प्रयागराज में बुलडोजर एक्शन को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अवैध, पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा देने का निर्देश

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा कि देश में लोगों के रिहायशी घरों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता है। इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया है।

Updated: Apr 01, 2025, 06:39 PM IST

Photo Courtesy: Money control
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर एक बार फिर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राइट टु शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है। उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्रवाई किसी भी तरह से ठीक नहीं है। अदालत ने प्रयागराज में ध्वस्तीकरण कार्रवाई को अवैध करार देते हुए पीड़ितों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश में लोगों के रिहायशी घरों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता है। इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया है। कोर्ट ने अधिकारियों के बुलडोजर एक्शन को अमानवीय और अवैध बताया। साथ ही कहा कि 2021 में हुई इस कार्रवाई के दौरान दूसरों की भावनाओं और अधिकारों का ख्याल नहीं रखा गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि जिनके मकान गिराए गए हैं, उन्हें 6 हफ्तों के भीतर 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। बता दें कि प्रयागराज के वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो महिलाओं और एक अन्य व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन सभी के घर अगल-बगल में एक ही प्लॉट पर थे। मार्च 2021 में नोटिस मिलने के एक दिन बाद ही उनके घर गिरा दिए गए थे। न नोटिस देने का टाइम दिया गया, न ही कानूनी बचाव का मौका मिला।

पीड़ितों का कहना है कि राज्य सरकार ने गलती से उनकी जमीन को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया था। इससे पहले 5 मार्च को भी इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि हम सरकार को अपने खर्चे पर इनके घर बनवाने का आदेश दे सकते हैं। हालांकि, इसके लिए राज्य को अपील का मोहलत दिया गया था। इसके बाद 24 मार्च को सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि राज्य को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए और अतिक्रमणकारियों को अपील दायर करने के लिए उचित समय देना चाहिए। साथ ही अदालत ने पीड़ितों को पुनर्निर्माण की अनुमति दी थी। अब अदालत ने इन्हें मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।