CoronaPhobia : हर चीज में वायरस होने का शक भी एक बीमारी

जिन लोगों में ओसीडी की समस्या पहले से ही मौजूद है उनमें कोरोना महामारी के दौरान और बढ़ गई दिक्कत

Updated: Jul 27, 2020, 05:34 AM IST

कोरोना वायरस के इस दौर में साफ-सफाई रखने और बार-बार हाथ धोने के लिए कहा जा रहा है ताकि वायरस आपके शरीर तक ना पहुंच पाए। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो इसके पहले भी बैठे-बैठे अचानक हाथ-पैर धोने चले जाते थे। वहीं अब कोरोना वायरस के दौरा में उसमें यह आदतें और भी ज्यादा बढ़ गई है और वह बार-बार हाथ धो भी रहे हैं। 

अगर आपको लगने लगे कि हर चीज में जर्म्स हैं, वायरस है, गंदगी है, जो आपको नुकसान पहुंचा सकता है और आप बार-बार हाथ धो रहे हैं या सफाई कर रहे हैं तो यह एक बीमारी का लक्षण है। इसे कहते हैं ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD)।

क्या होता है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ?

डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों में ओसीडी की समस्या पहले से ही मौजूद है उनमें कोरोना महामारी के दौरान दिक्कत और बढ़ गई हैं। दरअसल, इंसानी दिमाग के अंदर सिरोटोनिन नाम का एक रसायन होता है। जब दिमाग में यह रसायन कम हो जाता है तो कोई भी काम करते हुए अधूरा-सा महसूस होता है। कई बार दिक्कत साफ-सफाई को लेकर होती है तो उसमें आदमी बहुत बच-बच कर चलता है। इस बीमारी के मरीजों को यकीन ही नहीं होता कि सफाई अच्छी तरह हो चुकी है। इसलिए वो हाथ धुलने जैसे कामों में भी काफी देर तक लगे रहते हैं। जबकि कोविड से बचाव के लिए मात्र 20 सैकेंड तक हाथ धोने के लिए कहा जा रहा है।

क्या हैं इसके मुख्य लक्षण ?

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के मुख्य लक्षणों में बार-बार हाथ धोना, नहाने में घंटों लगाना, साफ चीज को भी दुबारा साफ करना, खुद पर भरोषा न होने की स्थिति में दूसरों से पूछना की हाथ या अन्य वस्तु ठीक से साफ हुई या नहीं। इस बीमारी से ग्रसित लोग जरा सा बाहर निकलने के बाद भी घर आकर तुरंत नहाते हैं, कपड़ों को धोते हैं वहीं दिन हो या रात, बच्चे हों या बुजुर्ग अपने साथ रहने वालों को भी नहाने को कहते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कड़ाके के ठंढ में रात को भी घर का सदस्य तो उसे नहाने के लिए जोर देते हैं।

क्या हैं इसके दुष्प्रभाव ?

यह अच्छी बात है कि लोग साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें परंतु ज्यादा साफ-सफाई के चक्कर में रोजमर्रा के जीवन पर काफी बुरा प्रभाव डालता है जिसमें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हालत भी शामिल हैं। जैसे बार-बार हाथ धोने से त्वचा रूखी होकर फटने लगती है, चिड़चिड़ापन, उदासी और हताशा के कारण अपने नजदीकी लोगों से संबंध खराब होने लगते हैं। इससे आपका दैनिक काम भी काफी प्रभावित होता है चूंकि आप बाकी काम छोड़कर सिर्फ काम में व्यस्त रहते हैं। 

तुरंत कराएं इलाज

अगर आपके घर या पहचान में भी किसी व्यक्ति में यह लक्षण हो तो उसका समय रहते इलाज करवाना बेहद जरूरी है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को मरीज को काउंसलिंग और बिहेवियर थेरेपी दी जाती है साथ ही उन्हें जो काम बार-बार करने की आदत है उसे करने से रोका जाता है।