बासी खाना समय की बचत या स्लो-पॉइजन, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

रोजाना बासी खाने के सेवन से लोगों के शरीर पर काफी खतरनाक प्रभाव पड़ता है खासकर बच्चों और युवाओं पर। ICMR की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि ताजा और घर का खाना खाने वाले लोगों में बासी और जंक फूड खाने वाले लोगों के मुकाबले ज्यादा चुस्ती और एकाग्रता होती है।

Updated: Sep 08, 2025, 03:53 PM IST

समय बचाने के लिए अकसर जल्दबाजी में लोग ताजा खाना बनाने की बजाय फ्रिज से पिछली रात का खाना निकाल कर माइक्रोवेव में गरम कर लेते हैं। ऐसा करने वाले लोगों के दिमाग में यही आता है कि कहीं ना कहीं उन्होंने बहुत समझदारी से अपने समय की बचत कर ली है। लेकिन इस तरह समय को बचाने के चक्कर में वे अनजाने में अपनी सेहत के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ करते हैं।

एक या दो बार ऐसा करने से कुछ खास फर्क तो नहीं पड़ता लेकिन ये आदत धीरे-धीरे लोगों के सेहत पर बड़ा प्रभाव डालती है जिसका एहसास काफी देर से होता है। आयुर्वेद में ये पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि भोजन ना केवल पेट की भूख को मिटाता है बल्कि इसका प्रभाव लोगों के मन और भावनाओं पर भी पड़ता है। 

आर्युवेद में तीन प्रकार के भोजनों का जिक्र किया गया है। पहला सात्विक जो कि ताजा होता है और जो जीवन में उर्जा का संचार करता है। वहीं, अगर इसी खाने को काफी समय बाद ग्रहण किया जाए तो ये राजसिक और उसके बाद तामसिक बन जाता है। जो कि मानव शरीर को सुस्त बना देता है और मानसिक बेचैनी का शिकार बना देता है।

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कई लोग ऐसे भी हैं जो आर्युवेद में लिखी इन बातों को बेतुकी बताते हैं। लेकिन अगर हम आर्युवेद में लिखी इन बातों को विज्ञान से जोड़ कर देखें तो अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट के अनुसार जो लोग घर का बना हुआ ताजा आहार ग्रहण करते हैं उनमें माइक्रोवेव में गर्म किया हुआ बासी खाना खाने वाले लोगों के मुकाबले मोटापे, टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन जैसी शरीर को खोखला कर देने वाली बीमारियों का खतरा तकरीबन 30 प्रतिशत तक कम होता है। 

भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल रिसर्च संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी बताती है कि गांव के मुकाबले शहरी लोगों में जंक या रीहीटेड फूड खाने की आदत ज्यादा हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शहरी इलाके के लगभग 62 प्रतिशत लोग ऐसे खाने पर निर्भर हैं। शहरी इलाकों में भी मेट्रो शहरों में ये समस्या ज्यादा है। जिसकी वजह से इन शहरों में रहने वाले लोगों में अन्य जगहों के मुकाबले पाचन से जुड़ी बीमारियां, एसिडिटी, मोटापा और माइग्रेन की समस्या ज्यादा तेजी से बढ़ती नजर आ रही है। 

रिसर्च बताती है कि रोज ऐसा भोजन ग्रहण करना बच्चों और युवाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस आदत की वजह से उनकी एकाग्रता में कमी आती है और शरीर में थकान बढ़ने लगती है जिससे की वह काफी चिड़चिड़े होने लगते हैं। वहीं, ताजा भोजन करने वाले लोगों में इसके मुकाबले सीखने की क्षमता और शरीर की तंदरूस्ती 20-25 प्रतिशत ज्यादा होती है। असल में जब भी लोग जंक या रीहीटेड खाना खाते हैं तो वह अपना समय नहीं बचाते बल्कि अपनी सेहत के साथ ब़ड़ा खिलवाड़ भी करते हैं।