PM Modi की गरीब कल्याण रोजगार योजना में Chhattisgarh नहीं

Chattisgarh : आदिवासी बहुल राज्य को बाहर रखने पर नाराजगी

Publish: Jun 21, 2020, 12:13 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 50 हजार करोड़ की रोजगार योजना में आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ को बाहर रखा गया है। छत्तीसगढ़ में इस बात को लेकर खासी नाराजगी है। प्रधानमंत्री ने आज इस योजना को बिहार के खगड़िया जिले से लान्च किया है। वीडियो कांफ्रेंसी के जरिे लान्च हुई इस योजना का उद्देश्य प्रवासी मजदूरों को उनके घर के करीब रोजगार देने का है। प्रधानमंत्री की इस योजना में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा व झारखंड को शामिल किया गया है। लेकिन 30% से ज्यादा आदिवासी आबादी वाले छत्तीसगढ़ को इस योजना से बाहर रखने पर सवाल उठ रहे हैं।

 गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत बेरोजगार हुए प्रवासी मज़दूरों को उनके गांव-घर के करीब रोज़गार के अवसर प्रदान करने हेतु काम किया जाएगा। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा के कुल 116 जिलों के 25,000 से अधिक प्रवासी मजूदरों को इस अभियान के लिए चुना गया है। इन जिलों के ऐसे करीब दो तिहाई प्रवासी मजदूरों को इसमें शामिल करने का अनुमान है।

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छत्तीसगढ़ को नहीं मिली जगह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज लॉन्च होने वाली इस योजना में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड को जगह मिली है लेकिन छत्तीसगढ़ को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। जबकि नक्‍सल प्रभावित छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्‍य है और लॉकडाउन के दौरान यहां लाखों प्रवासी मज़दूर लौट कर आए हैं। इस दौरान प्रवासी मज़दूरों की स्थिति सुधारने हेतु प्रदर्शनों की शुरुआत छत्तीसगढ़ से ही हुई थी। सबसे पहले छत्तीसगढ़ के ही मज़दूर व किसान संगठनों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था और मज़दूरों के हालात सुधारने की मांग की थी। अब जब मज़दूरों के हालात सुधारने की बारी आई है, तब छत्तीसगढ़ को उस सूची तक में केंद्र सरकार ने जगह नहीं दी है।

मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल केंद्र से मांग चुके हैं सहायता

आदिवासी प्रदेश में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद के इंतजाम और कोरोना के साइड इफेक्‍ट से निपटने के लिए मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल कई बार केंद्र से सहायता मांग चुके हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य की औद्योगिक इकाइयों और माइनिंग प्रोजेक्ट्स की तरफ से पीएम केयर्स फंड में जमा की गई सीएसआर राशि को जारी करने की मांग की थी।

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भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा था कि केंद्र सरकार ने माइनिंग प्रोजेक्ट्स और औद्योगिक इकाइयों को अपना सीएसआर फंड पीएम केयर्स में जमा करने का निर्देश दिया, जिसका सभी ने पालन किया। इससे उन लोगों में भारी असंतोष है, जो इन माइनिंग प्रोजेक्ट्स और उद्योगों से प्रभावित हुए हैं। यदि फंड का प्रयोग कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किया जाना है तो राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सीएसआर राशि का पूरा उपयोग माइनिंग प्रोजेक्ट, उद्योगों और कोरोना वायरस से प्रभावित जिलों में हो। इससे पहले 20 अप्रैल को भी भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से 30 हजार करोड़ रुपये मांगे थे। इस राशि में से दस हजार करोड़ रुपये तुरंत जारी करने का निवेदन किया गया था ताकि उनका प्रयोग कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने से जुड़ी कल्याणकारी गतिविधियों में किया जा सके। मगर छत्‍तीसगढ़ सरकार आरोप लगाती रही है कि केंद्र से उन्‍हें पर्याप्‍त सहायता नहीं मिल रही है।