Lockdown 4.0 politics : मजूदर सीमा पर, बसें लखनऊ बुलाई

Coronavirus india : तीन और मजूदर की मौत, बस पर राजनीति

Publish: May 19, 2020, 09:27 PM IST

बीती रात महोबा में हादसे में 3 महिला श्रमिकों की मृत्‍यु हो गई और कई घायल हो गए। यूपी में प्रवासी श्रमिकों की मौत जारी है मगर सरकार राजनीति में उलझी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मांग को मान लिया और कांग्रेस से एक हजार बसों की सूची मांग ली मगर मजदूरों की समस्‍याएं यहीं खत्‍म नहीं हुई हैं। यूपी सरकार ने बसों को लखनऊ भेजने के लिए कहा है। प्रियंका गांधी की तरफ से कहा गया है कि जब मजदूर यूपी की सीमा पर गाजियाबाद और नोएडा में खड़े हैं तब बसों को लखनऊ क्‍यों बुलाया जा रहा है? यह समय और संसाधन की बर्बादी है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बीती रात झांसी-मिर्जापुर हाईवे पर एक डीसीएम वाहन के पलट जाने से 3 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए। वाहन में लगभग 17 व्यक्ति यात्रा कर रहे थे। महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार ने बताया कि लेफ्टसाइड का टायर फटने से वाहन पलट गया था। हादसे में  3 महिलाओं की मृत्यु हुई है। चार बुरी तरह से घायल हैं और 5-6 लोगों को मामूली चोट लगी हैं। घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया। ये लोग दिल्ली से महोबा जा रहे थे।

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इनके जैसे हजारों मजदूर सड़क पर खड़े हैं। उन्‍हें उम्‍मीद थी कि कांग्रेस द्वारा उपलब्‍ध करवाई जा रही बसें आज उन्‍हें घर ले कर चली जाएगी मगर यह उम्‍मीद भी राजनीति में फंस गई हैं। प्रियंका गांधी की तरफ से हजार बस उपलब्ध कराए जाने की सूचना गृह सचिव अवनीश अवस्थी को दिए जाने के बाद गृह सचिव की तरफ से से सोमवार रात एक पत्र और भेजा गया। इसमें सुबह 10 बजे तक 1000 बसों को उनके फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइवर के लाइसेंस के साथ लखनऊ के डीएम को सौंपने के लिए कहा गया है। डीएम को प्रियंका गांधी की तरफ से भेजे जाने वाली बसों को लेने के लिए नोडल अधिकारी भी बनाया गया है। प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने इस पत्र का जवाब भी रात में ही दे दिया है।

प्रियंका गांधी के निजी सचिव की ओर से भेजे गए इस पत्र में कहा गया है की यूपी सरकार ने सभी बसों को दस बजे लखनऊ पहुंचने के लिए बोला है। खाली बसों को लखनऊ बुलाना राजनीति से प्रेरित है। ऐसी स्थिति में जब हजारों मजदूर सड़कों पर पैदल चल रहे हैं और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर हजारों की भीड़ पंजीकरण केंद्रों पर उमड़ी हुई है, तब 1000 खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ समय और संशाधनों की बर्बादी है बल्कि हद दर्ज की अमानवीयता है और यह एक घोर गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। आपकी सरकार की यह मांग पूरी तरह से राजनीति से प्ररित लगती है। ऐसा लगता नहीं है कि आपकी सरकार विपदा के मारे हमारे उत्तर प्रदेश के श्रमिक भाई-बहनों की मदद करना चाहती है। हम अपनी बात पर अडिग हैं और संकट में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।