जी भाई साहब जी: क्‍या गुल खिलाएगी शिवराज चौहान और जेपी नड्डा की मुलाकात

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भोपाल यात्रा के बाद एमपी में सत्‍ता परिवर्तन के कयास जारी हैं। इन्‍हीं कयासों के बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली यात्रा पर है. देखना होगा कि यह मुलाकात क्‍या मुखिया बदलेगी या मुखिया की टीम। 

Updated: Aug 30, 2022, 06:34 AM IST

शिवराज  सिंह चौहान और बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा
शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा

राजनीति क्षेत्र में यह धारणा स्‍थापित होती जा रही है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जिस राज्‍य में जाते हैं वहां राजनीतिक समीकरण बदल जाते हैं। इसी स्‍थापना के तहत माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 के पहले मध्‍य प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन होने जा रहा है। यहां तक कहा जाने लगा है कि केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को प्रदेश में भेजा जा रहा है। 

इन सब कयासों को पिछले कुछ समय में हुई घटनाओं ने हवा दी है। जैसे, इंदौर में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के घर जा कर मुलाकात करना। शाह की यात्रा के दौरान मुख्‍यमंत्री चौहान की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होना। गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा का दिल्‍ली जाना। फिर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुलाकात।

अब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को दिल्‍ली जा रहे हैं। इसके पहले दो दिनों तक वे विभिन्‍न मंदिरों में पहुंचे हैं। दतिया के पीताम्बरा पीठ पहुंचकर उन्होंने देवी आराधना की। वाराणसी के मीरजापुर में विंध्यवासिनी देवी के दर्शन किए। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देवी अहिल्या बाई होलकर की प्रतिमा के सामने भी नमन किया। अब शिवराज मंगलवार को दिल्ली जा रहे हैं। इस आराधना और दिल्ली दौरे से सियासत की लहरों को गिनने का प्रयास हो रहा है। 

मध्‍य प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन के आसार कम दिखाई दे रहे हैं, मंत्रिमंडल विस्‍तार की संभावना अधिक है। अभी शिवराज मंत्रिमंडल में चार सीट खाली है। महसूस होता है कि यह सारी कवायद इन चार सीटों को भरने और काम में बदलाव कर मौजूदा मंत्रियों को संकेत देने के लिए हो रही है।  

संसदीय बोर्ड से हटने के बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहली बार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल रहे हैं। इस मुलाकात के मंतव्‍यों को समझते हुए मंत्री बनने का इंतजार कर रहे नेताओं में खलबली है। पार्टी ने लंबे समय से अजय विश्नोई, राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, संजय पाठक, सीताशरण शर्मा, रमेश मैंदोला जैसे नेताओं को नजरअंदाज कर रखा है। ये मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार हैं। मुख्‍यमंत्री चौहान के समक्ष क्षेत्रीय संतुलन साधने की भी चुनौती है। पूर्व मंत्री अजय विश्‍नोई मंत्रिमंडल में महाकौशल क्षेत्र के कम प्रतिनिधित्‍व पर कई बार खुल कर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। बीजेपी जानती है कि मिशन 2023 में इन नेताओं की नाराजगी भारी पड़ सकती है। संभव है कि इस नाराजगी को दूर करने के लिए जल्‍द चार सीटों पर नए मंत्री दिखाई दें। 

मध्‍य प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन की खबरें बीते दस सालों में कई बार उड़ी हैं। मंत्रिमंडल विस्‍तार को लेकर भी कई बार प्रयास हुए हैं। देखना होगा कि इस बार उठी ये हवाएं किसी निष्‍कर्ष तक पहुंचेंगी या सतही तूफान साबित होंगी। 

प्रीतम लोधी के तीखे तेवरों के पीछे कौन सी राजनीति  

ओबीसी मतदाताओं के दम पर सत्‍ता में काबिज रहने वाली बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा का एक निर्णय चर्चा में हैं। ब्राह्मणों पर विवादित बयानों के कारण जब ओबीसी नेता प्रीतम लोधी को पार्टी से बाहर किया तो इसे साहसिक निर्णय माना गया। कहा गया कि इस तरह पार्टी ने अपने एक और वोट बैंक ब्राह्मणों की नाराजगी को कम कर लिया है। मगर प्रीतम लोधी जिस तरह से तीखे तेवर दिखला रहे हैं और ओबीसी के साथ दलितों को एकजुट कर रहे हैं, बीजेपी के लिए अपना ही निर्णय भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।  

ब्राह्मणों को लेकर दिए गए प्रीतम लोधी के बयान से राजनीति गर्माई तो नुकसान से बचने के लिए प्रीतम लोधी से किनारा कर लिया। इस निर्णय से प्रीतम लोधी चुप नहीं बैठे बल्कि आक्रामक हो गए। उन्‍होंने शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, टीकमगढ़ के बाद करैरा में ताकत दिखाई है। उनके पक्ष में ओबीसी महासभा के साथ बहुजन समाज इकट्ठा हो रहा है। प्रीतम लोधी ने कहा है कि उनके समर्थन में अभी तो ब्लॉक और तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन अब हर जिले स्तर पर भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

ये प्रदर्शन हिंसक भी हो रहे हैं। भिंड जिले में लोधी समाज की विरोध रैली में उपद्रव हुआ। रैली में शामिल लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। इसमें पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस वाहन के आगे बम धमाका भी हुआ। यह रैली बिना अनुमति निकाली गई थी। 

ग्‍वालियर क्षेत्र में ही दलित हिंसा भी हुई थी, वहीं अब ओबीसी व दलित के बीच नए समीकरण बन रहे हैं। सवाल यह उठ रहे हैं कि बीजेपी के लिए चुनौती बन रहे प्रीतम लोधी को ताकत कहां से मिल रही है? यह बीजेपी की अंदरूनी ओबीसी राजनीति का हिस्‍सा तो नहीं है? उमा भारती ओबीसी नेता है। प्रीतम लोधी उनके करीबी रिश्‍तेदार हैं। क्‍या यह आंदोलन उमा भारती को साइड लाइन कर दिए जाने का परिणाम है? 

