रायपुर ने चुकाई कोरोना की कीमत 15 हजार करोड़

कोरोना को हराया मगर छत्‍तीसगढ़ रेड जोन से हारा

Publish: May 13, 2020, 09:13 PM IST

क्‍या आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कोरोना का केवल एक पॉजिटिव होने के बाद छत्‍तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुत राज्‍य की राजधानी रायुपर को 15 हजार करोड़ से ज्‍यादा की राशि कोरोना इलाज के लिए चुकानी पड़ी है? छत्‍तीसगढ़ के लिए ‘होम करते हाथ जले’ वाले हालात केंद्र सरकार के एक निर्णय से हुए हैं। मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल बीते 12 दिनों से केंद्र सरकार के इस गफलत वाले निर्णय का विरोध कर रहे हैं मगर अब तक तो सुनवाई नहीं हुई है। सुनवाई न होने से अकेले राजधानी का दो माह में करीब तगड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लॉकडाउन 3.0 के लिए गाइड लाइन जारी करते हुए देशभर के जिलों को संक्रमण के अनुसार कलर जोन में बांटा। 130 जिले रेड जोन, 284 जिले ऑरेंज जोन और 733 जिलों को ग्रीन जोन में रखा गया है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को ऑरेंज जोन से बाहर कर रेड जोन में शामिल किया गया है। कितना बड़ा विरोधाभास है कि प्रदेश के सर्वाधिक मरीज जिस जिले कोरबा में हैं उसे रेड से हटाकर ऑरेंज जोन में कर दिया गया है। 16 अप्रैल के बाद 30 अप्रैल तक लगातार 14 दिनों तक कोरबा में कोई नया संक्रमित नहीं मिला था। वहीं रायपुर को ऑरेंज जोन से बाहर कर रेड जोन में शामिल कर दिया गया जबकि वहां भी कोई संक्रमित नहीं था। केंद्र ने तर्क दिया कि प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 40 हो गई थी और इनमें से 38 मरीजों को उपचार रायपुर के एम्‍स अस्‍पताल में चल रहा है। इसलिए रायपुर रेड जोन में होगा।

Click  साबित कीजिए कि यह सिर्फ बालकनी वालों की सरकार नहीं है...

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से फोन पर बात कर राजधानी रायपुर को रोड जोन से बाहर करने का अनुरोध किया है। सरकार का कहना है कि राजधानी में केवल एक ही मरीज है इसलिए रायपुर को रेड जोन से बाहर करने पर विचार करना चाहिए। वह संक्रमित भी आम नागरिक नहीं बल्कि एम्स का नर्सिंग स्टाफ है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी रायपुर को रेड जोन में रखने पर असहमति जताई है। उन्‍होंने कहा कि जोन तय करते समय राज्य सरकार से परामर्श नहीं किया गया।

 

रिकवरी रेट 90 फीसदी

छत्‍तीसगढ़ ने कोरोना पर तेजी से काबू पाया है। 11 मई तक जहां राज्य में रिकवरी रेट 83 फीसद था, वहीं 12 मई को यह 90 फीसद तक पहुंच गया जबकि देश में यह आंकड़ा करीब 30 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के अनुसार राज्य में एक्टिव 10 केस में से 5 संक्रमित स्वस्थ हो गए हैं, जिन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है। अब महज 5 एक्टिव केस बचे हैं। छत्तीसगढ़ में कुल 59 संक्रमितों में 54 स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है।

 

