जी भाईसाहब जी: महाराज बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान देगी नाराज बीजेपी
MP Politics: बीजेपी की रीति नीति से खफा हो कर पूर्व मंत्री दीपक जोशी कांग्रेस में क्या गए कि बीजेपी में दर्द का लावा फूट पड़ा। जिन्हें अनुुशासनके नाम पर चुप रखा गया था वे भी बोल रहे हैं। बोल रहे हैं और ज्योतिरादत्यि सिंधिया गुट पर हमला कर रहे हैं। बीजेपी की तीन धाराओं में जब वर्चस्व की लड़ाई होगी तो नुकसान महाराज खेमे को ही उठाना होगा।

पूर्व मंत्री दीपक जोशी का बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में जाना ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे समर्थकों पर हुए तुषारापात की तरह है। यूं तो दीपक जोशी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी नेतृत्व से खफा और पार्टी में अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के अपमान से आहत हैं। मगर उनके बीजेपी छोड़ते ही पार्टी में गुटबाजी का किस्सा छिड़ गया। एक के बाद एक कई नेताओं ने पार्टी के लिए जी तोड़ संघर्ष करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर देने का मामला उठा दिया। ये सभी नेता बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा बदलने से नाराज है। इन्हें कांग्रेस छोड़ कर आए नेताओं का पार्टी में बढ़ता दबदबा तथा कॉपोरेट शैली रास नहीं आ रही है।
पार्टी में गुटबाजी की स्थिति बताने के लिए यह मैसेज चल पड़ा कि मध्य प्रदेश में तीन बीजेपी हैं: शिवराज बीजेपी, महाराज बीजेपी और नाराज बीजेपी। अब तक शिवराज बीजेपी और महाराज बीजेपी का बोलबाला था। अन्य नेताओं का नंबर बहुत दूर होता जा रहा था। संगठन के दम पर शीर्ष नेताओं ने ‘नाराज बीजेपी’ को महत्व ही नहीं दिया था। मगर ज्यों ही दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ी त्यों ही महाराज बीजेपी को तवज्जो मिलने के खिलाफ कई नेता मुखर हो कर बोल पड़े। मालवा क्षेत्र के कद्दावर नेता भंवरसिंह शेखावत ने तो सीधी सीधे सिंधिया खेमे को अधिक तवज्जो देने पर सवाल उठाए। बयानों ने हकीकत दिखानी शुरू की तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने तुरंत प्रदेश भर के नाराज चल रहे नेताओं को भोपाल बुला कर उन्हें मनाने की कोशिश की।
डैमेज कंट्रोल करने के लिए बीजेपी ने नाराज नेताओं को कई तरह के आश्वासन दे दिए हैं। नाराज नेता खुश है लेकिन महाराज बीजेपी में हलचल है। सभी को पता है कि नाराज नेताओं को मनाने के लिए जो आश्वासन दिए गए हैं उनका सीधा असर महाराज बीजेपी पर होगा। अब तक महत्वपूर्ण पद अपने पास रखने के लिए दबाव बनाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे से सर्वाधिक टिकट कटने की संभावना है। खासकर, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी के अधिकाशं कार्यकर्ता और नेता पार्टी में सिंधिया खेमे के आधिपत्य के कारण घर बैठे हैं। ये नेता सक्रिय होंगे तो जाहिर है सिंधिया खेमे को ही नुकसान अधिक उठाना होगा। महाराज बीजेपी जिन सीटों पर तथा पदों पर अपना कब्जा मान रही है, वही नाराज बीजेपी के हिस्से में जाएंगी।
दर्द का ज्वालामुखी फूटने से बीजेपी का ‘घर’ जला
मध्य प्रदेश में दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सारे मोर्चों को साधने की रणनीति बना ली थी। आदिवासी, महिला, युवा, ओबीसी, किसान, कर्मचारी हर तरह के वोटर को साधने के लिए खजाना खोल दिया गया। प्रदेश की सरकार के खिलाफ नाराजगी की बात पता चली तो प्रधानमंत्री मोदी को चेहरा बना दिया गया लेकिन हर जतन करने की कोशिश में बीजेपी अंदरूनी समस्या को भूल गई। लगातार नजरअंदाज किए जाने के बाद जब पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ी तो बीजेपी में अंदर ही अंदर खदबदा रहा असंतोष व उपेक्षा के दर्द का ज्वालामुखी फूट पड़ा।
अब तक जिन नेताओं को अनुशासन के दबाव में चुप करवा दिया गया था वे सभी एक साथ बोलने लगे हैं। भोपाल से सांसद का टिकट कटने के बाद आलोक संजर कुछ नहीं बोले थे मगर अपने दोस्त दीपक जोशी के पार्टी छोड़ देने के बाद उन्होंने भावुक पोस्ट लिखी है। उन्होंने सवाल उठाया कि दीपक तो आलोक का ही रहेगा, दीपक के बिना आलोक? आलोक का क्या होगा? एक अन्य उपेक्षित नेता दीपक विजयवर्गीय ने लिखा कि जिम्मेदारों की बेहोशी औऱ मदहोशी के कारण ही संकट पैदा होते हैं।
