जी भाईसाहब जी: बेबाक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने खोल दिया सरकार का राज 

MP Politics: कोई अन्‍य मंत्री होता तो उसे इस बयान पर संगठन और सत्‍ता दोनों की ओर से उसे नसीहतें मिल चुकी होती। लेकिन यहां तो मामला बेबाक-और बिंदास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का है। उन्‍होंने सरकार का सच साफगोई उजागर कर भी दिया और इसके लिए वे निशाने पर भी नहीं आए।

Updated: Dec 24, 2025, 06:55 AM IST

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय आपने बिंदास व्‍यवहार के लिए जाने जाते हैं। बीते कुछ दिनों से वे अपने कटाक्ष, साफगोई और खरी-खरी कही के लिए सुर्खियां बन रहे हैं। पांच दिवसीय छोटे से शीतकालीन सत्र में कई मौके ऐसे आए जब संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सत्‍ता व विपक्ष दोनों पक्षों के विधायकों की चुटकियां लीं। उनके कहे पर विधानसभा में ठहाके भी गूंजे और प्रत्‍यूत्‍तर भी आए। इतना ही नहीं विधानसभा के एक दिनी विशेष सत्र में विकसित मध्य प्रदेश पर जारी चर्चा के बीच मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ओर इशारा कर मुस्कुराते हुए कहा कि आज सीएम साहब तो सूट-बूट में आए हैं और हम लोग गरीब जैसी वेशभूषा में बैठे हैं। उनके इतना कहते ही जोरदार ठहाके सुनाई दिए। 

इसके पहले वे सीएम डॉ. मोहन यादव के इंदौर के प्रभारी मंत्री न होने के मामले पर अधिकारियों के बहाने सीएम पर टिप्‍पणी कर चुके थे। अब बतौर मंत्री वे कह रहे हैं कि चुनाव जीतने के लिए की गई घोषणाएं अब सरकार पर भारी पड़ रही हैं। नगरीय विकास की क्षेत्रीय बैठक में मध्‍य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पूर्व में कई घोषणाएं राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई थीं। अब उन घोषणाओं को पूरा करना बड़ी चुनौती बन गया है। उन्‍होंने साफ किया कि शहरी विकास से जुड़ी कई योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से पर्याप्त बजट चाहिए। उनके कहे का अर्थ यह है कि कुछ चुनावी घोषणाओं को पूरा करने में सरकार का पूरा बजट बिगड़ गया है। अब विकास की अन्‍य योजनाएं तब पूरी होंगी जब केंद्र सरकार और पैस देगा।

2023 के विधानसभा चुनाव की गेम चेंजर कही जाने वाली लाड़ली बना योजना को चलाए रखने के लिए सरकार को बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा है। इस योजना पर बजट की आपूर्ति के लिए अन्‍य क्षेत्रों का बजट काट दिया गया है। ऐसे में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने हरफनमौला अंदाज में सरकार की बड़ी समस्‍या को उजागर कर दिया है। उन्‍होंने केंद्र से पर्याप्‍त सहायता न मिलने के दर्द को उजागर कर दिया है जिसे सरकार खुल कर कह नहीं पा रही है।  

चेहरा चमकाने निकली मंत्री को मिली फटकार 

नगरीय प्रशासन राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी नेकी करने गई थीं लेकिन यह नेकी करना उल्टे उन्‍हें भारी पड़ गया। राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी के भाई और बहनोई गांजा तस्करी मामले में पकड़े गए हैं। इसके बाद मंत्री प्रतिमा बागरी पर अपराधी प्रवृत्ति के रिश्‍तेदारों को प्रश्रय देने का आरोप है। विपक्ष ने तो ये आरोप लगाए ही थे जब मीडिया ने गांजा तस्‍करी में पकड़े गए व्‍यक्ति के संबंध में सवाल किया तो राज्‍य मंत्री प्रतिमा बागरी भड़क गई थीं। उन्‍होंने मीडिया पर ही आरोप लगा दिया कि वह गलत बातें फैला रहा है। 

राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी का यह व्‍यवहार जब खबरों में आया तो बीजेपी संगठन ने उन्‍हें हिदायत देते हुए साफ किया था कि उनका व्‍यवहार बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं था। मामले के कुछ दिनों बाद वे सतना में विभाग के कामकाज के औचक निरीक्षण के लिए पहुंच गई। उन्‍होंने एक सड़क का काम घटिया गुणवत्‍ता का पाया तो ठेकेदार के प्रति आक्रोश जताया। सड़क का निर्माण कार्य देखते और खराब गुणवत्‍ता पर जाने पर आक्रोशित होने का वीडिया वायरल हुआ। 

बात मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंची। राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी उम्‍मीद कर रही होंगी कि उन्‍हें इस काम के लिए संगठन और मुखिया की ओर से शाबाशी मिलेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक के बाद राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी से बात की तथा उन्‍हें अपना व्‍यवहार सुधारने की हिदायत दे दी। उन्‍हें कहा गया कि वे मंत्री हैं तो मंत्री की तरह कार्य करें, विपक्ष के नेता की तरह व्‍यवहार न करें। इस फटकार के बाद राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी चुप हो गई हैं। उन्‍होंने सीएम से मुलाकात के बारे में कोई बात नहीं की और न ही कोई बयान दिया। संभव है संगठन ने कहा होगा कि बड़ी मुश्किल से भाई के मामले में उन्‍हें बचाया जा रहा है, बेहतर है कि वे सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी न करें। इस दो टुक के बाद वे चुप्‍पी साध चुकी हैं। 

