वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे: मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है दौड़ने की आदत, शरीर और मन दोनों रहेगा फिट

आप रोजाना एक लंबी दौड़ से आपको मेंटल हेल्थ को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। हाल ही में जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित एक लघु-स्तरीय अध्ययन में ये बताया गया है।

Updated: Oct 10, 2023, 06:16 PM IST

आजकल के खराब लाइफस्टाइल, लगातार बिगड़ते खान पान की शैली, बढ़ती मसरूफियत के कारण हमें स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। जिनमें मेंटल हेल्थ, डिप्रेशन, एंजायटी आजकल आम बात हो गई है। किसी भी व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है, तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करने के साथ साथ शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। ऐसे में मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना भी जरूरी है। लोग अपनी मेंटल हेल्थ  को बेहतर रखने के लिए नियमित व्यायाम, एक्सरसाइज आदि करते है। लेकिन क्या आपको पता है रोजाना एक लंबी दौड़ से आपको मेंटल हेल्थ को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। हाल ही में जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित एक लघु-स्तरीय अध्ययन में ये बताया गया है। वहीं आज यानी 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है। तो आइए इस मौके पर हम आपको इस अध्ययन के बारे में बताते है। 

इस अध्ययन में इस बात का पता लगाने के लिए चिंता या थकावट से पीड़ित 141 रोगियों को शामिल किया गया है, जिसमे सभी प्रतिभागियों में 40 लोगों ने दवाओं का सहारा लिया तो वहीं 99 लोगों ने दौड़ने का सहारा लेना पसंद किया।

इन दोनों समूहों के रोगियों को 16-सप्ताह के खान पान का पालन करना आवश्यक था, दवा सेवन के लिए या सत्र चलाने के लिए। वहीं दौड़ने वाले लोगों के लिए एक समूह का लक्ष्य दिया गया है, प्रत्येक समूह में दो से तीन बारीकी से निगरानी करने वाले 45 मिनट के दौड़ शामिल था। हालाँकि, शोधकर्ताओं ने यह देखा कि इस प्रोटोकॉल का पालन अवसादरोधी समूह (82%) की तुलना में दौड़ने वाले समूह (52%) में कम था। 

जिससे यह पता चला कि दौड़ने के लिए जिन व्यक्तियों ने विकल्प चुना था वे सभी प्रतिभागियों ने हर 45 मिनट का सत्र पूरा नहीं किया। और अवसादरोधी समूह को एस्सिटालोप्राम निर्धारित किया गया, जिसमे मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई एक चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक एक अवरोधक दवा है। इस दवा के सेवन करने का शेड्यूल निर्दिष्ट नहीं किया गया था। दोनों समूहों के बीच लगभग 44% प्रतिभागियों ने अवसाद और चिंता दोनों लक्षणों में सुधार दिखाया।

आपको बता दें कि प्रतिदिन दौड़ने से शरीर के सभी अंग एक्टिव रहते है, जिससे लोगों में थकान, सांस फूलना चक्कर आना और अन्य बीमारियों को एक दूर निकाल फेंकता है। दौड़ने से शरीर की सभी गंदे पदार्थ को पसीने के रास्ते बाहर निकाल देता है। जिससे शरीर एक दम स्वस्थ रहता है।