Sehore MP : गल-घोटूं बीमारी ने ली एक साथ 4 पशुओं की जान

स्थानीय लोग इसे पशुओं का कोरोना बता रहे हैं हालाँकि ये बीमारी नई नहीं है, लेकिन लोग दहशत में हैं

Publish: Jun 27, 2020, 05:06 AM IST

courtesy : gaon connection
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप सीहोर ज़िले में गलघोंटू बीमारी Heamorrhagic Septicaemia ने दस्तक दे दी है। गलघोंटू जानवरों को होने वाली प्रमुख बीमारियों में से एक है। सीहोर ज़िले के महोडिया गांव में एक साथ चार जानवरों की मृत्यु हो गई है। 25 जून को महोड़िया निवासी पशुपालक मदन मेवाड़ा के चार पशुओं की अचानक मृत्यु हो गई है। मृत्यु की वजह पशुओं में पाया जाने वाला रोग गलघोंटू को बताया जा रहा है। मदन मेवाड़ा के चार पशुओं में 2 गाय, 1 भैंस और बछिया गलघोंटू के कारण एक साथ मर गए। इसके बाद से ही पूरे गांव में आतंक मच गया है।

जानवरों में फैलता है गलघोंटू का संक्रमण, कोरोना से मिलते जुलते हैं लक्षण 

गलघोंटू बीमारी जानवरों में पाया जाने वाला एक प्रमुख रोग है। रेखांकित रखने वाली बात यह है कि इस रोग के लक्षण कोरोना से मिलते जुलते हैं। गलघोंटू बीमारी की वजह से जानवरों को तेज़ बुखार हो जाता है व पशु कांपने लगते हैं। यह रोग अमूमन बरसात के मौसम में फैलता है। गलघोंटू रोग एक जानवर से दूसरे जानवर में तेज़ी से फैलता है। जिस वजह से जानवरों को बचाना बस के बाहर की बात हो जाती है। ख़ास बात यह है कि गलघोंटू का संक्रमण मृत जानवरों से भी फैलता है। सरकार समय समय पर जानवरों को इस रोग से मुक्ति दिलाने के लिए टीकाकरण का अभियान भी चलाती है। हालांकि सीहोर ज़िले में अब तक टीकाकरण के अभियान की शुरुआत नहीं हुई है।

क्या है गलघोंटू रोग 

गलघोंटू रोग पशुओं में पाया जाने वाला एक गंभीर रोग है। यह मुख्य रूप से गाय और भैंसों में फैलता है। इस रोग को अन्य भाषा में घोंटुआ, डकहा भी कहा जाता है। चूंकि इस रोग की शुरुआत साल के आषाढ़ महीने में होती है, इसलिए इसे ' अषढ़िया ' भी कहा जाता है। इस रोग के पशुओं के शरीर में घर करने से पशु अकाल मृत्यु का शिकार हो जाता है। रोग के लक्षण होते ही तत्काल इलाज न होने की वजह से पशु की मृत्यु हो जाती है।