जबलपुर धान घोटाला के एक माह बाद भी मुख्य आरोपी फरार, जांच की धीमी रफ्तार पर उठे सवाल

जबलपुर में 30 करोड़ से ज्यादा के धान घोटाले का एक महीना बीतने के बाद भी मुख्य आरोपी अब तक फरार हैं। 74 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर के बावजूद केवल एक दर्जन गिरफ्तारियां हुई हैं।

Updated: Apr 25, 2025, 02:00 PM IST

Photo courtesy: DB
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जबलपुर| जिले में हुए 30 करोड़ से अधिक के धान घोटाले के खुलासे को एक महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर जिले के 12 थानों में 74 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 12 एफआईआर दर्ज की गई थीं, इसके बावजूद केवल एक दर्जन आरोपियों को ही गिरफ्तार किया जा सका है।

जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय ने इस मामले में राइस मिलर्स पर शिकंजा कसना शुरू किया है। फरार मिलर्स पर 10-10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है और उन्हें ब्लैकलिस्टेड करने तथा उनकी सुरक्षा निधि जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। यह घोटाला फर्जी परिवहन दस्तावेजों के माध्यम से सामने आया, जब अंतर जिला मिलिंग की शिकायत कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना तक पहुंची। जांच में पता चला कि जिले के बाहर के मिलर्स ने यहां के दलालों को धान बेचा था और जिन वाहनों से परिवहन दिखाया गया था, वे असल में कार और बसें थीं, जिनसे धान ढोना असंभव था।

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प्रारंभिक जांच में मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के प्रभारी और जिला प्रबंधक सहित कुल 99 लोगों पर आरोप तय किए गए, जिनमें 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर्स, 25 सोसाइटी व उपार्जन केंद्र और उनके 44 कर्मचारी शामिल हैं। इनमें से 11 सोसाइटी और उपार्जन केंद्रों के प्रबंधकों और कंप्यूटर ऑपरेटरों पर सहकारी समिति अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।

हालांकि, 20 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज होने और 26 मार्च को भोपाल से अपर मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी द्वारा एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद अब तक न तो जांच पूरी हुई है और न ही किसी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो सकी है। इससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं और कॉल डिटेल व मोबाइल लोकेशन के आधार पर उनकी तलाश जारी है। पुलिस का दावा है कि सभी आरोपी जल्द ही पकड़े जाएंगे।