एक और पार्टी की पॉलिटिक्‍स का भविष्य

मोटे तौर पर बीजेपी की समर्थक करणी सेना ने हरदा में प्रदर्शन के बाद नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के बाद प्रदेश में राजनीतिक समीकरणों का भविष्‍य जांचा जाने जाने लगा है। आमतौर पर जातीय राजनीति स्‍वहित आधारित होती है। जातीय, धर्म, भूगोल आधारित संगठन का लक्ष्‍य केवल अपनी मांगें मंगवाने तक सीमित होता है और इन्हीं मांगों के लिए वे दबाव समूह का कार्य करते हैं। करणी सेना भी राजपूतों का ऐसा संगठन है जो अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए दबाव समूह की तरह ही कार्य करता है। 

हरदा में 21 सूत्री मांगों को लेकर चल रहा आंदोलन 2 मांगों के पूरी होने के साथ भले ही खत्म कर दिया गया है। लेकिन बची हुई 19 मांगों को लेकर करणी सेना ने सर्व धर्म समाज के साथ दिल्ली मे आंदोलन करने की घोषणा की है। करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा है कि हरदा का आंदोलन भले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ेंगे। करणी सेना अब अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएगी और विधानसभा और लोकसभा में अपना प्रत्याशी भेजेगी। करणी सेना अपने मूल मकसद को जिंदा रखते हुए जन आंदोलन करेगी ताकि लोगों के हक की लड़ाई लड़ी जा सके। अब आगे की राह दिल्ली से तय होगी। संगठन प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि हमारी मांगों पर कोई बात करने वाला नहीं है, हमारी बातों को सदन में उठाने वाला कोई नहीं है, इसलिए राजनीतिक दल बनाना जरुरी है। 

यह कोई पहला मामला नहीं है। अतीत में भी ऐसे प्रेशर ग्रुप ने स्वयं को राजनीतिक दल बना कर मैदान में उतारा है मगर वे अपना प्रभाव भी सतत् बनाए नहीं रख पाए। बीते चुनावों में जयस जैसे आदिवासी संगठन भी चुनाव मैदान में उतरे थे। शुरुआती सफलता के बाद ऐसे मुद्दा आधारित संगठनों के लिए चुनावी सफलता को बरकरार रखना और आगे बढ़ाना संभव नहीं होता है। करणी सेना अपनी समस्‍या का हल चुनावी राजनीति में खोज रही है। अब उसका अगला कदम ही तय करेगा कि उसकी यह घोषणा आक्रोश से उपजी केवल तात्कालिक प्रतिक्रिया है या वह अपनी राजनीतिक यात्रा को लेकर कुछ गंभीर भी है। अगर गंभीर राजनी‍तिक निर्णय न हुए तो वह भी अन्‍य नई नवेली राजनीतिक पार्टियों की तरह तीसरा कोण बनने की कोशिश में खो कर रह जाएगी।    

अपनी फजीहत रोकने शिवराज सिंह चौहान की बुराई भली 

प्रदेश में किसानों का खाद के लिए परेशान होना कोई नई बात नहीं है। बीते कई सालों से किसान खाद पाने के लिए रात-रात भर लाइन लगा कर खड़े होते हैं, भूखे-प्‍यासे रहते हैं और फिर भी जरूरत जितना खाद नहीं मिलता है। सरकार हर बार इस सच से मुंह चुराती रही है। लेकिन इस बार तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आधिकारिक रूप से बता दिया है कि मध्य प्रदेश खाद वितरण गड़बड़ी में तीसरे स्थान पर है। यह जानकारी लोकसभा में आंकड़े प्रस्तुत कर दी गई है। 

हकीकत खुली जरूर लेकिन मध्‍य प्रदेश सरकार ने अपने ही मंत्री की लोकसभा में कही गई बात को कोरा झूठ साबित करने की कोशिश की। जब मीडिया ने खाद वितरण की गड़बड़ी और केंद्र के आंकड़ें पर प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना से सवाल किया तो वे बिफर गए। अपने विभाग और अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही झूठा बता दिया। उन्‍होंने कहा कि खाद गुणवत्ता या वितरण में कहीं गड़बड़ी या कमी नहीं है। खाद वितरण केंद्रों में लग रही लंबी लाइन और किसान को खाद नहीं मिलने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'यह सब प्री प्‍लान्‍ड होता है। आप अच्छे से जानते हैं कि यह वीडियो कैसे आते हैं। 100 लोगों के बीच 4 लोग घुसा दिए जाते हैं जो हो-हल्ला करते हैं, कोई थप्पड़ देता है। यह सब प्रीप्लान है और हमारे किसानों को गुमराह करने की साजिश है।'

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में सच स्‍वीकार कर लिया लेकिन प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना की मजबूरी यह कि अगर सच स्वीकार कर ले तो जवाब क्या दें? खाद वितरण की अव्‍यवस्‍था स्‍वीकार कर ली और समस्‍या सुलझा न पाए तो कुर्सी चली जाएगी। इसलिए लापरवाही स्‍वीकार करने की जगह अपने नेता को गलत बताना बेहतर है।