जी भाई साहब जी: निशाने पर ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, ये पॉलिटिक्‍स क्‍या है

E Tender Scam in Madhya Pradesh: कांग्रेस की सरकार गिरा कर बीजेपी में गए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री अलग-अलग कारणों से बीजेपी के नेताओं व कार्यकर्ताओं के निशाने पर हैं। धार के कारम डैम के लीकेज से ई टेंडर घोटाला भी बह‍ कर बाहर आ गया है। जानिए, क्‍या है सिंधिया कनेक्‍शन।

Updated: Aug 17, 2022, 11:35 AM IST

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और समर्थक मंत्री तुलसीराम सिलावट, गोविंद‍ सिंह राजपूत
ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और समर्थक मंत्री तुलसीराम सिलावट, गोविंद‍ सिंह राजपूत

पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में अपने प्रत्‍याशियों को जितवाने में जुटी समूची बीजेपी में कांग्रेस से मुकाबले के अलावा एक स्‍पर्धा और चल रही है। वर्चस्‍व और अस्तित्‍व बचाए रखने की इस प्रतियोगिता में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया खेमा अचानक चर्चा और निशाने पर आ गया है। हाशिए पर चले गए बीजेपी के नेताओं को कहने का मौका मिल गया कि सिंधिया खेमे के कारण पूरी पार्टी की बदनामी हो रही है। 

सिंधिया खेमे के मंत्री अचानक विवादों में कैसे घिरे इसकी पड़ताल करें तो याद आता है कि परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खबरें रोज आम हो रही थीं उस पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का बर्ताव भी बीजेपी नेताओं को रास नहीं आ रहा था। तभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कथित पत्र वायरल हुआ। मुख्‍य सचिव के नाम भेजे गए गडकरी के इस कथित पत्र में मध्‍य प्रदेश में टोल नाकों पर अवैध वसूली का जिक्र था। खत कितना असली था इस पर तो कोई बयान नहीं आया मगर एक्‍शन में आई सरकार ने सिंधिया खेमे के मंत्री के विभाग से सिंधिया के पसंदीदा परिवहन आयुक्‍त को हटा दिया। 

पार्टी में दबे स्‍वर में आरोप लगे कि सिंधिया के पसंदीदा मंत्री के विभाग में भ्रष्‍ट आचरण बढ़ रहा है। यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट चर्चा में आ गए। धार में जल संसाधन विभाग द्वारा बनाया जा रहा कारम डैम पहले लीक हुआ फिर फुट गया। जनता और सामाजक कार्यकर्ता शिकायत करते रह गए लेकिन बांध निर्माण में लापरवाहियों की सुनवाई नहीं हुई। एक बार फिर सिंधिया खेमे के मंत्री का विभाग भ्रष्‍टाचार के आरोपों से घिर गया। 

इन दो मंत्रियों के कारण तो सिंधिया घिरे ही चिकित्‍सा मंत्री प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी ने संगठन को ही चुनौती देते नजर आए। दोनों ने अपने समर्थकों को त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव में मैदान में उतारा और बीजेपी के समीकरण बिगाड़ दिए। बीजेपी के प्रत्‍याशी हार गए और इन नेताओं के समर्थक जीत गए। जनपद, जिला पंचायत में पदाधिकारी बनवाने के बाद इन नेताओं ने अपने समर्थकों को बीजेपी में शामिल करवा दिया। इमरती देवी ने तो गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा के क्षेत्र में अपने समर्थक को अध्‍यक्ष बनावा दिया। वे अपने समर्थकों को लेकर सिंधिया के बंगले पर दिल्‍ली भी जा पहुंची थी।

बीजेपी के स्‍थानीय नेताओं को सिंधिया समर्थक मंत्रियों का यह कदम नागवार गुजरा है। बात संगठन तक पहुंची है। बीजेपी के नेता कहने लगे हैं कि ज्योतिराज सिंधिया के समर्थक मंत्रियों के कारण पार्टी की बदनामी हो रही है और बीजेपी को इससे नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिंधिया समर्थकों के आने से बीजेपी मजबूत हुई या बदनाम बीजेपी की नई पॉलिटिक्स की चर्चा जरूर है। 

कारम डैम: ई टेंडर घोटाले का भ्रष्‍टाचार भी बह कर बाहर आया 

धार के धरमपुरी स्थित कारम नदी पर निर्माणाधीन डैम के टूटने से पानी ही नहीं बहा बल्कि जल संसाधन विभाग का भ्रष्‍टाचार भी बह कर बाहर आ गया है। बांध के निर्माण में भ्रष्‍टाचार की मिट्टी ऐसी पड़ी की डैम मजबूत बना ही नहीं और पहली ही बारिश में बह गया। लोग और सामाजिक कार्यकर्ता कहते रहे कि बांध में मिट्टी का भराव ठीक नहीं हुआ है, लापरवाही की जा रही है लेकन जल संसाधन विभाग के बड़े अधिकारियों से लेकर कलेक्‍टर ने एक न सुनी। अब जांच समिति बताएगी कि बांध टूटने का दोषी कौन है। 