उमा भारती के बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में बीजेपी के ओबीसी नेता हैं। ओबीसी आरक्षण के मामले में शिवराज सिंह चौहान उनके समर्थक मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पूरा मोर्चा संभाला है। इस राजनीतिक की परतों को तलाशें तो ओबीसी बनाम ब्राह्मण की यह राजनीति प्रदेश में सत्‍ता सूत्र अपने हाथ में रखने की नीति का भी हिस्‍सा हो सकती है। ओबीसी आंदोलन की दिशा इन रहस्‍यों से पर्दा हटा देगी। 

स्पॉन्सर्ड बेरोजगारी कह कर बची सांसद, सरकार कैसे बचें 

प्रदेश के युवा बेरोजगारी से परेशान हैं। तमाम घोषणाओं के बाद भी नौ‍करियां मिल नहीं रही हैं। चयन का प्रमाण पत्र लिए युवा बरसों से भटक रहे हैं लेकिन सरकार उन्‍हें नियुक्ति पत्र नहीं दे पा रही है। एमपी पीएससी जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा 2019 के बाद हो नहीं सकी है। ऐसे में सरकार रोजगार मेले लगा कर युवा आक्रोश को कम करने का जतन कर रही है मगर कितनों को काम मिला इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। 

ऐसे ही एक रोजगार मेले में बेरोजगार युवा ने सीधी सांसद नीति पाठक से सवाल किया तो वे इसे प्रायोजित सवाल बताते हुए आगे बढ़ गई। मामला सिंगरौली जिले के एनसीएल अम्लोरी स्थित कल्याण मंडप में रोजगार मेले का है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि सीधी-सिंगरौली सांसद रीति पाठक को रोक कर आयुष दुबे नामक युवक ने बेरोजगारी को लेकर सवाल करने की कोशिश की। वीडियो में दिख रहा है कि सांसद ने उसे एक तरफ कर दिया और खुद गाड़ी में बैठ गईं। 

आयुष दुबे ने कहा कि पढ़ लिखकर बेरोजगार घूम रहा हूं। जबकि सिंगरौली जिले में कई औद्योगिक कंपनी के प्लांट लगे हैं। इसके बावजूद यहां बेरोजगारी चरम सीमा पर है। उसने सांसद से शिकायत की है कि रोजगार मांगने पर कंपनी के मैनेजर 70 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक की रिश्वत की मांग करते हैं। रिश्वत नहीं देने पर कंपनी में नौकरी नहीं देते हैं। इस आरोप पर सांसद रीति पाठक भड़क गईं। उन्‍होंने युवक के सवालों को विरोधियों की साजिश करार दिया। 

सांसद तो एक बेरोजगार युवक के सवालों पर कन्‍नी काटते हुए चली गई। मगर सरकार तो सं मैदान में उठ रहे इन सवालों से संकट में है। मिशन 2023 और 2024 तैयारी में जुटी बीजेपी का तनाव बढ़ गया है। इस नाराजगी ने निपटने के लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 29 अगस्‍त को ट्वीट किया कि वे 4 सितंबर 2022 को मध्यप्रदेश के चयनित 18 हजार शिक्षकों को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे। उनके इतना लिखते ही सोशल मीडिया पर बेरोजगार मुख्‍यमंत्री से नौकरी और अधिकार मांगने लगे। ये हांडी के चावल की तरह एक उदाहरण है कि युवाओं में कितना आक्रोश है। सरकार इस आक्रोश को शांत करने के तरीके खोज रही है। 

जिलाध्यक्ष बदल कर कमाल कर पाएगी कांग्रेस?

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जिला अध्यक्षों को बदल कर संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। उन्हें उम्मीद है कि चेहरा बदलने कर मैदान में कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाई जा सकेगी। इसीलिए विधायकों ने जिला अध्यक्ष पद त्याग दिए हैं। 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू कर दिया गया है। विधायक और मुरैना जिला ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश मावई के बाद विधायक रतलाम के अध्‍यक्ष हर्ष विजय गहलोत, खरगोन की झूमा सोलंकी और अनूपपुर जिले के अध्यक्ष फुन्देलाल मार्कों ने भी इस्तीफा दे दिया है। कुछ समय पहले जीतू पटवारी भी मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। 5 साल से अधिक समय से अध्यक्ष पद पर काबिज अध्यक्षों की छुट्टी करने की तैयारी है। इस फार्मूले से खंडवा, बुरहानपुर, इंदौर, भोपाल, रीवा, खरगोन, अनूपपुर, मुरैना जिलाध्यक्ष बदला जाना तय है। 

जिला संगठन मंत्रियों की नियुक्ति कर उन्‍हें बूथ से लेकर मंडलम्, सेक्टर तक के संगठन की गतिविधियों को संचालित करने का काम दिया जाएगा। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार संगठन को सक्रिय करने के लिए सर्वमान्य नेताओं को फ्रंट पर लाने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्‍य प्रदेश में आने से संगठन में नई सक्रियता की उम्‍मीद की जा रही है। भोपाल में हुई बैठक में जिला प्रभारियों जिम्‍मेदारी दी गई कि वे संगठन को मजबूत करें। 

संगठन में सुधार के कमलनाथ के ये फार्मूले कांग्रेस के लिए कितना मुफीद साबित होंगे यह तो मिशन 2023 के परिणाम ही बताएंगे।