जी भाईसाहब ही: बीजेपी में बजेंगे ढोल, वीडी शर्मा के भविष्य पर मौन
MP Politics: यदि सबकुछ तय कार्यक्रम के अनुसार हुआ तो 1 जुलाई की शाम को बीजेपी कार्यालय में नए अध्यक्ष की घोषणा का जश्न मनेगा। संगठन की इन गतिविधियों के बीच एक सवाल उठ रहा है कि निर्वतमान अध्यक्ष वीडी शर्मा का अब क्या होगा?

लंबे समय से ‘प्रभारी’ अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे एमपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का इस पद पर आज आखिरी दिन है। यूं तो बीजेपी ने दो दिन की चुनावी प्रक्रिया की घोषणा की है लेकिन जिस तरह की स्थितियां है, मतदान की नौबत नहीं आएगी और संगठन द्वारा तय नेता का ही नामांकन होगा। एकल नामांकन होने के कारण अध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन संभावित है। तमाम नामों के बीच में बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे आगे हैं। हेमंत खंडेलवाल के नाम पर लगभग सभी नेताओं की सहमति है। मंगलवार को विधायक हेमंत खंडेलवाल की सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि वे ही एमपी बीजेपी के नए अध्यक्ष होंगे।
यदि सबकुछ ऐसा ही हुआ तो 1 जुलाई की शाम को बीजेपी कार्यालय में नए अध्यक्ष की घोषणा का जश्न मनेगा। संगठन की इन गतिविधियों के बीच एक सवाल उठ रहा है कि निर्वतमान अध्यक्ष वीडी शर्मा का अब क्या होगा? मध्य प्रदेश बीजेपी के 45 वर्ष के इतिहास में सांसद वीडी शर्मा इकलौते ऐसे नेता है जो सबसे लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर दो बार प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं लेकिन वीडी अकेले ऐसे प्रदेश अध्यक्ष हैं जो एक ही पारी में पांच साल अध्यक्ष रहे। वे फरवरी 2020 में अध्यक्ष बनाए गए थे। उसके बाद विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान वे ही अध्यक्ष बने रहे। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। जाहिर है, इसका श्रेय वीडी शर्मा के नेतृत्व को भी दिया गया।
उनके कार्यकाल को देखते हुए माना जा रहा था कि वे केंद्र में मंत्री बनाए जाएंगे। यही उनके कार्य का सम्मान भी होगा लेकिन फिलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं है। 5 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे वीडी शर्मा के भविष्य को लेकर कयास जरूर लगाए जा रहे हैं लेकिन पार्टी की ओर से अभी सन्नाटा ही है। संभव है कुछ समय बाद उन्हें नई जिम्मेदारी मिले तब तक केवल कार्यसमिति में आमंत्रित सदस्य बने रहे सकते हैं। सत्ता में आने के लिए वीडी शर्मा को इंतजार करना पड़ सकता है।
मुख्य सचिव ने करवाई मोहन के मंत्री के भ्रष्टाचार की जांच
मध्य प्रदेश की राजनीतिक हलके में आदिवासी मंत्री संपतिया उइके पर जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ रुपए की घूसखोरी का आरोप लगा और पीएम कार्यालय से जांच के आदेश मिले। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ इस आरोप पर उनके विभाग के प्रमुख अभियंता ने जांच के आदेश दिए।
इस आदेश के वायरल होते ही राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर घिर गई। खासबात यह है कि मंत्री के खिलाफ शिकायत हुई, लोकायुक्त ने इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की जबकि मंत्री का विभाग ही जांच में जुट गया। मामला खुला और सरकार घिरी तो प्रेस नोट जारी कर सफाई दी गई कि शिकायत निराधार है। यह भी कहा गया कि जांच नहीं की गई बल्कि आरटीआई आवेदन का जवाब दिया गया।
स्पष्टीकरण जो भी हो मुद्दा यह है कि सरकार की मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और खुद उनका विभाग जांच करने में जुट गया। बात केवल इतनी नहीं है। आवेदन मुख्य सचिव तक पहुंचा था और उन्होंने ही जांच की अनुशंसा की थी। यह प्रशासनिक लापरवाही का मुद्दा भी हो सकता है और भ्रष्टाचार पर सख्त एक्शन लेने की मंशा का कदम भी हो सकता है। यह चर्चा आम है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है। दोनों के बीच कई निर्णयों पर मतभेद हैं और इस तनाव के कारण कई मामले अटके हुए हैं।
ऐसे में मोहन सरकार की मंत्री संपतिया उइके पर भ्रष्टाचार की शिकायत पर विभाग के एक अफसर द्वारा जांच करवाने का आदेश देना मंत्री और विभागीय अफसरों में दूरियों का संकेत है। जांच के लिए आवेदन मुख्य सचिव अनुराग जैन की अनुशंसा के बाद ही विभाग के विभिन्न अफसरों से होता हुआ ईएनसी तक पहुंचा था। इसका अर्थ यह निकाला गया कि सरकार के कामकाज पर मुख्यसचिव की निगरानी है। भ्रष्टाचार की शिकायत हुई तो वे मंत्री को भी राहत नहीं देंगे।
शिवराज सिंह की सक्रियता के मायने क्या हैं?
