पृथ्वी दिवस : मुस्कुरा रही है अपनी धरा
कोरोना और लॉक डाउन ने इंसान को घरों में कैद कर दिया है मगर इंसानी गतिविधियां रूक जाने से पृथ्वी मुस्कुरा उठी है। यह इस बात का संकेत हैं कि हम न सुधरे तो धरा जीने योग्य नहीं होगी।
1. प्रदूषण घटा, प्रकृति खिलखिलाई
प्रकृति कभी समुद्री तूफान तो कभी भूकम्प, कभी सूखा तो कभी अकाल के रूप में अपना विकराल रूप दिखाकर हमें बारम्बार चेतावनियां देती रही है किन्तु जलवायु परिवर्तन से निपटने के नाम पर हमने कुछ नहीं किया। अब कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन में बढ़ते प्रदूषण से कराहती प्रकृति, सूखती धरा व बीमार आकाश को संजीवनी मिली है। कारखाने बंद हैं और गाडिय़ां घरों में खड़ी हैं। पेड़ों का कटना थम गया है तो धूल, धुएं पर रोक के साथ नदियों में औद्योगिक कचरा भी गिरना बंद हो गया है। प्रकृति अपने पूर्ण विन्यास में खिलखिला रही है।