मातृ और शिशु स्वास्थ्य में MP सबसे नीचे, एक लाख प्रसूताओं में से 159 गवां रहीं जान, 1 हजार नवजातों में से 40 की मौत

मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) 40 दर्ज की गई है। वहीं, देश की IMR 26 है।

Updated: Jun 27, 2025, 12:38 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश मातृ और शिशु स्वास्थ्य के मामले में देश के सबसे पीछे रहने वाला राज्य है। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्म में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं। समय पर इलाज, संसाधन और सुरक्षित प्रसव सुविधाओं के अभाव में प्रसूताओं और नवजात की मौत के ये आंकड़े भयावह हैं।

भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय द्वारा हाल में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की 2022 रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) 40 दर्ज की गई है। वहीं, देश की IMR 26 है। पिछले दशक के आंकड़ों पर गौर करें तो, 2013 में भारत का IMR 40 था जो 2022 तक घटकर 26 हो गया। यानी, भारत ने 35% की कमी आई। 

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वहीं, मध्यप्रदेश का IMR 2013 में लगभग 53 था और 2022 में 40 पर आया। इससे साफ है कि मध्य प्रदेश की प्रगति धीमी और पिछड़ी हुई है। मध्य प्रदेश में कुल मेल शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 है, जबकि फीमेल शिशु मृत्यु दर (IMR) 40 है। इसका अर्थ है कि प्रति एक हजार जीवित जन्मों पर लड़कों की तुलना में एक अधिक लड़की की मृत्यु हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मेल शिशु मृत्यु दर 42 और फीमेल शिशु मृत्यु दर 44 है। वहीं, शहर में मेल शिशु मृत्यु दर 28 और फीमेल शिशु मृत्यु दर 27 है।

अन्य राज्यों की बात करें तो पड़ोसी उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ का IMR भी 38 है, जो मध्यप्रदेश से थोड़ा बेहतर, लेकिन फिर भी गंभीर स्थिति में है। ओडिशा का IMR 32 है, जो उच्च IMR वाले राज्यों में से एक है। केरल 7 और तमिलनाडु 11 IMR के साथ शिशुओं की देखभाल में बेहतर स्थिति पर हैं। वैश्विक स्तर पर तुलना करने पर, मध्य प्रदेश का IMR 40 है। वहीं, बांग्लादेश में 25 है। यानी बांग्लादेश भी हम से आगे है।