अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ हाउस में महाभियोग पारित

Trump Impeached Again By US House: अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दूसरी बार महाभियोग पास, इस बार 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी ट्रंप का साथ नहीं दिया

Updated: Jan 14, 2021, 04:12 AM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी संसद ने बुधवार को इतिहास बनते देखा। चुनाव हार चुके डोनाल्ड ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए जिनके खिलाफ अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने दूसरी बार महाभियोग पारित किया है। ख़ास बात यह है कि इस बार ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी के दस सांसदों ने भी उन्हें महाभियोग के ज़रिए हटाने के पक्ष में मतदान किया है। इन सांसदों का मानना है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को संसद पर हमला करने के लिए उकसाकर ऐसा अपराध किया है, जिसके बाद अमेरिकी लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए उन्हें फ़ौरन हटाया जाना ज़रूरी हो गया है। 

मतदान से पहले डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसदों ने एक-एक करके महाभियोग के पक्ष या विपक्ष में अपनी दलीलें रखीं। इस दौरान ट्रंप के विरोध में अपनी बात रखने वाले सांसदों ने कहा कि चुनाव हार चुके मौजूदा राष्ट्रपति अमेरिकी लोकतंत्र के लिए ख़तरा बन चुके हैं। उन्होंने न सिर्फ़ राष्ट्रपति के तौर पर ली गई संविधान की शपथ को तोड़ा है, बल्कि वैध रूप से संपन्न चुनाव की निष्पक्षता पर बार-बार सवाल उठाकर देश के लोकतंत्र का भी अपमान किया है। सांसदों ने कहा कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को संसद पर हमले को इसलिए उकसाया ताकि संसद में उनकी हार पर औपचारिक मुहर लगाने का काम पूरा न हो सके। उन्होंने उप-राष्ट्रपति पेंस पर चुनाव के वैध नतीजों को पलटने के लिए दबाव डालने की कोशिश भी की। इस तरह उन्होंने असंवैधानिक रूप से सत्ता हथियाने की कोशिश करके देश विरोधी काम भी किया है, जिसके लिए उन्हें दंडित किया जाना ज़रूरी है।

ट्रंप का समर्थन कर रहे ज़्यादातर रिपब्लिकन सांसदों ने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल में अब महज़ कुछ दिन ही बचे हैं, लिहाज़ा उन्हें हटाने की ज़िद राजनीतिक बदले से प्रेरित है। देश में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने यह दावा भी किया कि ट्रंप ने भीड़ को संसद पर हमले के लिए नहीं उकसाया था। कई रिपब्लिकन सांसदों ने महाभियोग के तरीक़े पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महाभियोग चलाने से पहले जाँच और गवाही की प्रक्रिया होनी चाहिए थी, जो नहीं हुई।

कई घंटे तक चली बहस के बाद आख़िरकार मतदान हुआ, जिसमें महाभियोग के पक्ष में 232 सांसदों ने वोट डाले। प्रस्ताव पारित होने के लिए कम से कम 217 वोटों की ज़रूरत थी। प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट डालने वाले सांसदों की संख्या 197 रही। चार रिपब्लिकन सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही से पहले मंगलवार को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने एक और प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें उप-राष्ट्रपति माइक पेंस से अनुरोध किया गया था कि वे संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करके डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटा दें। अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन में इस बात का प्रावधान है कि राष्ट्रपति अगर किसी भी कारण से अपने कर्तव्य को सही ढंग से निभा पाने में असमर्थ साबित हो जाएं तो उप-राष्ट्रपति कैबिनेट के अन्य सदस्यों की सहमति से उन्हें हटा सकते हैं। लेकिन उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने 25वें संशोधन का इस्तेमाल करके ट्रंप को हटाने से इनकार कर दिया। इसी के बाद हाउस में ट्रंप को महाभियोग के ज़रिए हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। 

इससे पहले हाउस ने 18 दिसंबर 2019 को भी ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग पारित किया था। उस वक़्त उन पर सत्ता के दुरुपयोग और संसद के कामकाज में रुकावट डालने के आरोप लगे थे। लेकिन अमेरिकी संसद के दूसरे सदन - सीनेट  ने महाभियोग के प्रस्ताव को ख़ारिज करके ट्रंप की कुर्सी बचा ली थी। पिछली बार सभी रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप का साथ दिया, जबकि इस बार कई रिपब्लिकन सांसद खुलकर ट्रंप का विरोध कर रहे हैं। हालांकि ट्रंप के कार्यकाल में अब बेहद कम दिन बचे हैं, ऐसे में सीनेट में महाभियोग की प्रक्रिया चलाने में अगर वक्त लगा तो वो अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे।