दुनिया कान खोलकर सुन ले... रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिन है, पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी चेतावनी

सच्चाई ये है कि इस जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से हुई। हमने उस वक्त भी हर मुमकिन कोशिश की। वो लोग कीव और यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें मूर्ख बना रहे हैं: पुतिन

Updated: Feb 21, 2023, 02:05 PM IST

मॉस्को। रूस-यूक्रेन जंग को 24 फरवरी को एक साल पूरा हो रहा है। इससे ठीक 3 दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के लोगों को संबोधित किया। पुतिन ने अपने वार्षिक संबोधन में कहा कि रूस ने शुरुआत में जंग को टालने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक कोशिशें कीं, लेकिन नाटो और अमेरिका ने इन्हें कामयाब नहीं होने दिया। हम अब भी बातचीत से समस्या का हल चाहते हैं, लेकिन इसके लिए शर्तें मंजूर नहीं हैं।

पुतिन इस दौरान पश्चिमी देशों पर आक्रामक दिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी ताकतें यूक्रेन के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही है। उन्होंने कहा, "हमारी जंग यूक्रेन के लोगों से नहीं है, क्योंकि वो तो वहां की हुकूमत के बंधक हैं। दुनिया ये कान खोलकर सुन ले कि रूस को जंग के मैदान में हराना नामुमकिन है। दरअसल, वेस्टर्न पावर चाहते हैं कि यूरोप में वो पुलिस का रोल अदा करें। हम अपने बच्चों पर कोई खतरा नहीं आने देंगे।"

पुतिन ने आगे कहा, "दुनिया के सबसे अमीर देशों के संगठन G7 ने गरीब देशों की मदद के लिए 60 अरब डॉलर दिए। ये अच्छी बात है। मगर ये भी देखिए कि उन्होंने जंग के लिए 150 अरब डॉलर का फंड रखा। ये दोगलापन नहीं तो और क्या है? सच्चाई ये है कि इस जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से हुई। हमने उस वक्त भी हर मुमकिन कोशिश की। वो लोग कीव और यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें मूर्ख बना रहे हैं।"

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पुतिन ने कहा, "वेस्ट की हरकतों की वजह से हमें यूक्रेन पर हमला करना पड़ा। अपनी हिफाजत के लिए, यूक्रेन पर अटैक जरूरी था। डोनबास के लोगों ने तो रूस सरकार से मदद मांगी थी। जिस तरह इन ताकतों ने यूगोस्लोवाकिया, इराक, लीबिया और सीरिया को तबाह किया, वही ये यूक्रेन के साथ भी करना चाहते हैं। ये ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी इज्जत से समझौता नहीं करेगा।"

पुतिन ने आगे कहा, ​"कीव में इतनी ताकत नहीं कि वो डोनबास का मसला सुलझा ले। वहां के लोग चाहते हैं कि रूस आए और उनकी परेशानियों को हल करे। मैंने ये कभी नहीं कहा कि जंग से ही इस मसले का हल निकाला जा सकता है। बातचीत तो होनी चाहिए, लेकिन इसमें सही तरीका अपनाया जाना चाहिए। प्रेशर टैक्टिक्स के आगे रूस न झुका है और न ही झुकेगा।"