CM भूपेश बघेल के पिता ने EVM से चुनाव पर उठाए सवाल, बोले बैलेट पेपर से चुनाव करवाएं नहीं तो इच्छामृत्यु दें राष्ट्रपति

नंदकुमार बघेल का आरोप है कि जो राजनैतिक पार्टी सत्ता में होती है वह EVM से जल्दी मतगणना का हवाला देकर उसे वैध करार देती है, लेकिन EVM को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्था ने इसकी एक्यूरेसी प्रमाणित नहीं की है, जिससे मतदाता के अधिकारों का हनन होता है

Updated: Jan 12, 2022, 05:47 AM IST

Photo Courtesy: Prabhat khabar
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल ने राष्ट्रपति को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने मांग की है कि चुनाव बैटेल पेपर से करवाए जाएं, नहीं तो उन्हें 25 जनवरी याने राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए। नंदकुमार बघेल राष्ट्रीय मतदाता जागृत मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि EVM से चुनाव कराने से देश के समस्त नागरिकों के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने लिखा है कि ‘आपको अत्यन्त दुःख के साथ अवगत कराना पड़ रहा है कि देश के नागरिकों के समस्त संवैधानिक अधिकारों का व्यापक स्तर पर हनन हो रहा है।’ उन्होंने लिखा है कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका धवस्त होती जा रही है। नंदकुमार बघेल का आरोप है कि मीडिया भी लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के इशारे पर कार्य कर रही है। देश के नागरिकों के अधिकारों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। 

 मतदाता जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्या के लिए चुनते हैं, लेकिन मतदाताओं की आवाज भी दबती जा रही है। विधायिका देश के समस्त सरकारी विभागों और उपक्रमों को चहेतों को बेच रही है। कार्यपालिका भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपनी अगली पीढ़ियों के लिए अधिक से अधिक धन जमा करने में जुटी है। नंदकुमार बघेल ने लिखा है कि आम नागरिकों के मन में भय है। देश में न्याय की आस में जनता की कई पीढ़ियां गुजर जाती हैं लेकिन न्याय नसीब नहीं हो पाता है। वहीं उन्होंने EVM से चुनाव करवाने पर सवाल उठाए हैं वे कहते हैं कि इससे चुनाव के किसी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्था या सरकार ने इसकी एक्यूरेसी को प्रमाणित नहीं किया है। किसी भी मशीन को उपयोग में लाने से पहले मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्था या सरकार द्वारा मशीन की शुद्धता से काम करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना जरूरी होता है। वे कहते हैं कि बिना प्रमाणीकरण के दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में EVM से वोटिंग कराकर उनके वोट के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है, जिससे नागरिकों के समस्त अधिकारों की रक्षा होती है।

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EVM मशीन से वोटिंग करने पर मेरा वोट किसे जा रहा है, उसकी कोई गारन्टी मुझे प्रतीत नहीं होती है और न ही मैं उसका मूल्यांकन, स्क्रूटनी कर सकता हूं और न ही कोई और कर सकता है। वहीं मतदान की सबसे विश्वसनीय पद्धति वही होती है जिसकी स्क्रूटनी कोई भी नागरिक खुद कर पूरी सन्तुष्टि प्राप्त कर सके।मतपत्र से मतदान का मूल्यांकन प्रत्येक नागरिक कर सकता है। लेकिन EVM से वोटिंग का मूल्यांकन आम आदमी तो क्या अधिकारी भी नहीं कर सकते हैं। जो राजनैतिक पार्टी सत्ता में होती है वह EVM से जल्दी मतगणना का हवाला देकर उसे वैध करार देती आ रही है।