एक दोहा या दो चार चौपाई से ग्रंथ को फ़र्क नहीं पड़ता, रामचरित मानस विवाद पर बोले सीएम बघेल

सीएम भूपेश बघेल ने सदियों पहले लिखे गए ग्रंथों पर आज के समय में वाद विवाद करने को निरर्थक बताया गया

Updated: Feb 04, 2023, 11:45 AM IST

एक दोहा या दो चार चौपाई से ग्रंथ को फ़र्क नहीं पड़ता, रामचरित मानस विवाद पर बोले सीएम बघेल

रायपुर। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस पर बढ़ते विवाद के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपनी राय प्रकट की है। सीएम बघेल ने रामचरित मानस पर हो रहे वाद विवाद को गैरजरूरी बताया है। इसके साथ ही उन्होंने मानस के सूक्ष्म तत्व को ग्रहण करने की हिदायत दी है। 

सीएम बघेल से रामचरित मानस पर जारी विवाद के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एक दोहा या दो चौपाई से इतने बड़े ग्रंथ को फ़र्क नहीं पड़ता है। सीएम बघेल ने कहा कि मानस, वेद, महाभारत काफ़ी पहले के कालखंड में लिखे गए हैं, ऐसे में आज के दौर में इस पर बहस करना निरर्थक है। 

सीएम बघेल ने इस मामले में विचारक विनोबा भावे के एक कथन का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने पवित्र ग्रंथों को जस का तस ग्रहण करने के बजाय उसकी अच्छी बातों को ग्रहण करने की हिदायत दी थी। सीएम ने कहा कि रामायण भी अनेक भाषा में लिखी गई है। अगर कोई राम राम की जगह मरा मरा भी जपता तब भी वह राम का नाम जप ही लेता है। ऐसे में यह पूरा घटनाक्रम गैरज़रूरी है।

दरअसल इस समय रामचरित मानस की कुछ चौपाई विवाद का कारण बन गई हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए बयान के बाद बढ़ा विवाद इतना बढ़ गया कि इससे उत्तर प्रदेश की सियासत भी प्रभावित हो गई। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार रामचरित मानस के विवादित पहलुओं पर बयान दे रहे हैं। उन्होंने मानस के आपत्तिजनक अंश पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है। मौर्य के बयान का हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं। 

दूसरी तरफ़ सोशल मीडिया पर भी रामचरित मानस को लेकर बहस काफ़ी तेज़। एक धड़ा इसे हिंदू धर्म का अपमान बता रहा है तो दूसरा इसे निम्न जाति के विरुद्ध बता रहा है। हालांकि एक तीसरा पक्ष भी है जिसका मानना है कि अगर किसी कालखंड में कुछ ऐसी चीज़ें लिखी गई हैं जो आज के परिपेक्ष्य में सही नहीं बैठती हैं तो उसे नज़रअंदाज़ करना ही अधिक उचित है।