हरफौन मौला किशोर दा की आवाज की दुनिया है दीवानी, कभी बोलने में हकलाते थे फिर बने सुरों के बादशाह

अपनी अनोखी सिंगिंग से लोगों के दिलों में राज करने वाले किशोर कुमार गायकी के साथ एक्टिंग, फिल्म मेकिंग और डायरेक्शन में भी माहिर थे, एक वक्त पर वे इतने बिजी थे कि उनके लिए मोहम्मद रफी ने गाने गाए

Updated: Aug 04, 2021, 10:38 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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मध्यप्रदेश के खंडवा में जन्मे आभास कुमार गांगुली को दुनिया किशोर कुमार के नाम से जानती है। किशोर दा फिल्मी दुनिया के दादा मुनि याने अशोक कुमार के छोटे भाई थे। वे बचपन हकलाते थे ठीक से बोल नहीं पाते थे, लेकिन एक हादसे के बाद उनकी आवाज बदल गई और आज वो आवाज उनकी मौत के 37 साल बाद भी लोगों की पंसद बनी हुई है। किशोर कुमार ने फिल्मी दुनिया को तीन सुपर स्टार दिए हैं। उनकी गाए गानों पर एक्टिंग करके कही देव आनंद, राजेश खन्ना और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्मी दुनिया में शोहरत औऱ कामयाबी हासिल की। कहा जाता है कि किशोर कुमार जिस भी एक्टर के लिए प्लेबैक सिंगिग करते थे उससे पहले वे उनकी आवाज की रिकॉर्डिंग मांग लेते थे और उनकी आवाज की प्रैक्टिस करते और फिर गाना रिकॉर्ड करते थे।

बालीवुड में किशोर दा के संघर्ष का दौर 1948 में फिल्म ज़िद्दी से शुरू हुआ था,  लेकिन उन्हें 1969 में फिल्म आराधना से शोहरत की वह बुलंदियां मिलीं कि इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा,  दौर चाहे कोई भी रहा हो किशोर कुमार को मिला फैंस का प्यार अकल्पनीय था।

8 बार जीता फिल्म फेयर अवार्ड

हर दिल अजीज सिंगर किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा में हुआ था। एक्टिंग, संगीत निर्देशन, गायन, फिल्म डायरेक्शन, फिल्म निर्माण, लेखन हर फन में किशोर कुमार माहिर थे। लेकिन गायकी में उनका कोई सानी नहीं था,  माना जाता है कि कुंदनलाल सहगल और मोहम्मद रफी के बाद किशोर दा तीसरे ऐसे गायक थे, जिनके दौर में किसी और सिंगर के लिए कोई जगह नहीं बचा थी। वे इंडियन सिनेमा के एकमात्र मेल प्लेबैक सिंगर थे जिन्हें फ़िल्मफेयर पुरस्कार आठ बार मिला। उन्हें पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में आराधना फिल्म के गाने मेरे सपनों की रानी के लिए मिला था। इसी फिल्म के गानों ने  किशोर कुमार को गायकी की दुनिया का बेताज बादशाह बनाया।

रियल लाइफ में भी मस्तमौला इंसान

 किशोर कुमार ने  न सिर्फ़ हिन्दी में गाने गाए बल्कि वे बांगला, पंजाबी, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगू और कई अन्य भाषाओं में गाने गाए हैं। किशोर कुमार की खासियत ये थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी एक्टर्स पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में एक्टिंग की और 18 फिल्मों का निर्देशन किया।  फ़िल्म पड़ोसन में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।

गायकी के बेताज बादशाह ने नहीं ली संगीत की तालीम

कभी सिंगर, म्युजिक डारेक्टर, एक्टर, प्रोड्यूसर, राइटर्स के तौर पर किशोर के कई रूप हमें देखने को मिले, लेकिन कम लोगों को ही पता है कि उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं हासिल की थी। बिना संगीत की शिक्षा के उन्होंने  फिल्मों में अपनी जो जगह बनाई वो काबिल-ए- तारीफ थी। अपनी मधुर आवाज में गाए गीतों के जरिए किशोर कुमार आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं। दौर कोई भी हो पुरानी औऱ नई पीढ़ी उनकी आवाज की दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे, वो कब क्या कर बैठें, यह कोई नहीं जानता था।  किशोर दा अटपटी बातों औऱ चटपटे अंदाज के लिए जाने जाते हैं, कहा जाता है कि वे  गाने की लाइन्स को उल्टा और सीधा गाने में भी माहिर थे। जब कोई नया व्यक्ति उनका नाम पूछता तो  कहते थे- रशोकि रमाकु।

किशोर कुमार की कामेड़ी टाइमिंग भी कमाल की थी। फंटूश, हाफ टिकट,  पड़ोसन और चलती का नाम गाड़ी में उनकी कॉमेडी फैंस ने खूब इंज्वाय की, चलती का नाम गाड़ी में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया।

बचपन में घर आए मेहमानों से वसूलते थे मनोरंजन-कर

बारह साल की उम्र तक किशोर ने  गाने और म्यूजिक कंपोजीशन में महारत हासिल कर ली। वे रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें याद करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों का मनोरंजन कर उनसे टैक्स वसूलते थे।

मो. रफी ने की किशोर दा के लिए प्लेबैक सिंगिंग

मजेदार बात है कि किशोर कुमार की कई फिल्मों में मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार के लिए प्लेबैक सिंगिंग की थी। एक दौर था जब किशोर कुमार  इतने ज्यादा बिजी थे कि व्यस्त थे की उनके लिए  मोहम्मद रफी ने प्लेबैक सिंगिग की । फिल्म रागिनी, शरारत में ऱफी ने किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार दी। इन गानों के लिए मोहम्द रफी को मेहनताने के लिए एक रुपया दिया गया था। किशोर कुमार को बचपन से ही फिल्मों का शौख था, वे रेडियो पर फ़िल्मी गाने सुनते और थिरकते, उन्हें गानों की किताब जमा करने औऱ गाने याद करने का शौख था। जब भी घर में कोई गेस्ट आता तो  किशोर कुमार उनके सामने कामेडी करते और गाने सुनाते।

बारह साल की उम्र तक किशोर ने गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली। वे रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ कर गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को अभिनय सहित गाने सुनाते, तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी मांग लेते थे। किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए, राजेश खन्ना को सुपर स्टार कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए।

बाथरूम-सिंगर से बने संगीत के बेताज बादशाह

किशोर कुमार मुंबई में अने बड़े भाई अशोक कुमार के यहां आए हुए थे। तभी घर पर संगीतकार सचिन देव बर्मन पहुंच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज सुनी, तो दादा मुनि से पूछा, कौन गा रहा है किसकी आवाज है, तब अशोक कुमार ने जवाब दिया मेरा छोटा भाई है। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता। फिर क्या था बर्मन ने  किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया।