तबके के नेता हैं। राज आज भी शोषित वर्ग की अगुवाई कर रहे हैं। एक तरफ राज जहां शोषित वर्ग की अगुवाई कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ राज ' श्री 420 '  के इस गाने से समाज के उस वर्ग पर कड़ा प्रहार करने का काम करते हैं जो गैर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने वालों की तुलना राष्ट्रद्रोही से करता है। जिसके बोल हैं - 'मेरा जूता है जापानी, पतलून इंगलिस्तानी, सिर पर लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।' राज वैश्वीकरण द्वारा जनित अंतरराष्ट्रीयवाद‌ और राष्ट्रवाद के बीच समन्वय स्थापित करते हैं।

राज कपूर : द शो मस्ट गो ऑन !

राज ने आज ही के दिन 32 वर्षों पहले दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन राज आज भी अपने प्रशंसकों के दिलों में राज कर रहे हैं। राज कपूर और उनकी फिल्में आज भी समाज में उतनी ही प्रासंगिक हैं। राज को आज भी याद याद किया जाता है और आगे भी किया जाएगा। ' मेरा नाम जोकर ' में कहा भी गया है , ' शो मस्ट गो ऑन '। राज का शो अब भी जारी है।