India China Faceoff : जानें क्या हुआ था गलवान घाटी में 15 जून की रात
मीडिया सूत्रों के हिसाब से ये एक झड़प थी जिसमें गोली नहीं चली पर संघर्ष इतना भीषण था जो बीते 40 सालो में देखने को नहीं मिला

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को आधी रात हुई भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए हैं। जिनमें एक कमांडर ऑफिसर भी शामिल थे। मंगलवार सुबह जानकारी मिली थी कि सेना के तीन जवान शहीद हो गए हैं, लेकिन शाम तक सेना ने साफ किया कि घायल 17 और जवानों ने भी गंभीर चोट के कारण दम तोड़ दिया। पिछले पांच दशकों में दोनों देशों के बीच हुए इस सबसे बड़े टकराव के दौरान सीमा पर क्या और क्यों हुआ इसे स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है लेकिन विभिन्न मीडिया में छपी खबरों और उनके सैन्य सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, वो खतरनाक संकेत देते हैं।
लगभग डेढ़ महीने से भारत चीन सीमा पर तनाव का माहौल था। बॉर्डर के विवादित इलाके में चीनी सेना की घुसपैठ पर तनाव भी था। तनाव विवादित बॉर्डर के पूर्वी और पश्चिमी दोनों छोर पर था।जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई। इस बीच चीन 60 square kilometres की territory में वहां घुस आया जहां भारतीय सेना अबतक पेट्रोलिंग करती रही है। भारत ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, बावजूद इसके कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेताया था कि भारतीय सीमा में चीनी सैनिक बड़ी मात्रा में घुस आए हैं।
Click Explainer: What we know about the first deaths on the disputed India-China border in 40 years
इस तनातनी के बीच 6 जून को दोनों देशों के मिलिट्री लीडर्स की बैठक भी हुई। कई दौर की बातचीत के बाद दोनों तरफ से ये सहमति बनी कि दोनों देश सेना का सीमित हस्तक्षेप रखेंगे। इसके बाद १६ जून को सेना का स्टेटमेंट आया कि दोनों तरफ की सेनाओं की झड़प में एक अफसर और दो भारतीय सैनिक मारे गए हैं। चीनी सैनिकों के भी मारे जाने की खबर आयी। लेकिन तब तक ये स्पष्ट नहीं किया गया कि १७ और जवान घायल हैं। मीडिया से बातचीत में सेना के सूत्रों ने ये जरूर कहा कि कोई गोलीबारी नहीं हुई है। लेकिन ये माना गया कि इतना भीषण संघर्ष बीते ४० सालों में नहीं हुआ।
दूसरी तरफ चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत के ऊपर दोषारोपण करते हुए पूरी घटना के लिए भारत को ही दोषी बता दिया गया। चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि दोनों देशों की मिलिट्री वार्ता में सहमति बनने के बावजूद भारतीय सैनिकों ने दो बार गैरकानूनी गतिविधियों के लिए बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश की, जिसके प्रतिरोधस्वरूप हमारे सैनिकों ने हमला किया।
हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चीनी सैनिकों के मारे जाने की कोई खबर नहीं दी। लेकिन ज़ाओ लिज़ियान ने ये जरूर कहा कि दोनों देश 6 जून की वार्ता में बॉर्डर पर शांति के लिए सहमत हो गए थे। उन्होंने ये भी कहा कि चीन मांग करता है भारत अगर बॉर्डर पर शांति चाहता है तो अपने front line soldiers को रोके। बाद में चीन के सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स में चीनी सेना के प्रवक्ता ने ये भी कहा कि भारत ने अपना वादा तोड़ा और ऐसा लगता है कि किसी खास मकसद से उसने चीनी सेना को उकसाया जिससे की बॉर्डर पर इतना बड़ा संघर्ष हुआ।
क्योंकि जिस जगह पर संघर्ष हुआ वो इतना खतरनाक टेरेन है कि वहां स्थानीय मिलिट्री के लोग ही सही सूचना दे सकते हैं। तो जो भी दोनों तरफ से बयान आ रहे हैं, उसपर यकीन करना होगा। नितिन गोखले, जो कि एक स्वतंत्र पत्रकार हैं उनका कहना है कि उनके सूत्रों के हिसाब से भारतीय सैनिक तो चीनी सैनिकों को पूर्व में तय किे गए बॉर्डर-लाइन तक छोड़ने जा रहे थे, उस वक्त चीनी सैनिकों ने पलटकर हमला कर दिया। इसके बाद दोनों तरफ के सैनिकों में झड़प शुरू हो गई। जो लाठी-डंडों से हुई क्योंकि दोनों तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई। ये झगड़ा कई घंटों तक चलता रहा और उसमें कई लोग चोटिल हुए और कुछ गायब भी हो गए।
कुछ अन्य सूत्रों ने ये बताया कि शायद भारतीय सैनिक बॉर्डर पर झगड़ा खत्म करने के मकसद से गए और समझाने बुझाने के दौरान विवाद बढ़ गया। फिर धक्कामुक्की में कुछ लोग गिर गए और कुछ को चोटें आईं। लंदन बेस्ड टेलिग्राफ के पत्रकार का कहना है कि कई भारतीय सैनिक अब भी गायब हैं और उनकी कोई खबर नहीं है।
इस बीच भारत के 20 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।