कभी मध्य प्रदेश की राजनीति में रहने की इच्छा जताने वाले और मध्य प्रदेश में रहने के हर संभव प्रयास करने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक फिर राजनीतिक रूप से प्रदेश में बेहद सक्रिय हुए हैं। बीते दिनों वे इंदौर पहुंचे तो अपने पुराने मित्र और कभी राजनीतिक प्रतिस्पर्धी नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मिले। यह मुलाकात सामान्य नहीं थी बल्कि आम मुलाकातों से कई मायने में अलग थी।
खबरें बताती हैं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले ही फोन कर कैलाश विजयर्गीय का समय मांग लिया था। इस मुलाकात के लिए कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर से बाहर जाने का अपना कार्यक्रम टाला। बाद में दोनों नेता मिले और एक बंद कमरे में बातचीत की। इस दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर सहित अन्य नेता बाहर इंतजार करते रहे। इस मुलाकात के बाद शिवराज सपत्नीक कैलाश जी के घर भोजन करने भी गए। लंबे समय बाद कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह चौहान के बीच यह हुई यह मुलाकात कई मामलों में अलग थी और इसीकारण एकदम चर्चा में आ गई।
इंदौर यात्रा के दौरान शिवराज विधायक मालिनी गौड़ के निवास पर गए थे। वहां भी बीजेपी नेताओं ने उनकी जोशीली अगवानी की। मूंग दाल खरीद मामले में किसानों का साथ देने वाले शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र में बन प्रस्तावति पटेल अभ्यारण रूकवाने के लिए आदिवासियों के साथ सीएम हाउस तक गए। उनकी मंशा के अनुसार अभ्यारण बनाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया गया है। लेकिन इन कदमों से शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक सक्रियता की मंशा और परिणाम का आकलन किया जा रहा है।
एक तर्क दिया जा रहा है कि बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन होना है। इस पद के लिए शिवराज सिंह चौहान भी दावेदार हैं। इसलिए उनकी सक्रियता बढ़ गई है। दूसरा तर्क है कि वे मध्य प्रदेश में अपनी स्थिति को कम नहीं होने देना चाहते हैं। इसीलिए वे राजनीतिक, सामाजिक और हर महत्वपूर्ण मामले पर अपना दखल बना कर रखते हैं। हालिया सक्रियता इसी महत्व को जाहिर करने की कवायद है।
रोके जाने लगे हैं मंत्रियों के रास्ते
प्रदेश में कई जगह कई तरह की समस्याओं से जनता परेशान हैं। इंदौर देवास रोड़ पर जाम के कारण तीन लोगों की जान गई तो पदोन्नति में आरक्षण, ई अटेंडेंस को लेकर कर्मचारी मैदान में हैं। प्रदेश में अपराध बढ़ ही रहे हैं। पहले जलसंकट ने परेशान किया अब बारिश की शुरुआत में ही कई तरह की दिक्कतें खड़ी हो गई। इन परेशानियों से जनता का धैर्य चूक रहा है।
सीहोर जिले के इछावर में जल संवर्धन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का खेरी गांव में रास्ता रोक दिया गया। खेरी निवासी लंबे समय से सड़क बनाए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। मौका मिला तो ग्रामीणों ने मंत्री को ही रोक दिया। महिलाएं इतनी नाराज थीं कि मंत्री को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए अड़ गईं। आखिरकार राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा को अपनी कार से निकलकर बाहर आना पड़ा। ग्रामीणों को एक बार फिर आश्वासन मिला है।
दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का रास्ता रोका गया। लेकिन यह काम जनता नहीं बल्कि बीजेपी नेता ने किया था। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देरी आए थे। उनके समय को देखते हुए बीजेपी नेता शैतान सिंह पाल ने केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को टोक दिया। इससे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक नाराज हो गए। उन्हें मनाने के प्रयास हुए लेकिन वे नहीं माने।
सीहोर में जनता ने मंत्री का रास्ता रोका था तो टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री का रास्ता राजनीति ने रोक दिया। पार्टी में जारी अंदरूनी कलह और वर्चस्व का संघर्ष कई बार मुख्यमंत्री के सामने भी उभरा है। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को टोका जाना भी ऐसे राजनीतिक पगबाधा का उदाहरण है।