दीपक जोशी को मनाने का जिम्मा दिन रघुनंदन शर्मा को दिया गया था, उन्होंने ही टिप्पणी की कि पार्टी में संवादहीनता की स्थिति है जो हमेशा नुकसान पहुंचाती है। इन तथा ऐसे और नेताओं की नाराजगी मार्च 2020 से ही कायम है। अंतर इतना था कि अब तक ये अनुशासन के नाम पर इन नाराजगी को दबा दिया गया था मगर ज्यों ही दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ी बीजेपी में असंतोष का ज्वालामुखी फूट पड़ा, पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा।
जो लोग कह रहे थे कि एक दीपक जोशी के जाने से कुछ नहीं होता, वे ही अब चिंता कर रहे हैं कि दीपक ने सबके लिए राह खोल दी है। कहीं कर्नाटक मध्य प्रदेश में दोहरा दिया गया तो बीजेपी का संकट गहरा जाएगा, वह कैसे सबको खुश करेगी।
तुष्टिकरण के खिलाफ अस्मिता और सम्मान की लड़ाई
मिशन 2023 को फतह करने के लिए जारी कोशिशों में मध्य प्रदेश का राजनीति मुहावरा बदल गया है। बीजेपी कभी कांग्रेस पर तुष्टिकरण के आरोप लगाती थी और अस्मिता व सम्मान की लड़ाई की बात करती थी। महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए लाड़ली बहना योजना लाई बीजेपी सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं और कांग्रेस की योजना को नारी अस्मिता व सम्मान से जोड़ दिया गया है।
सरकारी आंकड़ा है कि सवा करोड़ महिलाओं ने लाड़ली बहना योजना के लिए पंजीयन करवाया है। लेकिन उम्र व आय की सीमा, विवाहित होने की अनिवार्यता, सर्वर समस्या जैसे कारणों से कई महिलाएं इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह गई। कांग्रेस ने चुन-चुन कर महिलाओं को लाभ देने की बीजेपी सरकार की नीति की आलोचना करते हुए इसे नारी शक्ति का अपमान और तुष्टिकरण की नीति बताया है।
लाड़ली बहना योजना को मात देने के लिए कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना लांच कर दी है। लाड़ली बहन योजना की विसंगतियों को दूर करने का दावा कर रही कांग्रेस का मानना है कि उसकी नारी सम्मान योजना महिलाओं को अधिक पसंद आएगी। कांग्रेस इस योजना के तहत महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए देने का वादा कर रही है। नारी सम्मान योजना में उम्र का कोई बंधन नहीं होगा। इसका फार्म भी तुलनात्मक रूप से आसान बनाया गया है। कांग्रेस नेता मान कर चल रहे हैं कि नारी सम्मान योजना आ जाने के बाद तस्वीर बदलेगी। जिस लाड़ली बहना योजना को गेम चेंजर कहा जा रहा था वह बीजेपी का ही गेम बदल कर रख देगी।
पीएम मोदी के मुकाबले प्रियंका गांधी, करार जवाब होगा
बीजेपी को कई अंदरूनी सर्वे में जानकारी मिली है कि प्रदेश में पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है। जनता तो ठीक उसके कार्यकर्ता ही नाराज बैठे हैं। ऐसी तस्वीर को देखते हुए बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहारा लिया है। वह मोदी का चेहरा सामने रख कर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी है। इसी रणनीति के तहत राजनीतिक भूगोल के अनुसार लगभग हर माह प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रो में प्रधानमंत्री मोदी की सभाएं हो रही हैं। विंध्य क्षेत्र की राजनीति को साधने के लिए अपैल में रीवा आए प्रधानमंत्री मोदी अब जून में बुंदलेखंड में सभा करेंगे।
पीएम मोदी की इन यात्राओं को देखते हुए अपना पलड़ा भारी करने के लिए कांग्रेस प्रियंका गांधी को मैदान में उतार रही है। संगठन महाकौशल क्षेत्र में प्रियंका गांधी की बड़ी सभा की तैयारी कर रहा है। कांग्रेस नेता खुश हैं कि मोदी के मुकाबले में प्रियंका के आने से कांग्रेस की स्थिति और मजबूत हो जाएगी। मालवा निमाड़ क्षेत्र से तो भारत जोड़ो यात्रा गुजरी थी लेकिन महाकौशल क्षेत्र में कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ है।
विंध्य के राजनीतिक समीकरणों को कांग्रेस अपने लिए मुफीद मान रही है। इसीलिए महाकौशल में प्रियंका गांधी की सभा करवाई जा रही है। जाहिर है, प्रियंका गांधी महाकौशल क्षेत्र में सभा करेंगी तो उसकी गूंज विंध्य, बुंदेलखंड तक पहुंचेगी ही।