बालाघाट के चिन्नौर चावल को मिला जीआई टैग, कमल नाथ सरकार ने पेश किया था दावा

कृषि विभाग बालाघाट ने 2019 में कृषि अनुसंधान परिषद के समक्ष यह दावा पेश किया था, इस चावल के जीआई टैग की दावेदारी की रेस में महाराष्ट्र भी था, लेकिन अंततः यह टैग एमपी के बालाघाट के चिन्नौर चावल को मिली

Publish: Oct 02, 2021, 05:07 AM IST

Photo Courtesy: News Track
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में उपजाए जाने गाले चिन्नौर चावल को जीआई टैग मिल गया है। हैदराबाद स्थित कृषि अनुसंधान परिषद ने इस चावल का जीआई टैग प्रदान कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया है। मुख्यमंत्री ने किसानों की ओर से प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया है।

हालांकि चिन्नौर चावल को जीआई टैग दिलाने की कवायद प्रदेश की पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार ने की थी। 2019 में कृषि विभाग बालाघाट ने चिन्नौर चावल को जीआई टैग दिलाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, हैदराबाद का रुख किया था। उस दौरान प्रदेश में कमल नाथ सरकार थी। परिषद में दावा पेश किए जाने के ठीक दो साल बाद चावल को जीआई टैग मिल गया है। 

हालांकि चिन्नौर चावल का जीआई टैग पाने की रेस में पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र भी था। लेकिन अंततः दावेदारी की रेस मध्य प्रदेश ने जीती। अब चावल को जीआई टैग मिलने से बालाघाट के किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। 

बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग की मान्यता मिलने पर जिले के किसान काफी खुश हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिले के करीब 25 गांव ऐसे हैं जहां इस चावल की खेती होती है। यह चावल न अपनी महक और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस चावल को अनुकूल माना जाता है। जीआई टैग मिलने से इसकी पैदावार करने वाले किसानों को यह उम्मीद है कि अब इसकी पैदावार करने पर किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।