बेंगलुरु में रैपिडो चालक ने महिला को मारा थप्पड़, वीडियो वायरल होने पर बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगा प्रतिबंध

बेंगलुरु के जयनगर में रैपिडो बाइक टैक्सी ड्राइवर ने तेज रफ्तार की शिकायत पर महिला से मारपीट की। घटना का वीडियो वायरल होने पर पुलिस ने जांच शुरू की और एफआईआर दर्ज करने पर विचार कर रही है।

Publish: Jun 16, 2025, 06:50 PM IST

Photo courtesy: DB
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बेंगलुरु| बेंगलुरु के जयनगर इलाके में रैपिडो बाइक टैक्सी चालक द्वारा एक महिला के साथ की गई मारपीट का मामला सामने आया है। यह घटना शुक्रवार की बताई जा रही है, लेकिन इसका वीडियो अब वायरल हुआ है। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है।

पुलिस के मुताबिक, महिला ने ड्राइवर को तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के लिए टोका था। इसी बात पर दोनों के बीच कहासुनी हुई, जो देखते ही देखते हिंसक झगड़े में बदल गई। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि ड्राइवर ने महिला को थप्पड़ मारा, जिससे वह गिर पड़ी। यह वीडियो एक राहगीर ने रिकॉर्ड किया था, जिसमें कई लोग घटनास्थल पर खड़े नजर आ रहे हैं। पहले महिला ने शिकायत दर्ज कराने से परहेज किया, लेकिन पुलिस के समझाने के बाद उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

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फिलहाल इस मामले में पुलिस ने नॉन-कॉग्निजेबल रिपोर्ट (NCR) दर्ज की है, लेकिन वायरल वीडियो को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने पर भी विचार किया जा रहा है। पूरे मामले की जांच जयनगर थाना पुलिस कर रही है।

इस घटना के बीच आज यानी 16 जून से कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले के विरोध में नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। एसोसिएशन ने दिल्ली, राजस्थान और तेलंगाना की तर्ज पर लाइसेंस, बीमा, ट्रेनिंग और सुरक्षा जैसे स्पष्ट नियम बनाने की अपील की है ताकि सेवाएं सुरक्षित और वैध रूप से चलाई जा सकें।

सरकार ने यह प्रतिबंध कर्नाटक हाईकोर्ट के 13 जून को दिए गए उस फैसले के बाद लगाया है, जिसमें रैपिडो, ओला और उबर मोटो जैसी सेवाओं को अवैध ठहराया गया था। अदालत ने कहा था कि जब तक मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 3 के तहत राज्य सरकार उपयुक्त नियम नहीं बनाती, तब तक निजी दोपहिया वाहनों का व्यावसायिक उपयोग गैरकानूनी माना जाएगा। कोर्ट ने छह सप्ताह में सेवाएं बंद करने और तीन महीनों में नियमन की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में अगली सुनवाई 24 जून को होगी।