नक्सलियों को हथियार सप्लाई कौन कर रहा है, केंद्र सरकार करे जांच, दंतेवाड़ा हमले पर बोले सीएम बघेल

नक्सलियों के पास इतने हथियार कहां से आते हैं।छत्तीसगढ़ में ये सब चीजे तो बनती नहीं है फिर ये नक्सलियों के पास कैसे पहुंचती है। केंद्र सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए: भूपेश बघेल

Updated: Apr 28, 2023, 08:33 AM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बारूदी सुरंग विस्फोट में बुधवार को सुरक्षाबल के 10 जवान शहीद हो गए। घटना में एक वाहन चालक की भी मौत हो गई थी। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कायराना हमले की निंदा करते हुए कहा है कि हम जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। साथ ही सीएम बघेल ने केंद्र सरकार से यह जांच करने की मांग की है कि नक्सलियों को हथियार सप्लाई कौन कर रहा है?

सीएम भूपेश बघेल ने कहा, "हमलोगों की तरफ से यह सवाल लगातार उठाए जाते रहे हैं कि नक्सलियों के पास इतने हथियार कहा से आते हैं? ये इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक का जुगाड़ कैसे करते हैं? केंद्र सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में ये सब चीजे तो बनती नहीं है, फिर ये नक्सलियों के पास कैसे पहुंचती है?"

सीएम बघेल ने आगे कहा कि, "यह घटना जिस जगह पर हुई है उस जगह के भूगोल को समझने की जरूरत है। यह तीन ज़िलों सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा से लगा हुआ है। यहां सड़क नहीं थी। यहां सड़कों को बनाने के लिए हमारे कई जवान शहीद हो गए। अब जाकर ये सड़क बन पाई है। ये एरिया नक्सलियों के कब्जें में हुआ करता था। 2 सालों में 75 कैंप हमने यहां स्थापित किया है। यहां सड़के बनती जा रही है और कैंप स्थापित कर रहे हैं।"

यह भी पढ़ें: रोटी पलटने का वक्त आ गया है, देरी नहीं होनी चाहिए : एनसीपी के युवा नेताओं से बोले शरद पवार

मुख्यमंत्री ने बताया कि ब्लास्ट वाला इलाका ढलान का क्षेत्र था। कलवर्ट में आईईडी प्लांट करने का आइडियल सिचुएशन माना जाता है। नक्सलियों ने इसका उपयोग किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "बस्तर का भौगोलिक क्षेत्र बहुत बड़ा है केरल राज्य से भी बड़ा यह क्षेत्र है। उस हिसाब से सारी सुविधाएं, वहां पहुंचाई गई है। इस क्षेत्र में जंगल पहाड़ नदी नाले हैं। इसके बीच में काम करना होता है।"

सीएम बघेल ने कहा कि, "घटनास्थल से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर कैंप भी है जहां ब्लास्ट हुआ वहां से जगरगुंडा पहले कोई जा नहीं सकता था। तारमेड़ वहीं इलाका है जहां 74 जवान शहीद हुए थे। उस समय उस जगह पर सड़क नहीं थी। इस क्षेत्र में बहुत ही कम गाड़ियां चलती है। लोगों की आबादी भी काफी कम है। जो भी आबादी है वो रोड के किनारे ही है। यह जंगलों का क्षेत्र है जिसमें घटना को अंजाम देना नक्सलियों के लिए आसान हो जाता है।"