MIT और हार्वर्ड ने डिजाइन किया नायाब फेस मास्क, डेढ़ घंटे में चल जाएगा कोरोना का पता

इस मास्क में डिस्पोजेबल सेंसर लगे हुए हैं, जो कि कोरोना के साथ साथ हर तरह के वायरस का पता लगा सकते हैं

Updated: Jul 02, 2021, 09:47 AM IST

नई दिल्ली। अमेरिका की हार्वर्ड और एमआईटी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकरत्ताओं ने एक नायाब तरह का मास्क डिजाइन किया है। इस मास्क की खूबी यह है कि यह कोरोना वायरस को डिटेक्ट कर सकता है। यह मास्क केवल डेढ़ घंटे के समय अंतराल में यह पता लगा सकता है कि मास्क लगाने वाले व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण है या नहीं।       

यह स्टडी नेचर बायोटेक्नोलोजी नामक पत्रिका में प्रकाशित की गई है। पत्रिका में इस मास्क के डिजाइन का उल्लेख है। सट्डी के मुताबिक इस मास्क में डिस्पोजेबल सेंसर लगे हुए हैं। जो कि वायरस को महज़ नब्बे मिनट के भीतर डिटेक्ट करने की क्षमता रखते हैं। इतना ही नहीं, इन सेंसर का उपयोग स्वास्थ्यकर्मी भी कर सकते हैं। इसके सेंसर स्वास्थ्यकर्मियों के कोट जैसे परिधान में वायरस का पता लगा सकते हैं।  

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के प्रोफेसर जेम्स कॉलिंस के के एक बयान के मुताबिक वायरस या किसी भी तरह के बैक्टेरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए कई तरह के जैविक सेंसरों को उपयोग में लाया जा सकता है।    

80 फीसदी लोगों को वैक्सिन लग जाने के बाद ही मिलेगी मास्क से निजात 
कोरोना में संक्रमण को रोकने के लिए मास्क ही सबसे बड़ा हथियार है। एलएनजेपी के डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने बताया है कि चूंकि यह वायरस लगातार अपने स्वरूप बदल रहा है, लिहाज़ा इस समय वायरस से बचने के लिए मास्क ही लोगों का एकमात्र विकल्प है। डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि जब तक देश भर में अस्सी फीसदी लोगों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक लोगों को मास्क से निजात नहीं मिलने वाली है।