पूरा कारोबार रायपुर से, सब बंद

इतनी अच्‍छी सफलता के बाद भी छत्‍तीसगढ़ आर्थिक क्षति झेल रहा है। रायुपर को रेड जोन में रखने से छत्‍तीसगढ़ की अर्थव्‍यवस्‍था की कमर टूट गई है। रेड जोन में रखी गई राजधानी रायपुर प्रदेश का सबसे बड़ा बिजनेस हब है। यह छत्तीसगढ़ और सीमावर्ती कई राज्यों के लिए कारोबार का केंद्र है। लोहा, चावल, कपड़े, सेनेटरी, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, प्लास्टिक, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लायवुड, सीमेंट, स्पेयर पार्ट्स समेत सभी आवश्यक चीजें राज्य के हर हिस्‍से में रायपुर से ही जाती है बल्कि यहां से बंगाल, महाराष्‍ट्र, बिहार, ओडिशा सहित 5 राज्‍यों में माल भेजा जाता है। पूरा बस्तर संभाग ही कारोबार में ट्रांसपोर्टिंग के जरिए रायपुर पर निर्भर है। ओड़िशा के सभी सीमावर्ती जिलों के अधिकांश लोग थोक और फुटकर खरीदी के लिए रायपुर आते हैं। छत्तीसगढ़ व नागपुर के बीच के सारे शहरों का कारोबार प्रमुख रूप से रायपुर के जरिए ही होता है। जीएसटी कलेक्‍शन बंद है। लगभग 60 दिनों के बंद के कारण कारोबार की स्थिति खराब हो गई है।

Click  कृषि क्षेत्र को 3,000 करोड़ के नुकसान की आशंका

छत्‍तीसगढ़ चेम्‍बर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश अध्‍यक्ष जितेंद्र बरलोट ने हमसमवेत को बताया कि छत्तीसगढ़ में लोहा, स्टील और सीमेंट का करीब 90% कारोबार रायपुर और उसके आसपास के ही जिलों में होता है। कंपनियों के मुख्य दफ्तर भी राजधानी में ही हैं। ट्रांसपोर्टिंग से ही माल की आवाजाही भी रायपुर से ही होती है। माल की आवाजाही बंद होने, जीएसटी सहित अन्‍य टैक्‍स कलेक्‍शन नहीं होने से अकेली राजधानी का नहीं बल्कि पूरे राज्‍य का आर्थिक क्षति बहुत ज्‍यादा है मगर मोटे तौर पर उद्योगों व कारोबारियों को 15 हजार करोड़ का नुकसान तो हुआ ही है। हम लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह रायपुर को किसी तरह रेड जोन से बाहर करवाए।

राज्‍य सरकार की मुश्किल यह है कि केंद्र सरकार ने सख्‍त निर्देश है कि रेड या ऑरेंज घोषित किए गए किसी भी जिले को राज्य सरकारें बदल नहीं पाएंगी। वह इतना ही कर सकती हैं कि अपने स्तर पर किए गए एनालिसिस के अनुसार ग्रीन जोन के जिलों को रेड या आरेंज जोन में जोड़ सकती है।

अब तक अकेले लड़े हैं, हमें निर्णय का हक मिले

मुख्‍यमंत्री बघेल ने पीएम मोदी के साथ कांफ्रेंस में भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि लॉक डाउन के दौरान फ़ैसला करने की स्वतंत्रता राज्यों को मिलनी चाहिए। दिल्ली से छत्तीसगढ़ नहीं दिख सकता। रायपुर में 25 मार्च से कोई कोरोना केस नहीं मिला है लेकिन यह रेड ज़ोन में है। राज्यों को तय करने दिया जाए कि रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में कौन से इलाक़े रहेंगे। अब 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज पर सीएम बघेल ने कहा है कि राहत पैकेज पूरी प्रतिक्रिया तभी दी जा सकती है जब यह पता चले कि कितना पैसा उद्योगों को, कितना व्यापार को, कितना कृषि क्षेत्र को और कितना श्रमिकों को मिल रहा है। कोरोना संकंट से तो अब तक राज्य सरकारें ही जूझ रही हैं। केंद्र ने तो सिर्फ़ आदेश जारी किए हैं। इस बीच राज्यों की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब हुई है। ऐसे में यह भी देखना होगा कि इस पैकेज में राज्यों को क्या मिलता है? राज्यों को आर्थिक सहायता मिलनी ही चाहिए। अगर रेल और हवाई सेवाएं शुरु हों तो राज्यों को विश्वास में लें। अगर लोग एकाएक आकर अपने घर जाने लगेंगे तो हमारे किए धरे पर पानी फिरने की आशंका बनी रहेगी।