इंदौर की मंडी में तीन रुपए किलो तक गिरे प्याज़ के भाव, दिग्विजय सिंह ने कहा, किसानों के खिलाफ जारी है षड्यंत्र

इंदौर में व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर के विवाद का चोइथराम मंडी के कारोबार पर पड़ा असर, मंडी के बाहर माल खरीदने लगे व्यापारी

Publish: Sep 06, 2021, 05:10 AM IST

Photo : Social Media
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इंदौर। व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर के बीच विवाद का असर इंदौर की चोइथराम मंडी के कारोबार पर पड़ा है। चोइथराम मंडी में जहां पहले प्याज़ की कीमत 16 से 20 रुपए प्रति किलो थी। वहीं इस समय प्याज के भाव तीन से चार रुपए प्रति किलो तक आ गिरे हैं। ट्रांसपोर्टर और व्यापारियों के बीच विवाद का खामियाजा किसानों को तो उठाना पड़ ही रहा है, लेकिन इसके साथ ही मंडी में आवक कम होने के कारण मंडी के कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है।

दरअसल ट्रांसपोर्टरों ने किराए के आलावा ऊपरी वसूली का हवाला देते हुए परिवहन बंद कर दिया है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि भाड़े के अलावा उन्हें तीन से चार हजार रुपए तक ऊपरी वसूली के नाम पर चुकाना पड़ता है। ट्रांसपोर्टरों के इस रुख के कारण मंडी को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंदौर में कारोबार रुकने की वजह से अब व्यापारी आसपास के शहरों का रुख कर रहे हैं। माल तुलवाने और भरवाने के लिए ज्यादातर व्यापारी उज्जैन जा रहे हैं।  

इस पूरे विवाद को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह किसानों के खिलाफ षड्यंत्र करार दिया है। दिग्विजय सिंह ने कृषि कानूनों का हवाला देते हुए कहा है कि कृषि विरोधी कानूनों में मंडियों के बंद करने का षड्यंत्र है। इन्हीं कारणों से किसान इन कानूनों विरोध कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने इंदौर प्रशासन से मांग की है कि वह व्यापारियों को मंडी में ही प्याज़ खरीदने के लिए बाध्य करे। 

कांग्रेस नेता ने अपने ट्विटर हैंडल पर इंदौर की चोइथराम मंडी की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि इंदौर की चोइथराम मंडी जहां प्याज की कीमत 25 अगस्त तक 16 से 20 ₹ किलो तक थी और आवक 70000 कट्टों की थी। पर इन्ही 7 दिनों में स्थानिय तौर पर 3 से 4 ₹ किलो की मंदी प्याज में लायी गयी। कारण है व्यापारी और ट्रांसपोर्टरों के बीच तथाकथित विवाद।

राज्यसभा सांसद ने आगे कहा, 'मंडी ढंग से चल नही रही है और व्यापारी बाहर से माल खरीद रहे है। ताज्जुब यह है कि बाहर ट्रांसपोर्टर गाड़ी दे रहे है पर मंडी के अंदर नही दे रहे हैं। किसानों के खिलाफ षड्यंत्र चल रहा है और शासन और प्रशासन दोनों भी चुप बैठे है। 

उन्होंने आगे कहा कि किसान विरोधी क़ानूनों में मंडी बंद करने का षड्यंत्र है। और यह उसका जीता जागता उदाहरण है। इसीलिए किसान इन क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं। मैं इंदौर प्रशासन से मांग करता हूँ, अभी किसान विरोधी क़ानून लागू नहीं हुए हैं। आप व्यापारियों को मंडी में ही प्याज़ ख़रीदने के लिए बाध्य करें।

दरअसल कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों द्वारा कानूनों की मुखालिफत करने का एक बड़ा कारण यह भी है कि किसानों का कहना है कि ये तीनों कानून मंडियों को खत्म करने और कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट के हवाले करने के उद्देश्य से लाए गए हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि इन कानूनों से मंडियों के कारोबार पर कोई असर नहीं होगा। लेकिन किसानों का दावा है कि कानूनों के लागू होने के बाद मंडियां बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगी। जिसके बाद किसानों को मंडी के बाहर उचित दाम के लिए भटकना पड़ेगा। यही वजह है कि किसान तीनों कानूनों को रद्द करने के साथ साथ एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की भी मांग कर रहे हैं।