वर्ल्ड स्ट्रोक डे 2023: भारत में हर साल 18 लाख से अधिक लोग होते हैं ब्रेन स्ट्रोक का शिकार, जानें क्या है कारण

स्ट्रोक एक आपातकालीन मेडिकल स्थिति है, इन्हें नियंत्रित रखना जरूरी है। जब दिमाग की नसें (आर्टिरीज) में खून की आपूर्ति में रुकावट हो जाती है या थक्का (क्लॉट) बनने पर दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन की प्रक्रिया में रुकावट उत्पन्न हो जाता है।

Updated: Oct 28, 2023, 04:12 PM IST

भारत में हर साल 18 लाख से अधिक लोग ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। ध्यान न देने के कारण ठीक होने वाले लोगों में से एक चौथाई में इसके दोबारा होने की आशंका बढ़ जाती है। वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार स्ट्रोक (ब्रेन अटैक) दुनिया में विभिन्न रोगों से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। चिंताजनक यह है कि अब युवा भी स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो हॉस्पिटल के अध्ययन के अनुसार अब तुलनात्मक रूप से 35 से 50 आयु वर्ग वाले लोगों में भी स्ट्रोक देखने को मिल रहा है। जिसका एक प्रमुख कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। इसलिए हर साल 29 अक्टूबर के दिन विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद स्ट्रोक के खतरों के विषय में सभी को जगरूक करना है। शरीर की रक्त धमनियां अवरुद्ध हो जाने पर रक्त प्रवाह बाधित होता है जिससे अचानक से दौरा पड़ने या स्ट्रोक आने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है। स्ट्रोक तब आता है जब ब्रेन सेल्स एकदम से बंद हो जाएं या मर जाएं। स्ट्रोक अचानक से आता है लेकिन ऐसे कई कारण हैं जो स्ट्रोक आने की वजह बनतें हैं। 

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स्ट्रोक क्या होता है?
स्ट्रोक एक आपातकालीन मेडिकल स्थिति है, इन्हें नियंत्रित रखना जरूरी है। जब दिमाग की नसें (आर्टिरीज) में खून की आपूर्ति में रुकावट हो जाती है या थक्का (क्लॉट) बनने पर दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन की प्रक्रिया में रुकावट उत्पन्न हो जाता है। इस स्थिति में दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और इसके सेल्स (न्यूरॉन्स) मरने लगते हैं। वहीं, दिमाग को खून पहुंचाने वाली नलिका के फट जाने के कारण भी दिमाग के आंतरिक भाग में ब्लीडिंग होने लगता है. इन दोनों स्थितियों में दिमाग काम करना बंद कर देता है। समय पर सही उपचार न मिलने पर यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। 

स्ट्रोक का कारण बनने वाली आदतें 
वर्तमान में अनेक लोग मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्रोल और डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की चपेट में रहते हैं। इसके अलावा, शारीरिक निष्क्रियता और एक्टिव लाइफस्टाइल ना होने पर शरीर रोगों का घर बनने लगता है। 


खराब स्लीपिंग शेड्यूल 
आप कब सो रहे हैं, कब उठ रहे हैं और कितनी नींद ले रहे हैं इसका सीधा प्रभाव सेहत पर पड़ता है। जरूरी है कि आप समय से जागें और समय से सोएं। रोज-रोज अलग समय पर सोना-जागना दिमाग को कंफ्यूज कर देता है। वहीं, नींद की कमी भी स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाती है।

पोषक तत्वों में कमी 
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है तो अलग-अलग दिक्कतें होने लगती हैं। अगर व्यक्ति आयदिन बाहर का खाता है, तेल और फैट से भरी चीजों का सेवन करता है और उसका कॉलेस्ट्रोल बढ़ रहा है तो स्ट्रोक आने की संभावना में भी इजाफा होने लगेगा। ऐसे में खानपान का अच्छा होना जरूरी है। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स दिल की सेहत अच्छी रखता है। आप साबुत अनाज, सब्जियां, फल और ऑलिव ऑयल अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

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तनाव लेना 
अगर आप छोटी-छोटी बातों पर ही तनाव लेने लगते हैं और परेशान हो जाते हैं तो अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। तनाव दिमागी सेहत को नुकसान पहुंचाता है और इसका दुष्प्रभाव पूरे शरीर की सेहत पर भी पड़ता है। 

बिल्कुल एक्टिव ना होना 
जो लोग बिल्कुल एक्टिव नहीं होते हैं उन्हें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई कॉलेस्ट्रोल और अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से दोचार होना पड़ता है। इस अनहेल्दी लाइफस्टाइल से स्ट्रोक आने की संभावना भी बढ़ती है। रोजाना कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज करने की कोशिश करें।