मगर मुद्दा केवल निर्माण में गड़बड़ी का नहीं है। बात तो भ्रष्‍टाचार की है। जलसंसाधन विभाग में धांधलियों का खुलासा ई टेंडर घोटाले की जांच के दौरान हुआ है। खुद सरकार ने विधानसभा में माना है कि धार के इस कारम डैम प्रोजेक्‍ट के टैंडर में गड़बड़ी हुई है। मार्च 2022 के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने ई-टेंडर घोटाले की जांच के संबंध में सवाल पूछे थे। तब जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने लिखित जवाब में कहा था कि मोहनपुरा व कारम सिंचाई परियोजना की जांच ईओडब्‍लयू कर रहा है। इनमें गड़बड़ हुई है।

कारम प्रोजेक्ट का टेंडर एक साल बाद हुआ, लेकिन 2018 में मप्र में हुए ई-टेंडर घोटाले में यह प्रोजेक्ट भी जांच के दायरे में आ गया था। इसे दो साल में पूरा होना था, लेकिन पांच साल बाद भी यह अधूरा है। कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत डैम निर्माण 36 महीने में होना था। कहा गया कि कोरोना के कारण काम बंद होने से डैम समय पर नहीं बन सका। 

आपको याद होगा मप्र में ई-टेंडर घोटाला अप्रैल 2018 में चर्चा में आया था। निविदाओं में टेम्परिंग की बात सामने आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ईओडब्‍ल्‍यू को जांच करने के लिए कहा था। लगभग 3 हजार करोड़ के ई टेंडरिंग घोटाले की जांच में जल संसाधन विभाग की मोहनपुरा और कारम सिंचाई परियोजना के ठेकों में गड़बड़ी होना पाई गई है। इसके बाद आठ कंपनियों के संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अब डैम के बहाने ई-टेंडर घोटाले का मामला फिर गर्मा गया है। रसूखदारोंं के नाम गिनाए जा रहे हैं। देखना होगा कि छोटी म‍छलियां ही हलाल होंगी या समर्थ को भी दोष जाएगा?     

मजाक-मजाक में बीजेपी में बेचैनी 

बीजेपी में इन दिनों शेर आया, शेर आया वाली कहानी सच साबित हो रही है। बीजेपी में इन दिनों कांग्रेस से आया, कांग्रेस से आया... डर फैल रहा है। कांग्रेस सरकार गिरा कर ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और समर्थक बीजेपी में आए थे तब पार्टी में खुशियां मनी थी। सत्‍ता में वापसी का जश्‍न मना लेकिन अब पार्टी में नेताओं अस्तित्‍व का संकट खड़ा हो गया है। बाहरी बनाम मूल का मुद्दा अपनी जगह बना हा है। 

अब कांग्रेस छोड़ कर किसी नेता के बीजेपी में आने की चर्चा भर होती है कि बीजेपी के स्‍थानीय नेता बेचैन हो जाते हैं। ऐसा ही हुआ जब देवास में एक मजाक हुआ और बात राजनीतिक प्रतिरोध तब आ पहुंची। देवास की प्रभारी मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया 15 अगस्‍त को देवास में थीं। यहां पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सज्‍जन सिंह वर्मा कांग्रेस नेताओं के साथ उनसे मिलने गए थे। यहां हास परिहास के दौरान मंत्री सिंधिया ने पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा से पूछ लिया कि आप कांग्रेस में क्‍या कर रहे हैं, बीजेपी में क्‍यों नहीं आ जाते। सज्‍जन सिंह वर्मा ने जवाब दिया कि आ जाऊं लेकिन शिवराज जी नहीं आने दे रहे हैं। इसके बाद कक्ष में ठहाके गूंज उठे थे। 

मजाक मजाक में कही गई इस बात पर बीजेपी की राजनीति गर्मा गई। मंत्री यशोधरा राजे के प्रस्‍ताव पर देवास के बीजेपी सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी ने ऐतराज जताते हुए मोर्चा संभाल लिया। सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी ने सोशल मीडिया पर लिखा - 'एक कांग्रेसी बुजुर्ग मछली भाजपा के शुद्ध तालाब को गंदा कर देगी। हम इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकते'। उन्होंने इसके नीचे अंडर लाइन करते हुए 'प्रभारी मंत्री का प्रस्ताव' रेखांकित भी किया है।

सांसद के इस पोस्ट के बाद राजनीति शुरू हो गई है। सज्जन वर्मा ने इस प्रसंग को सामान्य हंसी ठिठौली बताया था। इसके बावजूद सांसद सोलंकी ने यह पोस्ट कर अपनी नाराजगी सार्वजनिक की। वे मीडिया से भले कुछ भी कह रहे हों, लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्‍ट कर उन्‍होंने जनता और संगठन तक अपनी बात तो पहुंचा ही दी है। 

अफसर की पिटाई वर्चस्‍व की स्‍पर्धा या राजनीतिक बदला 

रीवा की सिरमौर जनपद सीईओ एसके मिश्रा पर जानलेवा हमले में बीजेपी नेताओं के नाम आने के बाद बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का कुत्सित चेहरा सामने आया है। मंगलवार सुबह जनपद सीईओ एसके मिश्रा और सेमरिया से बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी के बीच विवाद का ऑडियो आमने आया था। इसके कुछ घंटों बाद सेमरिया क्षेत्र से बैठक कर लौट रहे सिरमौर जनपद सीईओ एसके मिश्रा की गाड़ी रूकवा कर बदमाशों ने लाठी-डंडों से पिटाई कर दी। बदमाश उन्हें मरा समझकर कचरे के ढेर में फेंकर भाग गए। 

इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने कुछ आरोपियों को पकड़ा है। जनपद सीईओ ने विधायक केपी त्रिपाठी से खुद को जान का खतरा बताया है। पता चला है कि पकड़े गए बदमाशों में बीजेपी पदाधिकारी हैं। आकलन है कि आपसी बातचीत में विवाद होने के बाद ही जनपद सीईओ पर हमला हुआ है। 

राजनीतिक विश्‍लेषक इसे सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी और सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक है दिव्यराज सिंह की आपसी लड़ाई का हिस्‍सा बता रहे हैं। माना जा रहा है कि सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह को अपने जनपद क्षेत्र में केपी यादव की सक्रियता पसंद नहीं आ रही है। अपने क्षेत्र में अफसर पर हुए हमले के बाद विधायक पुष्‍पराज सिंह ने नाराजगी जताई थी और उसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है।

अफसर पर हमला हुआ है, बीजेपी विधायक के साथ हुई बातचीत के ऑडियो में भाषा की सीमा तो टूटी ही थी, हमले ने बाहुबल को भी उजागर कर दिया। इसके पीछे दो विधायकों के बीच क्षेत्र में वर्चस्‍व को लेकर शह मात का खेल भी है। हालांकि एक अफसर पर हुए हमले को लेकर जितना आक्रामक कांग्रेस को होना था उतनी वह दिखाई नहीं दी। सोशल मीडिया पर बयान जरूर जारी हुए मगर मैदान में विरोध के स्‍वर मंद ही रहे। 

क्या काम करेगी कमलनाथ की यह जुगत 

केंद्र में रह कर अपनी तरह की राजनीति करने वाले कमलनाथ ने मई 2018 को जब अध्‍यक्ष के रूप में मध्‍य प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली थी तो संगठन को ताकतवर बनाना उनकी प्राथमिकता थी। सत्‍ता में आने और फिर 2020 में सरकार गंवाने के बाद वे फिर मिशन 2023 की तैयारियों में जुट गए हैं। 

इस बार उनके सामने कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा करने के साथ ही सक्रियता बनाए रखने की चुनौती है। त्रिस्‍तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन से संगठन में उत्‍साह है। इस दौरान कार्यकर्ताओं और नेताओं पर कार्रवाइयों और पुराने मामलों में नोटिस जारी होने पर अफसरों पर सत्‍ता के दबाव में काम करने के आरोप लगे। 

इन आरोपों के बाद कार्यकर्ताओं और अफसरों को संदेश देने के लिए उन्‍होंने एक नंबर और मेल आईडी जारी की है। उन्‍होंने कांग्रेस कार्यकर्ता से कहा है कि इस नंबर व मेल आईडी पर बीजेपी के दबाव में काम कर रहे कर्मचारियों की सूची दें। इस तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह संबल मिलेगा कि नेतृत्‍व ने उनकी बात सुनने की पहल की। दूसरी तरफ, अफसरों पर भी एकतरफा काम न करने का अप्रत्‍यक्ष दबाव समूह कार्य कर सकता है। 

संगठन की मजबूती के लिए जिलों में प्रभारी नियुक्त करने के बाद अब सह प्रभारी की‍ नियुक्ति की जा रही है। क्षेत्र में अधिक समय दे सकने वाले नेताओं को सह प्रभारी बनाया जा रहा है। इन नियुक्तियों के बाद माह के अंत में प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ प्रभारियों व सह प्रभारियों से सीधे बात कर टॉरगेट सौंपेंगे। देखना होगा भोपाल से मिला यह टॉनिक मैदान में कितना काम कर पाता है।